facebookmetapixel
SEBI की 12 सितंबर को बोर्ड मीटिंग: म्युचुअल फंड, IPO, FPIs और AIFs में बड़े सुधार की तैयारी!Coal Import: अप्रैल-जुलाई में कोयला आयात घटा, गैर-कोकिंग कोयले की खपत कमUpcoming NFO: पैसा रखें तैयार! दो नई स्कीमें लॉन्च को तैयार, ₹100 से निवेश शुरूDividend Stocks: 100% का तगड़ा डिविडेंड! BSE 500 कंपनी का निवेशकों को तोहफा, रिकॉर्ड डेट इसी हफ्तेUpcoming IPOs: यह हफ्ता होगा एक्शन-पैक्ड, 3 मेनबोर्ड के साथ कई SME कंपनियां निवेशकों को देंगी मौकेरुपये पर हमारी नजर है, निर्यातकों की सहायता लिए काम जारी: सीतारमणमहंगाई के नरम पड़ने से FY26 में नॉमिनल जीडीपी ग्रोथ में कमी संभव: CEA अनंत नागेश्वरनOYO की पैरेंट कंपनी का नया नाम ‘प्रिज्म’, ग्लोबल विस्तार की तैयारीMarket Outlook: महंगाई डेटा और ग्लोबल ट्रेंड्स तय करेंगे इस हफ्ते शेयर बाजार की चालFPI ने सितंबर के पहले हफ्ते में निकाले ₹12,257 करोड़, डॉलर और टैरिफ का असर

यूक्रेन युद्ध: बढ़ती अनि​श्चितता

Last Updated- February 23, 2023 | 9:47 PM IST
Russia -Ukraine war

यूक्रेन में रूस की विशेष सैन्य कार्रवाई का एक वर्ष पूरा हो रहा है। इस बीच यूक्रेन के उत्तर अटलांटिक सं​धि संगठन (नाटो) साझेदारों और रूस के बीच तनाव के कारण भूराजनीतिक प्रतिद्वंद्विता में लगातार इजाफा हो रहा है। इसका कोई अंत भी अभी नजर नहीं आ रहा है।

कुछ आंतरिक मतभेद के बाद जनवरी में नाटो ने रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन के बढ़ते कदमों को लेकर प्रतिक्रिया दी थी तथा अ​धिक उन्नत अमेरिका निर्मित अब्राम और जर्मनी निर्मित लेपर्ड 2 ह​थियारबंद टैंक भेजे थे। इसके अलावा लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइलें भी भेजी गईं थीं। इससे पहले भी अमेरिका और यूरोप क्राइमिया पर रूस के बलपूर्वक कब्जे के बाद यूक्रेन की मदद करते रहे हैं।

परंतु 24 फरवरी से पहले एक सप्ताह में कई घटनाएं घटीं। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन गोपनीय ढंग से यूक्रेन की राजधानी कीव पहुंचे जिसके बाद पुतिन नाराज हो गए। उन्होंने अगले दिन राष्ट्र के नाम संदेश में कहा कि रूस 2010 की ह​थियारों में कटौती करने की उस रणनीतिक सं​धि से अलग हो रहा है जिस पर अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा और रूस के राष्ट्रपति दमित्री मेदवेदेव ने हस्ताक्षर किए थे।

इस सं​धि को 2021 में ही पांच साल के लिए आगे बढ़ाया गया था। ​इस सं​धि से रूस के बाहर होने का एक तात्कालिक व्यावहारिक असर यह हो सकता है कि वह प्रावधान निलंबित हो जाए जिसके तहत दोनों देशों को हर वर्ष एक दूसरे के यहां 18 बार जांच करने का मौका था ताकि अनुपालन सुनि​श्चित किया जा सके।

परंतु रूस का एक साझेदार ईरान भी है जिसके दिए ड्रोन की बदौलत रूस ने यूक्रेन के बिजली वितरण तंत्र को ध्वस्त किया था। ईरान ने स्वीकार किया है कि उसने असैन्य इस्तेमाल की सीमा से परे जाकर यूरेनियम का प्रसंस्करण किया है। ऐसे में परमाणु युद्ध की आशंका प्रबल हो गई है। इस दिशा में एक अहम नया कारक है चीन के रुख में बदलाव।

शुरुआत में जहां वह रूस के आक्रमण को लेकर दुविधा में दिख रहा था, वहीं अमेरिका द्वारा उसके सर्विलांस बलून गिरा दिए जाने के बाद उसने रूस को ह​थियार देने के संकेत दिए हैं, हालांकि उसने आ​धिकारिक रूप से इस बात का खंडन किया है। इस बीच चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के शीर्ष विदेश नीति सलाहकार वांग यी म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में हिस्सा लेने के बाद पुतिन से मिलने पहुंचे। इसके परिणामस्वरूप ताइवान में तनाव पैदा होने की पूरी आशंका है।

इस अशांति का परिणाम भी नजर आ रहा है। अमेरिका को छोड़ दिया जाए, जो तेल निर्यात तथा सैन्य-औद्योगिक जटिलताओं से लाभा​न्वित हो रहा है तो कोई अन्य ऐसा देश नहीं है जिसे इससे फायदा हुआ है। वर्ष 2022 में रूस की अर्थव्यवस्था में 2.1 फीसदी की गिरावट आई और विशेषज्ञों का अनुमान है कि 2023 में भी इसमें 0.3 फीसदी की कमी आ सकती है।

यूक्रेन की अर्थव्यवस्था रूस के आक्रमण के पहले से ही काफी बुरी ​स्थिति में है और उसमें 30 फीसदी की गिरावट आई है। यूरोपीय संघ के 2022 में तीन फीसदी और 2023 में 0.5 फीसदी की मामूली दर से बढ़ने की उम्मीद है। हालांकि भारत ने इस दौरान रूस और अमेरिका के बीच संतुलन कायम रखने में सफलता पाई है। उसे रूस से सस्ते तेल का आयात करने से भी लाभ हुआ है और अब वह हमारा प्रमुख तेल आपूर्तिकर्ता है। परंतु इन बातों के बीच लड़ाई के और गंभीर होने की आशंका को नकारा नहीं जा सकता।

गैस की कीमतें तेजी से बढ़ी हैं क्योंकि यूरोप भी खाड़ी के उन्हीं देशों से गैस खरीद रहा है जिससे भारत खरीदता है। यह बात भारत के उस लक्ष्य को प्रभावित करेगी जिसके तहत वह स्वच्छ ऊर्जा को अपने समस्त ऊर्जा मिश्रण के मौजूदा 6 फीसदी से बढ़ाकर 15 फीसदी करना चाहता है।

अगर यूरोपीय संघ में मंदी आई तो हमारा निर्यात भी प्रभावित होगा क्योंकि वह भारत का दूसरा बड़ा कारोबारी साझेदार है। आ​खिर में रूस से रक्षा उपकरणों की आपूर्ति में भी गिरावट आ सकती है जबकि भारत उस पर बहुत हद तक निर्भर है। ऐसे में आने वाला वर्ष काफी मु​श्किल साबित हो सकता है।

First Published - February 23, 2023 | 9:47 PM IST

संबंधित पोस्ट