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Byju’s की विफलता के जाहिर थे संकेत

Byju’s के निजी इक्विटी निवेशकों के पास बहुत पैसा था और यह छद्म रूप से बढ़ा हुआ मूल्यांकन इसी की देन था।

Last Updated- March 04, 2024 | 9:30 PM IST
Byju’s की विफलता के जाहिर थे संकेत, The spectacular flameout of Byju's

एडटेक कंपनी बैजूस कारोबारी दुनिया के सबसे उल्लेखनीय नाटकीय पतन के उदाहरणों में से एक की ओर बढ़ रही है। एक वर्ष से थोड़ा पहले भारत में पांच डेकाकॉर्न कंपनियां थीं। डेकाकॉर्न से तात्पर्य है ऐसी स्टार्टअप जिनका मूल्यांकन 10 अरब डॉलर के करीब हो। दुनिया में केवल 47 ऐसी स्टार्टअप हैं और सबसे मूल्यवान भारतीय स्टार्टअप थी बैजूस। वित्तवर्ष 21 में 4,588 करोड़ रुपये के घाटे के बावजूद 2022 के आरंभ में बैजूस का मूल्यांकन करीब 22 अरब डॉलर था। कंपनी अमेरिका में सार्वजनिक सूचीबद्धता वाली एक शेल कंपनी के साथ विलय करके अमेरिका में सूचीबद्ध होना चाहती थी।

शेल कंपनी से तात्पर्य ऐसी कंपनियों से है जो सक्रिय न हों या जिनके पास कोई अहम परिसंपत्ति न हो। इसके लिए कंपनी 48 अरब डॉलर का मूल्यांकन रख रही थी। बैजूस के निजी इक्विटी निवेशकों के पास बहुत पैसा था और यह छद्म रूप से बढ़ा हुआ मूल्यांकन इसी की देन था। हाल ही में उनमें से कुछ निवेशकों ने एक असाधारण आम बैठक में बैजूस रवींद्रन को हटाकर नया बोर्ड गठित करने के लिए मतदान किया।

रवींद्रन कंपनी के संस्थापक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी हैं। अगर इन निवेशकों को बैजूस का नियंत्रण हासिल भी हो गया तो भी यह ऋण मुक्ति से परे है। बैजूस रवींद्रन ने 2011 में थिंक ऐंड लर्न की स्थापना की थी। उन्हें 2013 में पहली फंडिंग हासिल हुई और 2015 में उन्होंने द लर्निंग ऐप लॉन्च किया जो हार्वर्ड बिज़नेस स्कूल में केस अध्ययन के रूप में पेश हुआ।

बैजूस ने 2017 में शाहरुख खान को अपना ब्रांड ऐंबेसडर बनाया। अगले सात वर्षों के दौरान कंपनी ने 29 दौर की फंडिंग के साथ अपना कारोबार 5 अरब डॉलर तक पहुंचा दिया। उसने 2021 और 2022 में उसमें से 2.5 अरब डॉलर की राशि अधिग्रहण में व्यय कर दी। कंपनी 2019 में भारतीय क्रिकेट टीम की जर्सी की प्रायोजक बनी।

कंपनी ने 2022 में लियोनेल मेसी को अपना वैश्विक ब्रांड ऐंबेसडर बनाया और कतर में आयोजित फीफा विश्व कप की आधिकारिक प्रायोजक बनी। कहा जा सकता है कि यह उसकी छद्म चमक-दमक का शिखर था। उल्लेखनीय बात यह है कि 2018 से ही निवेशकों ने कई चेतावनियों की या तो अनदेखी की या फिर वे उन्हें पकड़ने में चूक गए।

बैजूस के उत्पाद ग्राहकों को अपने स्तर पर आकर्षित नहीं कर पा रहे थे बल्कि आक्रामक बिक्री रणनीति का इस्तेमाल करके ऐसा किया जा रहा था। मुंबई के जाने माने चिकित्सक और अब एक ऐंजल निवेशक अनिरुद्ध मालपानी ने इसके खिलाफ आवाज भी उठाई थी। उन्होंने अपने ब्लॉग पर 50 से अधिक आलेख लिखे। उन्होंने 9 सितंबर, 2018 को पहला लेख लिखा था जिसके शीर्षक का हिंदी अनुवाद कुछ इस तरह होगा: ‘बैजूस पैसे कमाने की मशीन है।

असल सवाल यह है कि क्या यह पैसे कमाने की मशीन बनेगी?’ उनके आखिरी आलेख के शीर्षक का अनुवाद करें तो वह था: ‘बैजूस माता पिता को कैसे ठगती है?’ इस आलेख में उन्होंने लिखा कि बैजूस ने अपने उत्पादों की बिक्री करने वालों से कहा कि वे मातापिता पर आरोप लगाकर, उन्हें शर्मिंदा करके येनकेन प्रकारेण अपने उत्पाद बेचें। उन्होंने स्कूलों और शिक्षकों की बुराई की और मां-बाप को यह चेतावनी तक दे डाली कि अगर उन्होंने बैजूस ऐप नहीं खरीदे तो उनके बच्चे प्रतिस्पर्धा में पीछे रह जाएंगे। उन्होंने ऐसे लोगों को कई साल की सब​स्क्रिप्प्शन वाली योजनाओं में फंसा लिया।

मालपानी के मुताबिक इसके लिए उन्हें रियायती दरों की पेशकश की गई, थर्ड पार्टी फाइनैंसर की मदद से मासिक किस्तों पर भुगतान की सुविधा दी गई और एक बार जब मातापिता ने अनुबंध पर हस्ताक्षर कर दिए तो वे इसमें उलझ गए और उनके बाहर निकलने का रास्ता बंद हो गया। जो निवेशक अब बैजूस के संचालन और उसके मानकों को लेकर चिंतित हैं उन्हें उपरोक्त बातों पर भी ध्यान देना चाहिए था।

इसके बजाय वे इस खराब तरह के कारोबार को बड़ा बनाने में मदद करते रहे। मालवानी ने लिंक्डइन पर भी बहुत कुछ लिखा और इसमें स्टार्टअप की पारिस्थितिकी से लेकर बैजूस की कार्य संस्कृति, कारोबारी मॉडल और उपभोक्ताओं के अनुभव आदि सभी शामिल हैं। जुलाई 2020 में मालपानी ने दावा किया कि उनका अकाउंट डिलीट कर दिया गया। बैजूस लिंक्डइन पर सबसे बड़े विज्ञापनदाताओं में से एक है।

मालपानी के मुताबिक, ‘बैजूस ने लिंक्डइन से शिकायत की और दावा किया कि मेरी पोस्ट अवमानना भरी हैं। जबकि कंपनी को पता था कि मेरी पोस्ट सही हैं। इसके बदले में लिंक्डइन ने स्थायी रूप से मेरा खाता ही बंद कर दिया। उन्होंने मुझे कुछ कहने का अवसर तक नहीं दिया।’

सभी मूल्यवान स्टार्टअप में एक साझा बात होती है: वे लोगों से जुड़ी किसी गंभीर और बड़ी समस्या को हल करते हैं। उनका हल ऐसा होता है जो प्रभावी भी हो और लोगों को पसंद भी आए। बैजूस किसी समस्या को हल नहीं कर रही और उसका हल ऐसा नहीं है जिसे लोग पसंद करें। यह बात कोविड के समय साबित हो गई। बैजूस के लिए पैसे और मुनाफा कमाने का सबसे मुफीद वक्त वही था जब स्कूल बंद थे और बच्चों और शिक्षकों को एडटेक तरीके अपनाने पड़े। परंतु बैजूस ने वित्त वर्ष 21 और 22 में रिकॉर्ड घाटा होने की बात कही।

दिसंबर 2022 में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने आरोप लगाया कि बैजूस बच्चों के फोन नंबर ‘चुरा’ रही है और उन्हें अपने पाठ्यक्रम खरीदने के लिए धमका रही है। बैजूस ने इसका तगड़ा प्रतिवाद किया लेकिन बाद में उसने वादा किया कि वह बच्चों को अपने पाठ्यक्रम के साथ जोड़ते समय सकारात्मक सहमति लेगी और अपने कर्मचारियों को लोगों के घरों तक जाने से रोकेगी।

उसके बाद कंपनी को उपभोक्ता अदालतों में मामलों में हार का सामना करना पड़ा और कई कर्मचारियों ने कंपनी के भारी भरकम लक्ष्यों और आक्रामक ढंग से कार्यक्रम बेचने की बात उजागर की है। बिना इन हथकंडों के बैजूस शायद इतना राजस्व नहीं जुटा पाती और घाटा और अधिक होता। सच यह है कि करीब 25,000 कर्मचारियों की छंटनी, कर्मचारियों की पीड़ा और उपभोक्ताओं की शिकायत आदि दिखाते हैं कि बैजूस के पास उपयोगी कारोबारी मॉडल नहीं है। बैजूस को धन मुहैया कराने वाले पीई फंड इस बुनियादी तथ्य को नहीं देख सके।

अप्रैल 2023 में प्रवर्तन निदेशालय ने बैजूस की मूल कंपनी थिंक ऐंड लर्न प्राइवेट लिमिटेड तथा रवींद्रन के घर पर छापा मारा क्योंकि उसे विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम के उल्लंघन का शुबहा था। प्रवर्तन निदेशालय ने नवंबर 2023 में 9,362.35 करोड़ रुपये को लेकर कथित उल्लंघन के मामले में कारण बताओ नोटिस जारी किया। उसी वर्ष जून में डेलॉयट हस्किंस ऐंड सेल्स ने यह कहकर काम बंद कर दिया कि कंपनी के वित्तीय वक्तव्य काफी समय से लंबित हैं। यह कंपनी 2016 से बैजूस का अंकेक्षण कर रही थी और 2025 तक उसे ऐसा करना था।

बैजूस हाउसिंग डॉटकॉम और जिलिंगो की राह पर जाती दिख रही है। यकीनन निवेशकों के हालिया कदम के बाद ऐसा होगा, जरूर बस समय लगेगा। जब भी नया प्रबंधन आएगा उसके पास चलाने के लिए उपयुक्त कारोबार ही नहीं होगा। घाटा बढ़ता जाएगा, बेहतर कर्मचारी साथ छोड़ जाएंगे और कंपनी को नकदी संकट से जूझना पड़ेगा।

(लेखक मनीलाइफडॉटइन के संपादक और मनीलाइफ फाउंडेशन में ट्रस्टी हैं)

First Published - March 4, 2024 | 9:30 PM IST

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