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ऐंजल टैक्स पर फिर से विचार करे सरकार

Last Updated- April 20, 2023 | 9:22 PM IST
India's total tax receipts likely to exceed Budget Estimate in FY24

स्टार्टअप की दुनिया मु​श्किलों का सामना कर रही है क्योंकि वहां धन की कमी समस्या बनी हुई है। दुनिया के बड़े केंद्रीय बैंकों द्वारा नीतिगत दरों में इजाफा खासकर अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा मुद्रास्फीति से निपटने के लिए दरों में इजाफा करने से मुद्रा की लागत बढ़ गई है।

विकसित देशों में महामारी के बाद अत्य​धिक समायोजन वाली मौद्रिक नीति के चलते मुद्रा की लागत निहायत कम हो गई थी लेकिन वह समय अब बीत गया है। एक अनुमान के मुताबिक पिछले वर्ष से तुलना करें तो भारतीय स्टार्टअप की फंडिंग 2023 के शुरुआती तीन महीनों में करीब 75 फीसदी कम हुई। लेकिन भारतीय स्टार्टअप की समस्या केवल फंडिंग में कमी नहीं है। वे इसलिए भी मु​श्किल में पड़ सकती हैं क्योंकि फंडिंग बाजार में उन्होंने ऊंची दर पर रा​शि जुटाई।

इस समाचार पत्र में प्रका​शित एक खबर के मुताबिक आयकर विभाग ने स्टार्टअप को नोटिस भेजा है क्योंकि उन्होंने आकलन वर्ष 2018-19 और 2020-21 में घरेलू निवेशकों से ‘बहुत ऊंची दर’ पर पूंजी जुटाई। आयकर अ​धिनियम, 1961 की धारा 56(2)(VIIB) के तहत गैर लिस्टेड कंपनी द्वारा अगर शेयर जारी करने के बदले बाजार मूल्य से अ​धिक प्रीमियम हासिल किया जाता है तो उस पर टैक्स लगता है।

इसे लोकप्रिय भाषा में ऐंजल टैक्स कहा जाता है। ऐसे में किसी स्टार्टअप द्वारा हासिल प्रीमियम अगर घो​षित उचित मूल्यांकन से अ​धिक हो तो उसे अन्य स्रोत से हुई आय मानकर उस पर टैक्स लगाया जा सकता है। इस टैक्स को 2012 में पेश किया गया था ताकि बेनामी नकदी को गैर लिस्टेड कंपनियों के शेयर प्रीमियम के रूप में इस्तेमाल न किया जा सके। यह संभव है कि कुछ व्य​क्ति और कंपनियां इस रास्ते का इस्तेमाल ऐसे बेनामी पैसे के लिए कर रही हों लेकिन सभी कंपनियों पर टैक्स लगाने का विचार कई स्तरों पर दिक्कतदेह है।

चूंकि नोटिस स्टार्टअप को भेजे गए हैं इसलिए यह ध्यान देना जरूरी है कि नए जमाने की तकनीक कंपनियों का मूल्यांकन निवेशकों द्वारा पुराने मानकों के आधार पर नहीं किया जाता है। मूल्यांकन के नए तरीके उचित हैं या नहीं यह एक अलग बहस का विषय है और यह तय करने का काम निवेशकों का है।

ऐसा कोई तरीका नहीं है जिससे सरकार या कोई अन्य संस्था उचित मूल्यांकन पर पहुंच सके। दुनिया भर में हर रोज अरबों डॉलर की वित्तीय परिसंप​त्तियों का कारोबार होता है क्योंकि निवेशकों के बीच उचित मूल्य को लेकर सहमति नहीं है। ब​ल्कि स्टार्टअप के मूल्यांकन को क्षति भी पहुंची है क्योंकि फंडिंग के हालात सही नहीं रहे। जैसे-जैसे आवक सुधरेगी, मूल्यांकन फिर बदलेगा।

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ऐसे में सरकार के लिए बेहतर होगा कि वह ऐसे निर्णय लेने से दूर रहे और शेयर प्रीमियम को आय मानने का भी कोई तुक नहीं बनता। इससे आधुनिक कंपनियों के लिए फंड जुटाना और मु​श्किल होगा जबकि वे न केवल नवाचार और रोजगार तैयार करने के लिए जरूरी हैं ब​ल्कि मोटे तौर पर वे समाज के लिए भी मूल्यांकन तैयार करेंगी।

यह बात विचित्र है कि मौजूदा सरकार जो देश में स्टार्टअप इकोसिस्टम विकसित करने के नाम पर उचित ही गर्व अनुभव करती है, उसने न केवल एक ऐसा टैक्स प्रावधान जारी रखा जो सुविचारित नहीं है ब​ल्कि उसने इसे और खराब कर दिया। वित्त विधेयक 2023 ने टैक्स प्रावधान को विदेशी कंपनियों तक विस्तारित कर दिया जबकि पहले वह घरेलू कंपनियों तक सीमित था।

हालांकि उद्योग संवर्द्धन एवं आंतरिक व्यापार विभाग द्वारा चिह्नित स्टार्टअप को इससे छूट है लेकिन यह सही तरीका नहीं है। यह प्रावधान प्रतिभूति बाजार नियामक (सेबी) द्वारा किए गए प्रयासों के भी विरोधाभासी है जो स्टार्टअप को बाजार से धन जुटाने में सक्षम बना रहा है। सरकार अगर ऐंजल टैक्स प्रावधान पर पुनर्विचार करे तो बेहतर होगा। चाहे जो भी हो यह बेनामी धन से निपटने का सही तरीका नहीं है।

First Published - April 20, 2023 | 9:17 PM IST

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