Skip to content
  रविवार 5 फ़रवरी 2023
Trending
February 4, 2023प्रधानमंत्री मोदी कर्नाटक में ‘India Energy Week 2023’ का करेंगे उद्घाटन
बिज़नेस स्टैंडर्ड
  • होम
  • बजट 2023
  • अर्थव्यवस्था
  • बाजार
    • शेयर बाजार
    • म्युचुअल फंड
    • आईपीओ
    • समाचार
  • कंपनियां
    • स्टार्ट-अप
    • रियल एस्टेट
    • टेलीकॉम
    • तेल-गैस
    • एफएमसीजी
    • उद्योग
    • समाचार
  • पॉलिटिक्स
  • लेख
    • संपादकीय
  • आपका पैसा
  • भारत
    • उत्तर प्रदेश
    • महाराष्ट्र
    • मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़
    • बिहार व झारखण्ड
    • राजस्थान
    • अन्य
  • मल्टीमीडिया
    • वीडियो
  • टेक-ऑटो
  • विविध
    • मनोरंजन
    • ट्रैवल-टूरिज्म
    • शिक्षा
    • स्वास्थ्य
  • अन्य
    • विशेष
    • आज का अखबार
    • ताजा खबरें
    • अंतरराष्ट्रीय
    • वित्त-बीमा
      • फिनटेक
      • बीमा
      • बैंक
      • बॉन्ड
      • समाचार
    • कमोडिटी
    • खेल
    • BS E-Paper
बिज़नेस स्टैंडर्ड
बिज़नेस स्टैंडर्ड
  • होम
  • अर्थव्यवस्था
  • बजट 2023
  • बाजार
    • शेयर बाजार
    • म्युचुअल फंड
    • आईपीओ
    • समाचार
  • कंपनियां
    • स्टार्ट-अप
    • रियल एस्टेट
    • टेलीकॉम
    • तेल-गैस
    • एफएमसीजी
    • उद्योग
    • समाचार
  • पॉलिटिक्स
  • लेख
    • संपादकीय
  • आपका पैसा
  • भारत
    • उत्तर प्रदेश
    • महाराष्ट्र
    • मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़
    • बिहार व झारखण्ड
    • राजस्थान
    • अन्य
  • मल्टीमीडिया
    • वीडियो
  • टेक-ऑटो
  • विशेष
  • विविध
    • मनोरंजन
    • ट्रैवल-टूरिज्म
    • शिक्षा
    • स्वास्थ्य
  • अन्य
  • आज का अखबार
  • ताजा खबरें
  • खेल
  • वित्त-बीमा
    • बैंक
    • बीमा
    • फिनटेक
    • बॉन्ड
  • BS E-Paper
बिज़नेस स्टैंडर्ड
  लेख  आरबीआई की पैनी नजर अब किस बैंक पर?
लेख

आरबीआई की पैनी नजर अब किस बैंक पर?

बीएस संवाददाता बीएस संवाददाता —December 17, 2020 11:08 PM IST0
FacebookTwitterLinkedInWhatsAppEmail

बीते पखवाड़े मौद्रिक नीति की घोषणा के बाद संवाददाता सम्मेलन में भारतीय रिजर्व बैंक(आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने स्पष्ट कहा था कि वित्तीय क्षेत्र में स्थायित्व बरकरार रखने के लिए केंद्रीय बैंक सभी आवश्यक उपाय करेगा। हाल में येस बैंक और लक्ष्मी विलास बैंक को उबारने की कवायद आरबीआई गवर्नर के बयान से बिल्कुल मेल खाती है। दास ने नियमन व्यवस्था मजबूत करने और निगरानी का दायरा बढ़ाने पर केंद्रीय बैंक द्वारा जोर दिए जाने का भी जिक्र किया। उसी संवाददाता सम्मेलन में आरबीआई के डिप्टी गवर्नर एम के जैन ने जांच एवं निगरानी व्यवस्था मजबूत बनाने की दिशा में पिछले कुछ वर्षों में आरबीआई द्वारा उठाए गए ‘अभूतपूर्व’ कदमों का भी उल्लेख किया।
आरबीआई के नीति निर्धारकों के इन बयानों के संदर्भ में क्या त्रिशूर स्थित 93 वर्ष पुराने धनलक्ष्मी बैंक लिमिटेड पर विचार किया जा सकता है? महज 6,720 करोड़ रुपये के ऋण खाते और 11,436 करोड़ रुपये के जमा खाते वाला यह छोटा बैंक नवाचार, उम्दा ग्राहक सेवाओं में विश्वास रखता है लगातार अपना कारोबार चमकाने पर भी जोर दे रहा है। अब सवाल उठता है कि ऐसे में आरबीआई गवर्नर को इस बैंक को लेकर चिंता करने की क्या जरूरत है? बैंकों की संचालन व्यवस्था एक ऐसा बिंदु है, जिसे लेकर आरबीआई का चिंतित होना लाजिमी है। इस बैंक में संचालन व्यवस्था कुछ प्रश्न खड़े कर रही है। मार्च 2015 में धनलक्ष्मी बैंक को 266.61 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था, जिसके बाद जून में इसका नुकसान कम होकर 22.71 करोड़ रुपये रह गया। उसी वर्ष सितंबर में इसका मुनाफा महज 0.45 करोड़ रुपये रह गया, जिसके बाद आरबीआई ने इसे तत्काल सुधार की आवश्यकता वाली श्रेणी (पीएसए) में डाल दिया। इस सूची में डाले जाने के बाद कोई बैंक ऋण आवंटित नहीं कर सकता है। अगली दो तिमाहियों में बैंक का नुकसान बढ़कर 187 करोड़ रुपये हो गया और सकल गैर-निष्पादित कर्ज बढ़कर 10 प्रतिशत से अधिक हो गया। धनलक्ष्मी बैंक फरवरी 2009 में पीसीए से बाहर आ गया और इसने पूंजी जुटाई। बैंक ने नुकसान का आंकड़ा कम किया और प्रबंधन ने लागत-आय अनुपात और शुद्ध ब्याज मार्जिन सहित कुल कारोबारी मानकों पर प्रदर्शन सुधारने का वादा किया। आरबीआई ने बैंक को कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने से रोक दिया और इसके लिए तिमाही नतीजों की समीक्षा अनिवार्य कर दी। बैंक की प्रगति पर नजर रखने की जिम्मेदारी बैंक निदेशक मंडल पर छोड़ दी गई।
बैंक का निदेशक मंडल तभी अपना काम करेगा जब शेयरधारकों का हस्तक्षेप आड़े नहीं आए। शेयरधारकों के दिमाग में कुछ और चल रहा था और वे संचालन व्यवस्था की परवाह करने वाले और फंसे कर्ज की वसूली की दिशा में प्रयास करने वाले बैंक के चेयरमैन संजीव कृष्णन से खुश नहीं थे। ऐसे में बैंक के चेयरमैन को हटाने के लिए एक दर्जन से अधिक शेयरधारकों ने जून 2020 में एक असाधारण आम बैठक (ईजीएम) बुलाई। इन शेयरधारकों ने असाधारण बैठक बुलाने के लिए जो नोटिस दिया था उनमें यह आरोप लगाया गया था कि कृष्णन एक स्वतंत्र निदेशक के रूप में विश्वसनीयता एवं कार्यकुशलता के मानकों पर खरे नहीं उतर पाए। कृष्णन ने हटाए जाने से पहले ही अपना इस्तीफा थमा दिया। उनके साथ दो अन्य स्वतंत्र निदेशकों-साख, जोखिम प्रबंधन और आईटी सॉल्यूशन में दक्ष- ने भी त्यागपत्र दे दिए। इन दोनों लोगों को कृष्णन ही अपने साथ लेकर आए थे। इन दोनों निदेशकों ने शेयरधारकों द्वारा चुने गए निदेशकों को निदेशक मंडल में आने नहीं दिया। कृष्णन ने निदेशक मंडल की हरेक बैठकों में एक सेवानिवृत्त (और दोबारा नियुक्त) मुख्य महाप्रबंधक (सीजीएम) की उपस्थिति पर आपत्ति जताई। कृष्णन और दो अन्य स्वतंत्र निदेशकों के इस्तीफा देने के बाद शेयरधारकों की पंसद के दो व्यक्ति धनलक्ष्मी बैंक के निदेशक मंडल में शामिल हुए।
अगर कहानी यही खत्म हो जाती तो अच्छा होता, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। शेयरधारकों के निशाने पर बैंक के महानिदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी सुनील गुरबख्शानी थे, जिन्होंने 27 फरवरी 2020 को तीन वर्षों के लिए कार्यभार संभाला था। टकाराव का कारण कोई नया नहीं था। चेयरमैन की तरह सीईओ भी कुछ स्वतंत्र निदेशकों, खासकर एक वरिष्ठï कर्मचारी-सीजीएम- के माध्यम से शेयरधारकों के हस्तक्षेप से स्वयं को सहज नहीं महसूस नहीं कर रहे थे। सीजीएम का प्रभाव ऋण आवंटन से लेकर इसकी वसूली और मानव संसाधन (एचआर) सभी मोर्चो पर साफ दिखता था। गुरबख्शानी की नियुक्ति 30 सितंबर को बैंक की सालाना आम बैठक (एजीएम) से पारित नहीं हुई। 90 प्रतिशत लोग उनकी नियुक्ति के खिलाफ थे। बैंकिंग नियामक ने कुछ महीने पहले ही उनकी नियुक्ति को मंजूरी दे दी थी। समाचार माध्यमों में आई खबरों के अनुसार गुरबख्शानी ने 7 सितंबर को स्वयं ही इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने आईएएनएस को बताया था, ‘7 सितंबर को मुझे स्वयं ही इस्तीफा देने के लिए कह दिया गया था और ऐसा नहीं करता तो 30 सितंबर को शेयरधारक मुझे इस्तीफा देने पर विवश कर देते। मैंने किसी तरह के दबाव में इस्तीफा देने से मना कर दिया, इसलिए शेयरधारकों ने मुझे निकालने के लिए मतदान किया।’ उसी दिन निदेशक मंडल ने बैंक का परिचालन जारी रखने के लिए निदेशकों की एक तीन सदस्यीय समिति का गठन किया। यह जानने में जरूरी सबकी दिलचस्पी होगी कि इन निदेशकों का चयन किस आधार पर किया गया था।
बैंक के निदेशक मंडल में आरबीआई द्वारा नामित दो निदेशक हैं, जिनमें एक एजीएम से ठीक एक दिन पहले शामिल किए गए थे। क्या धनलक्ष्मी बैंक में स्थिति वाकई खराब है? 17 सितंबर को आरबीआई द्वारा लिखे एक पत्र में ‘बैंक में संचालन की गुणवत्ता में आई गिरावट पर गंभीर चिंता जताई गई थी।’ इस पत्र से सब कुछ साफ हो जाता है। पत्र में कहा गया है, ‘इसमें कोई दो राय नहीं कि बैंक ने कुछ वित्तीय मानकों पर अपना प्रदर्शन सुधारा है, लेकिन पिछले कुछ समय से संचालन मानकों में गिरावट आई है। जून 2020 में निदेशक मंडल से बड़ी संख्या में कई निदेशक बाहर हुए हैं, जिनमें कार्यवाहक चेयरमैन भी शामिल हैं। पिछले तीन वर्षों में कार्यकाल पूरा करने से पहले ही निदेशक/प्रबंध निदेशक स्तर के लोग रुखसत हो चुके हैं। निदेशक मंडल की बैठक और उनमें हुईं चर्चाओं का स्तर भी कमजोर रहा है।’
निदेशक मंडल की सभी बैठकों में सीजीएम की उपस्थिति की ओर इशारा करते हुए आरबीआई के पत्र में निदेशक मंडल को तत्काल यह अनुचित व्यवहार रोकने की हिदायत दी गई है। पत्र में कहा गया है कि अगर इस दिशा में आवश्यक कदम नहीं उठाया जाता है तो बैंक पर निगरानी रखने कीआरबीआई की प्रक्रिया में बाधा आएगाी। सीजीएम पर उठा विवाद तुरंत सुलझा लिया गया, लेकिन क्या एक सूचीबद्ध बैंक का परिचालन इस तरह होता है? क्या पीसीए में शामिल करने भर से समस्याएं दूर हो सकती हैं? अगर शेयरधारक चेयरमैन और निदेशक मंडल को बाहर निकाल सकते हैं तो इन नियुक्तियों के संबंध में आरबीआई की अनुमति का महत्त्व क्या रह जाता है? क्या इस बात की कोई गारंटी है कि बैंक के अगले चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक के साथ शेयरधारक ऐसा व्यवहार नहीं करेंगे?
इससे पहले 2016 में केरल सरकार के पूर्व मुख्य सचिव के जयकुमार ने भी एक स्वतंत्र निदेशक के तौर पर बैंक के निदेशक मंडल से इस्तीफा देने से पहले सीजीएम और शीर्ष प्रबंधन के ‘सामंतवादी रवैये’ का जिक्र किया था। उन्होंने लिखा था, ‘उन्हें ऐसा लगता है कि निदेशकों को बस हां में हां मिलानी चाहिए। दूसरे लोगों की तरफ से आए सुझाव उन्हें पसंद नहीं हैं। मर्यादा में रहकर अपनी बात कहने वालों को सुनना शायद उनकी कार्य पद्धति का हिस्सा नहीं था।’ धनलक्ष्मी बैंक के निवेशकों की सूची में बी रवींद्रन पिल्लै, बहरीन में आर पी ग्रुप ऑफ कंपनीज के संस्थापक एवं प्रबंध निदेशक (9.9 प्रतिशत हिस्सेदारी), सी के गोपीनाथन (7.49 प्रतिशत हिस्सेदारी), वाई एम वीट्टिïल अब्दुल कादिर, लुलु ग्रुप इंटरनैशनल के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक (4.99 प्रतिशत हिस्सेदारी), और कपिल कुमार वधावन (4.99 प्रतिशत हिस्सेदारी) शामिल हैं। फिलहाल इंतजार करें। आरबीआई अपना काम करना बखूबी जानता है।
(लेखक बिज़नेस स्टैंडर्ड के सलाहकार संपादक, लेखक और जन स्मॉल फाइनैंस बैंक लिमिटेड में वरिष्ठï सलाहकार हैं।)

आरबीआईगवर्नरनियुक्तिबैंकमौद्रिक नीतिश​क्तिकांत दास
FacebookTwitterLinkedInWhatsAppEmail

संबंधित पोस्ट

  • संबंधित पोस्ट
  • More from author
आज का अखबार

काफी कुछ दांव पर

February 3, 2023 10:57 PM IST0
आज का अखबार

राजधानियों के प्रश्न में उलझा आंध्र प्रदेश

February 3, 2023 10:48 PM IST0
आज का अखबार

बजट में वृहद राजकोषीय चुनौतियों के प्रबंधन पर जोर

February 3, 2023 10:25 PM IST0
आज का अखबार

बैंकिंग क्षेत्र को बजट का करना चाहिए स्वागत

February 3, 2023 10:20 AM IST0
अन्य

आज नहीं चलेंगी 300 से अधिक ट्रेनें, भारतीय रेलवे ने शताब्दी समेत कई गाड़ियों को किया रद्द

February 4, 2023 9:50 AM IST0
आपका पैसा

रिवाइज्ड न्यू टैक्स रिजीम को ‘शानदार’ रिस्पांस मिलने की उम्मीद: CBDT प्रमुख

February 3, 2023 4:02 PM IST0
अंतरराष्ट्रीय

Pakistan Crisis : पाकिस्तान की हालत गंभीर, सिर्फ तीन हफ्ते के इम्पोर्ट का बचा पैसा

February 3, 2023 3:52 PM IST0
अंतरराष्ट्रीय

हांगकांग और चीन के बीच यात्रा के लिए अब नहीं किया जाएगा COVID-19 टेस्ट

February 3, 2023 1:07 PM IST0
अन्य समाचार

Hindenburg effect: अदाणी समूह की कंपनियों के शेयरों में जारी है गिरावट,अदाणी एंटरप्राइजेज का शेयर 20 फीसदी टूटा

February 3, 2023 12:23 PM IST0
अंतरराष्ट्रीय

ऑस्ट्रेलिया में 5 डॉलर के नोट पर नहीं दिखेंगे King Charles III

February 2, 2023 12:39 PM IST0

Trending Topics


  • Gold Prices Today
  • Stock Market Update
  • Adani Enterprises Share Price
  • Rupee vs Dollar
  • Stocks To Watch
  • Adani FPO
  • New Income Tax Regime
  • Online Gaming | Budget 2023
  • Union Budget 2023

सबकी नजर


प्रधानमंत्री मोदी कर्नाटक में ‘India Energy Week 2023’ का करेंगे उद्घाटन

February 4, 2023 4:54 PM IST

अडाणी के एफपीओ वापस लेने से देश के वृहत आर्थिक बुनियाद पर असर नहीं- सीतारमण

February 4, 2023 4:43 PM IST

मशहूर गायिका वाणी जयराम का निधन

February 4, 2023 4:30 PM IST

हमारे पास स्पिन विभाग में काफी विकल्प हैं: कमिंस

February 4, 2023 4:02 PM IST

Delhi Excise Policy: भाजपा ने ‘आप’ कार्यालय के सामने किया प्रदर्शन

February 4, 2023 3:55 PM IST

Latest News


  • प्रधानमंत्री मोदी कर्नाटक में ‘India Energy Week 2023’ का करेंगे उद्घाटन
    by भाषा
    February 4, 2023
  • अडाणी के एफपीओ वापस लेने से देश के वृहत आर्थिक बुनियाद पर असर नहीं- सीतारमण
    by भाषा
    February 4, 2023
  • मशहूर गायिका वाणी जयराम का निधन
    by भाषा
    February 4, 2023
  • हमारे पास स्पिन विभाग में काफी विकल्प हैं: कमिंस
    by भाषा
    February 4, 2023
  • Delhi Excise Policy: भाजपा ने ‘आप’ कार्यालय के सामने किया प्रदर्शन
    by भाषा
    February 4, 2023
  • चार्ट
  • आज का बाजार
60841.88 
IndicesLastChange Chg(%)
सेंसेक्स60842
9101.52%
निफ्टी60842
9100%
सीएनएक्स 50014962
1230.83%
रुपया-डॉलर81.91
--
सोना(रु./10ग्रा.)51317.00
0.00-
चांदी (रु./किग्रा.)66740.00
0.00-

  • BSE
  • NSE
CompanyLast (Rs)Gain %
Mahindra Life.379.208.31
Adani Ports498.857.98
AAVAS Financiers1996.757.33
Titan Company2463.206.87
Bank of Baroda163.656.20
Rajesh Exports946.906.15
आगे पढ़े  
CompanyLast (Rs)Gain %
Mahindra Life.380.058.80
Adani Ports498.857.87
AAVAS Financiers1998.657.37
Titan Company2463.106.72
Bank of Baroda163.606.20
Ambuja Cements373.605.97
आगे पढ़े  

# TRENDING

Gold Prices TodayStock Market UpdateAdani Enterprises Share PriceRupee vs DollarStocks To WatchAdani FPONew Income Tax RegimeOnline Gaming | Budget 2023Union Budget 2023
© Copyright 2023, All Rights Reserved
  • About Us
  • Authors
  • Partner with us
  • Jobs@BS
  • Advertise With Us
  • Terms & Conditions
  • Contact Us