हर साल मुल्क के एक लाख लोगों को रोजगार मुहैया करवाने वाली कॉल सेंटर कंपनियों के लिए एक खुशखबरी है।
अब उन्हें अपने नए कर्मचारियों की खोज के लिए दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु जैसे बड़े शहरों पर ही निर्भर नहीं रहना पडेग़ा। अब वे झारखंड या छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों से भी सीधे लोगों का इंटरव्यू ले सकते हैं। वो भी अपने गुड़गाव या नवी मुंबई के एयरकंडीशंड से बिना एक कदम बाहर रखे हुए भी।
जी नहीं, हम आपके साथ मजाक बिलकुल नहीं कर रहे। दरअसल, यह करिश्मा मुमकिन हुआ है स्पीच और इमेजिंग सॉफ्टवेयर बनाने वाली कंपनी न्यूऐंस की वजह से। यह कंपनी अपने नए सॉफ्टवेयर ‘लैंग्वेज एस्सेमेंट’ को 38 हजार करोड़ रुपये (9.5 अरब डॉलर) के देसी बाजार में उतारने वाली है।
इस कंपनी के अधिकारियों का कहना है कि,’हमारी कंपनी का यह प्रोडक्ट काफी फायदेमंद है। ज्यादातर बड़े शहरों में भर्तियों के मामले में अब ठहराव सा आ गया है। इसलिए तो कॉल सेंटर कंपनियां अब छोटे शहरों में अपना बेस बनाने के लिए भागी जा रही है।
साथ ही, वे वहां तेजी से लोगों को भी भर्ती करने में जुटी हुई हैं।’ कंपनी के भारत में वाइस प्रेसीडेंट, सन्नी राव का कहना है कि, ‘हमारे प्रोडक्ट न सिर्फ लोगों की भर्ती करने पर होने वाला खर्च कम हो जाएगा। इससे न सिर्फ खर्च कम होता है, बल्कि हमारा यह सॉफ्टवेयर कंपनियों के समय को भी बचा लेता है।’ राव ने बताया कि,’बीपीओ इंडस्ट्री में घुसना काफी मुश्किल होता है।
यहां अगर हजार लोग नौकरी के लिए अप्लाई करते हैं, तो उनमें से केवल 15 फीसदी लोगों का ही चुनाव हो पाता है। भर्ती प्रक्रिया में लोगों को न केवल ऑनलाइन लिखित परीक्षाएं देनी पड़ती है, बल्कि उनके लिए एक खास तरीके से बोलना भी बेहद जरूरी होता है। भाषा पर उनकी जबरदस्त पकड़ होनी चाहिए। यहीं तो हमारी सॉफ्टवेयर की जरूरत होती है।’
पिछले साल न्यूऐंस कम्युनिकेशन ने नेक्सडिया के साथ गठजोड़ किया था। इसके तहत न्यूऐंस ने नेक्सडिया के फोनेटिक सर्च और एनालेसिस सिस्टम को न्यूऐंस केयर एनालेटिक्स सॉफ्टवेयर के साथ जोड़ दिया था। नेक्सडिया का यह लैंग्वेज एस्सेर उसकी पेंटेंटेड तकनीकी पर काम करता है। यह कैंडीडेट्स की आवाज की रिकॉडिंग के आधार पर उनकी भाषा की गुणवत्ता, उच्चारण की क्वालिटी और भाषा का प्रवाह को मापता है।
इसके बाद यह सॉफ्टवेयर इन बातों के आधार पर लोगों को नंबर देता है। फिर वह उनकी रैंकिंग तय करता है। यह सॉफ्टवेयर कुछ ही मिनटों में सैंकड़ों उम्मीदवारों को रैंकिंग दे सकता है। इससे कंपनियों को शुरुआती जांच करने में काफी मदद मिल सकती है। साथ ही, यह कॉल सेंटरों को अपने कर्मचारियों को ट्रेनिंग देने में भी मदद कर सकता है।
इससे ट्रेनरों को यह जानने में मदद मिल सकती है कि किसी कर्मचारी को किसी क्षेत्र में सुधार के लिए प्रशिक्षण देने की जरूरत है। राव का कहना है कि,’हमारा इस सॉफ्टवेयर की वजह से अब कॉल सेंटरों के आला अधिकारियों को नए लोगों की तलाश में देश के कोने-कोने में नहीं भटकना पड़ेगा। यह सॉफ्टवेयर इस काम में होने वाले खर्च के साथ-साथ उन अधिकारियों का सफर में बर्बाद होने वाला वक्त भी बचा लेगा।
साथ ही, यह गुणवत्ता के मामले में एक बेंचमार्क भी स्थापित कर देगा।’ कंपनी अपने इस सॉफ्टवेयर को अमेरिका की एक बड़ी इंटरनेट सेवा प्रदाता कंपनी को मुहैया करवा चुकी है। राव के मुताबिक, इसकी वजह से उस कंपनी का भर्तियों पर होने वाला खर्च में 80 फीसदी तक की गिरावट आई है। साथ ही, उस कंपनी का भर्तियों में बर्बाद होने वाले वक्त में भी छह हफ्ते तक की कमी आई है।
वैसे, इस सॉफ्टवेयर को अभी तक भारत में कोई खरीदार नहीं मिला है। विश्लेषक कंपनी के इस किफायत के दावे पर संदेह जता रहे हैं। केपीएमजी एडवाइजरी के सहायक निदेशक अनीस जावेरी का कहना है कि, ‘सुनने में तो यह कॉन्सेप्ट काफी अच्छा लगता है, लेकिन यह बात अब भी साफ नहीं हो पाई है कि इससे पैसे कैसे बचेंगे। छोटे शहरों से लोगों को लेने में सबसे ज्यादा खर्च वहां की लोकल रिक्रूटमेंट एजेंसियों को दिया जाने वाला कमीशन है।
वैसे, इस सॉफ्टवेयर से एक बात तो तय है कि इससे लोगों के चुनाव का एक स्टैंटर्ड तय हो जाएगा। साथ ही, इससे क्वालिटी पर नियंत्रण रखा जा सकता है। वैसे, इस वक्त भर्तियों के मामले में कॉल सेंटर ज्यादा जोश नहीं दिखा रहे। इसलिए इस सॉफ्टवेयर के असर अभी देखा जाना है।’
नई खोज
दरअसल, यह करिश्मा मुमकिन हुआ है स्पीच और इमेजिंग सॉफ्टवेयर बनाने वाली कंपनी न्यूऐंस की वजह से। यह कंपनी अपने नए सॉफ्टवेयर ‘लैंग्वेज एस्सेमेंट’ को 38 हजार करोड़ रुपये (9.5 अरब डॉलर) के देसी बाजार में उतारने वाली है।