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लक्जरी होटल सुविधाएं टोटल-किराया केवल 35 लाख रुपये!

Last Updated- December 07, 2022 | 5:05 PM IST

पूरी शान-शौकत के साथ शाही अंदाज में रात बिताने के लिए पैसा बहुत ज्यादा मायने नहीं रखता। जी हां, जयपुर के दरबार महल सुईट का एक रात का किराया टैक्स को अलग छोड़कर 2 लाख रुपये है जो अमीरों के लिए कोई ज्यादा रकम नहीं है।


अगले महीने से चार मंजिला महाराजा पैविलियन जब पूरी तरह से पर्यटकों के लिए खुलेगा तब यह देश में अब तक का सबसे महंगे कमरे वाला होटल होगा या यूं कहें कि ठहरने की राजसी जगह होगी। लगभग डेढ़ सौ सालों से खड़ी इस इमारत में बनने वाला यह शाही होटल आज से दो साल बाद पूरी तरह से तैयार होकर पर्यटकों के लिए खुलेगा।

उस वक्त यहां के कमरे में दो रात बिताने के लिए पर्यटकों को 35 लाख रुपये चुकाने पड़ सकते हैं और उस वक्त यह शायद दुनिया की सबसे महंगी जगह होगी। एक वक्त तक सपेरों का देश कहलाने वाले इस मुल्क के लिए यह कम बड़ी उपलब्धि नहीं होगी जब दुनिया का सबसे महंगा होटल इस सरजमीन पर होगा।

वह भी तब जब पश्चिमी देशों को ऐशो-आराम के लिए सबसे  माकूल माना जाता है। इस बड़ी सफलता के शिल्पकार अरुण पुरी ने जो एक सपना देखा था वह अब हकीकत की शक्ल अख्तियार करता दिख रहा है। उनकी इस सफलता के कम करके नहीं आंकना चाहिए।

नीली शर्ट में पतली दुबली काया वाले अरुण पुरी इस शाही महल में शायद ही कभी आने वाले लोगों में शामिल हैं। लेकिन उनका ताल्लुक इसी शाही हवेली से है। संगमरमर के इस कारोबारी का नाम पिछले एक दशक में अंतरराष्ट्रीय होटल के क्षेत्र में खास तौर पर उभरा है। सभी संभावनाओं को बड़ी शालीनता से दरकिनार करते हुए उनका कहना है कि वह कभी हिल्टन नहीं हो सकते और न ही ऐसे किसी मुकाम की उनकी कोई इच्छा है।

उनका एक सपना रहा है और लगता है उस सपने को पूरा करने का रास्ता भी उन्हें मालूम था। दो साल पहले एक मीटिंग में उन्होंने अपने स्टाफ से कहा था कि वह दुनिया का सबसे बेहतरीन होटल बनाना चाहते हैं,उनकी बात को उनके सहयोगी और मातहतों ने हल्के में भी नहीं लिया, शायद उनको अपने मुखिया के हौसले पर पूरा भरोसा था।

इसका नतीजा भी उनके पक्ष में ही रहा जब  लगभग डेढ़ साल बाद ही भारतीय होटल उद्योग में बेहद अनजान  इस होटल को वर्ल्ड ट्रैवल अवॉर्ड की ओर से वर्ल्डस लीडिंग हेरीटेज होटल का खिताब मिला। इस साल उन्हें यहां एशिया के सबसे बेहतरीन सुइट का अवार्ड का भी मिला। यकीनन इस प्रतियोगिता के जरिए पुरी की खास मौजूदगी का अहसास सबको हुआ होगा।

 इसके बाद तो उन्होंने और भी नई मंजिलें तय करने की सोची। वह दरअसल जयपुर और राजस्थान की सांमती व्यवस्था में एक  बाहरी व्यक्ति माने जाते हैं लेकिन उनकी शादी यहां के शाही परिवार में ही हुई है। चोमू इलाके के जागीरदार एक बहुत बड़े परिवार से ताल्लुक रखते थे, हालांकि एक ऐसा बुरा वक्त आया जब उस परिवार को 70 के दशक में शहर के बाहरी इलाके में अपने परिवार के लिए बने किले को बेचना पड़ा।

उस वक्त कर देने का दबाव भी ज्यादा था। उस समय उसे ‘चोमू हवेली’ कहा जाता था जिसे ‘राज पैलेस’ बोला जाता है। बाद में इसे एक निर्यातक को लीज पर दे दिया गया जिसने इसे पुरानी फर्नीचरों का गोदाम बना डाला। इस हवेली की इमारत और इसके बाग को काफी नुकसान उठाना पड़ा। इस परिवार के ठाकुर राज सिंह चोमू हवेली को चार साल से चला रहे थे।

इस हवेली को हेरिटेज होटल में बदलने का प्रस्ताव बहुत अनोखा था। जयेंद्रा कुमारी और उनके पति ने इस हवेली को अपने संरक्षण में 1965 में लिया और इसे 1997 में खोला। इसे दुनिया की बेहतरीन जगह बनाने की कोशिश में ही पांच बार इस हवेली को नया रुप दिया गया।

पुरी का कहना है, ‘जब यह महल ठाकुर मोहन सिंह ने 280 साल पहले बनवाया था उस वक्त यहां खाना चांदी की थालियों में परोसा जाता था।’ जयपुर के नए शहर का निर्माण ‘चोमू हवेली’ के जरिए ही लगभग 300 साल बाद शुरु हुआ। पुरी के लिए यह बेहद संशय की स्थिति थी कि इस इमारत का केवल संरक्षण किया जाए या फिर इसकी शक्ल बदलने की कोशिश की जाए।

उनका सोचना था कि इसका संरक्षण करने के साथ ही इसमें कुछ नई तकनीकों के जरिए इस आज के जमाने के मुताबिक लक्जरी पैलेस बनाया जाए तो ज्यादा बेहतर होगा। पुरी का कहना है कि उन्होंने इस महल को बदलने के लिए दुनिया के बेहतरीन डिजाइनर, आर्किटेक्ट और दुनिया के सबसे बेहतर एचआर कंसल्टेंट की सेवा ली। उन्होंने पहले इस हवेली के 1,10,000 वर्गफीट क्षेत्र में काम शुरु करवाया। इसके तहत 50,000 वर्गफुट में दीवारों पर हाथ से पेंटिंग का काम किया गया और 8,000 वर्गफीट में सोने और चांदी की परत चढ़ाई गई। शाही इमारत में तो फिलहाल काम चल रहा है।

कारीगर इस हवेली के  खंभों और मेहराब पर सोने की परत चिपकाने और थोड़े महंगे रत्न को भी लगाने के काम में जुटे हुए हैं। यहां के डाइनिंग हॉल में लगाने के लिए स्पेन से खासतौर पर फर्नीचर लाया गया। वैसे कमरों में हवेली के पुराने फर्नीचर ही हैं। इस हवेली में आर्ट वर्क का कुछ काम तो बेहद शानदार है। हालांकि इसमें लगे हुए कुछ शानदार पुराने काले और सफेद रंग वाली तस्वीरों का चोमू परिवार से कुछ लेना देना नहीं हैं। भारत में इसके बारे में लोगों की राय तेजी से बदली है। शुरू में हल्के में लेने वाली ट्रैवल एजेंसियां भी अब इसका महिमागान कर रही हैं। 

नई दिल्ली की एक ट्रैवल एजेंसी के वाइस प्रेसीडेंट कहते हैं, ‘राज पैलेस शानदार प्रॉपर्टी है और अरुण पुरी ने इसमें बहुत बेहतरीन सुविधाएं जुटाई हैं। ‘ वहीं पुरी का कहना है कि यदि कोई खुद अपनी शान के बारे में बताए तो उससे अच्छा कुछ नहीं है। यहां के मुख्य डाइनिंग रूम में लगी क्रिस्टल की झालर भारत में सबसे बड़ी है। इसके बाथरूम को लेडी प्रिमरोज नाम की फर्म ने तैयार किया है और इस तरह के बाथरूम दुनिया के केवल 21 टॉप होटलों में ही उपलब्ध हैं।

हालांकि वह विदेशियों से हुई कमाई का ब्यौरा देने से मना कर देते हैं लेकिन दूसरी कई बातों पर दिल खोल कर बातें करते हैं। उनके होटल को हाल ही में राष्ट्रीय पर्यटन अवॉर्ड के तहत बेस्ट हेरिटेज होटल का अवॉर्ड मिला है। पुरी को ट्रैवल एजेंटों पर पूरा भरोसा नहीं है। वह कहते हैं कि हेरिटेज होटल और उनके होटल मे कुछ फर्क है। उनके मुताबिक, ‘दुनिया में 280 साल पुराना पैलेस होटल केवल हमारा ही है। हमारा पैलेस होटल, पहला सेंट्रल एयरकंडीशन होटल है। अब यह स्माल लक्जरी होटल्स (एसएलएच) में शुमार हो  चुका है और इस सूची में भारत से केवल ओबेरॉय समूह के होटल शामिल हैं। ‘

राज पैलेस को मिली सफलता कई लोगों के लिए आदर्श हो सकती है और इसको क्वालिटी की वजह से ही सफलता मिली है। इससे यही संदेश मिलता है कि यदि आपका प्रयास शानदार हो तो आपको असफलता नहीं मिलेगी। इस होटल में एंटी बैक्टिीरियल मैट्रेस, शानदार तकिए, इंपोर्टेड लिनेन हैं, तापमान को नियंत्रित करने की आधुनिक तकनीक है(हालांकि एक ग्राहक शिकायत कर चुका है कि यह काम नहीं करती), और यहां मिलने वाली सर्विस दूसरे हेरिटेज होटलों की तुलना में अलग है।

होटल की महाप्रबंधक अंकुर रारा कहती हैं, ‘मानव संसाधन कंसल्टेंसी में महारत रखने वाले पीटर एस मैकअल्पाइन हमारे स्टाफ को प्रशिक्षित करते हैं। इस तरह का प्रशिक्षण में कर्मियों की भावनाओं का विशेष ख्याल रखा जाता है।’ रारा खुद प्रबंधन की छात्रा रही हैं और वह शुरुआत से ही होटल की मार्केटिंग और सेल्स का काम देख रही हैं। उनका कहना है कि बेहतरीन सुविधाओं का जायजा लेने के लिए वह पेरिस और लंदन के रिट्ज होटल और बैंकॉक और हाँगकाँग के पेनिन्सुला जैसे लक्जरी होटलों में रूकीं।

इस साल की गर्मियों में उन्होंने कॉर्नेल स्कूल के  महा प्रबंधकों के लिए आयोजित दो महीने की वर्कशाप भी की है। सही मायनों में 29 कमरों वाला राज पैलेस होटल अपनी सुविधाओं के लिहाज से बेहद शानोशौकत वाला है। यहां पर चांदी की थालियों में खाना परोसा जाता है (सोने का विकल्प भी है), और खाने की तो बात ही मत पूछिए, यहां पर तीन रेस्तरां हैं, एक बार है, स्विमिंग पूल है, 24 कैरट सोने का दुनिया का एकमात्र स्पा है, क्या इतना काफी नहीं है बेहतरीन ऐशो आराम के लिए। यही वजह है कि चीन के दूसरे सबसे धनी व्यक्ति और फ्रांस के तीसरे सबसे धनवान व्यक्ति इस होटल के ग्राहकों में शुमार हैं।

इनके अलावा हर बड़े रईस की यहां आने की हसरत जोर पकड़ रही है। हो भी क्यों न आखिर यह होटल जल्द ही दुनिया का सबसे महंगा होटल बनने जा रहा है। विदेशी ग्राहकों के साथ भाषाई दिक्कतों से निपट लिया जाता है लेकिन पुरी हंसते हुए बताते हैं कि भारतीय रईसों में से कुछ उनके पास कीमतों को लेकर बातचीत करने के लिए अपने दूत भेजते हैं ताकि कीमतें कुछ कम की जा सकें। क्या वाकई में पुरी ने जो कीमतें रखी हुई हैं वह वाजिब हैं या फिर यह उनके और उनकी टीम द्वारा रचा गया ब्रांड मिथ है। कुछ टैवल एजेंट केवल यूरोपीय पर्यटकों के साथ जुड़े हैं।

पुरी कहते हैं, ‘हमारे तेजी से बढ़ते राजस्व में अमेरिका और पश्चिम एशिया की हिस्सेदारी बढ़ती जा रही है। इसके अलावा चीनियों और रूसियों की तादाद भी बढ़ती जा रही है।’ राज पैलेस के साथ काम करने वाले एक एजेंट का कहना है, ‘उनको कुछ खास ऑफर्स पेश करने चाहिएं।’ तो पुरी का कहना है कि उनके यहां ‘जीरो डिस्काउंट पॉलिसी’ है।

कीमतों के मामले पर रारा का कहना है कि ऑफ सीजन में ट्रैवल एजेंटों को हम अधिकतम 20 फीसदी डिस्काउंट देते हैं और ग्राहकों को सीधे तौर पर 10 फीसदी। पुरी कहते हैं कि यह बहुत व्यावसायिक नहीं है और हमारा मुकाबला खुद अपने आप से है। होटल के प्रबंधन के अनुसार एक कमरे में बाथरूम की देखभाल करने पर ही हमारे 11,000 से 12,000 रुपये खर्च हो जाते हैं। इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि मैं जब अगली बार जयपुर जाऊंगा तो राजविलास या फिर रामबाग पैलेस में ठहरना पसंद करुंगा क्योंकि यह विकल्प मुझे किफायती नजर आता है।

First Published - August 18, 2008 | 3:03 AM IST

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