एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया की गत सप्ताह शानदार सूचीबद्धता हुई। इसने इश्यू कीमत से 50 फीसदी से अधिक लाभ अर्जित किया। जाहिर है इश्यू अवधि के दौरान निवेशकों ने इसमें जबरदस्त रुचि दिखाई। इस इश्यू के साथ ही एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स उन बहुराष्ट्रीय कंपनियों में शुमार हो गई है जो भारत में सूचीबद्ध हैं। ह्युंडै मोटर इंडिया वर्ष 2024 में सूचीबद्ध हुई थी और उसका इश्यू आकार 27,000 करोड़ रुपये का था। ये बड़ी और लोकप्रिय सूचीबद्धताएं इस बात को रेखांकित करते हैं कि बीते कुछ दशकों से भारत किस प्रकार के बदलावों से गुजर रहा है।
उदाहरण के लिए 1970 के दशक में सरकार बहुराष्ट्रीय कंपनियों की भारतीय शाखाओं को अपनी हिस्सेदारी बेचकर नकदीकृत होने को मजबूर कर रही थी। इसके परिणामस्वरूप कोका-कोला और आईबीएम जैसी कंपनियां बाजार से बाहर हो गईं। कुछ वर्षों तक यह प्रवृत्ति भी देखने को मिली अंतरराष्ट्रीय कंपनियां सूचीबद्धता की आवश्यकताओं के स्पष्ट बोझ के कारण अपनी भारतीय सहायक कंपनियों को निजी ही बनाए रही थीं। लेकिन अब बड़ी कंपनियां स्वेच्छा से भारत में सूचीबद्ध हो रही हैं। यह काबिलेतारीफ है। हालांकि ये अधिकांशतः ओएफएस यानी बिक्री के लिए प्रस्ताव हैं जिनसे भारत के व्यवसाय के लिए कोई नया पूंजी निवेश नहीं हो रहा है, फिर भी ये एक मजबूत संकेत देते हैं।
बड़े इश्यू कर्ताओं की सफल सूचीबद्धता बताती है कि भारतीय शेयर बाजार में गहराई आ रही है। यह बात भी ध्यान देने लायक है कि यह गहराई घरेलू बचत के बढ़ते पूल की वजह से आ रही है जिनका निवेश आंशिक रूप से म्युचुअल फंड्स के जरिये हो रहा है। उदाहरण के लिए घरेलू संस्थागत निवेशकों ने 2025 में अब तक करीब 6 लाख करोड़ रुपये की राशि शेयर बाजार में डाली है।
खुदरा धन का प्रवाह, विशेष रूप से व्यवस्थित निवेश योजनाओं (एसआईपी) के माध्यम से, न केवल भारत के द्वितीयक बाजार में विदेशी संस्थागत निवेशकों पर निर्भरता को कम कर रहा है, बल्कि प्राथमिक बाजार में गतिविधियों को भी सहारा दे रहा है। कंपनियों ने 2025 में अब तक प्राथमिक बाजार से 85,000 करोड़ रुपये से अधिक की पूंजी जुटाई है और इसके पहले 2024 में 1.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक की राशि जुलाई गई थी।
पूंजी बाजार में जो जीवंतता नजर आ रही है वह न केवल सार्वजनिक क्षेत्र के लिए पूंजी जुटाना आसान बनाएगी बल्कि निजी क्षेत्र में भी गतिविधियों को प्रोत्साहित करेगी क्योंकि बड़े निजी निवेशक मसलन निजी इक्विटी फंड आदि सही समय पर सार्वजनिक बाजार से बाहर हो सकेंगे। एक जीवंत और गहरा बाजार अधिक विदेशी निवेशकों को भी आकर्षित करेगा क्योंकि गुणवत्तापूर्ण कंपनियों की संख्या बढ़ेगी।
बहुराष्ट्रीय कंपनियों को भारत में निवेश का प्रोत्साहन इसलिए मिलता है क्योंकि उन्हें सही मूल्यांकन मिलता है। आंकड़े बताते हैं कि कुछ भारतीय अनुषंगी कंपनियों का बाजार मूल्य उनकी मूल कंपनी से अधिक हो चुका है और वे भारत में बहुत अधिक आय अर्जित कर रही हैं। उदाहरण के लिए एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स का बाजार मूल्य 12 अरब डॉलर है जबकि अपने घरेलू बाजार में उसका मूल्यांकन 9.4 अरब डॉलर है।
बहुराष्ट्रीय कंपनियों के नजरिये से देखें तो सूचीबद्धता न केवल सही मूल्यांकन हासिल करने में मदद करती है बल्कि यह ब्रांड वैल्यू में सुधार करती है और कंपनी की दृश्यता बढ़ाती है। इससे समय के साथ कंपनी को अपना मूल कारोबार बेहतर करने में मदद मिलती है। किसी बहुराष्ट्रीय कंपनी की भारतीय शाखा की सूचीबद्धता निवेशकों को भी लाभ पहुंचाएगी। उनके पास अवसर होगा कि वे भारत में विकसित होते हुए गुणवत्तापूर्ण कारोबार में हिस्सेदारी खरीद सकें।
एलजी और ह्युंडै की कामयाब सूचीबद्धता अन्य बहुराष्ट्रीय कंपनियों को प्रोत्साहित करेगी। उदाहरण के लिए सैमसंग और डेल जैसी कंपनियां भी भारत में अपने कारोबार को सूचीबद्ध करने के लिए उत्साहित होंगी। गुणवत्ता वाली कंपनियों के लिए धन की उपलब्धता कुछ नई पीढ़ी की बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों को सूचीबद्ध होने के लिए प्रेरित कर सकती है। व्यापक आर्थिक स्तर पर पूंजी बाजार की गतिविधियां स्पष्ट रूप से दर्शाती हैं कि निजी निवेश के लिए जोखिम पूंजी की उपलब्धता कोई समस्या नहीं है। इसलिए नीति निर्माताओं को उन अन्य बाधाओं को दूर करने की आवश्यकता है जो निजी निवेश में स्थायी सुधार को रोक रही हैं और जो मध्यम अवधि में उच्च विकास को बनाए रखने के लिए अनिवार्य है।