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अनदेखी: कारोबारी जगत में क्रिकेट से जुड़े जुमले

भारतीय रिजर्व बैंक विनिमय दर को किस तरह संभाल रहा है। क्रिकेट का उदाहरण इस्तेमाल करने के लिए उनकी सराहना होनी चाहिए।

Last Updated- January 05, 2025 | 9:30 PM IST
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प्रतीकात्मक तस्वीर

रणनीतिक सोच के बारे में सबसे अच्छे उदाहरणों में से एक मुझे क्रिकेट के मैदान में नजर आया। खराब या कमजोर क्रिकेट कप्तान अपने फील्डर को उधर भेज देता है, जिस ओर बल्लेबाज ने पिछली गेंद मारी थी। लेकिन अच्छा कप्तान सबसे पहले बल्लेबाज की कमियों, पिच और हालात को भांपता है तथा अपने गेंदबाज की ताकत को ध्यान में रखते हुए इन सबके हिसाब से फील्डिंग सजाता है। अच्छा कप्तान हर गेंद के बाद बौखलाकर अपने फील्डरों की जगह नहीं बदलता है।

मुझे यह उदाहरण इतना अच्छा लगा कि मैं इसे अपने लेख में इस्तेमाल करना चाहता था। मगर यह सोचकर रुक गया कि कारोबारी और आर्थिक लेखन में क्रिकेट का छौंक लगाने की क्या तुक है? लेकिन विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मुझे हिम्मत दे दी है।

पिछले महीने के अंत में जयशंकर ने कहा कि कई लोग विदेश नीति को शतरंज की तरह मानते हैं, लेकिन हकीकत में यह क्रिकेट के अधिक करीब है। उन्होंने कहा, ‘यह क्रिकेट की तरह है क्योंकि सबसे पहले तो इसमें कई खिलाड़ी होते हैं। दूसरा, खेल के हालात बदलते रहते हैं। घर में खेलने और विदेश में खेलने में अंतर होता है। कई बार आपका भाग्य अंपायर की मर्जी पर टिका होता है। खेल के तरीके भी कई होते हैं।’

विदेश मंत्री क्रिकेटर मोहिंदर अमरनाथ की एक किताब के लोकार्पण के समय बोल रहे थे। अमरनाथ ने 1983 में भारत की पहली क्रिकेट विश्व कप जीत में अहम भूमिका निभाई थी। परंतु क्रिकेट का हवाला कई और जगहों पर भी दिया जाता है।

पिछले दिनों एक लेख में अभिषेक आनंद, जोश फेलमैन और अरविंद सुब्रमण्यन ने कहा था, ‘…2022 से विनिमय दर इतनी स्थिर या सपाट रही है, जितनी ऑस्ट्रेलिया में मेलबोर्न क्रिकेट ग्राउंड (एमसीजी) की पिच, जिसमें उछाल ही नहीं है।’ लेखक बता रहे थे कि भारतीय रिजर्व बैंक विनिमय दर को किस तरह संभाल रहा है। क्रिकेट का उदाहरण इस्तेमाल करने के लिए उनकी सराहना होनी चाहिए। रिजर्व बैंक के लिए भी यह नई बात नहीं है। पिछले महीने ही इसके गवर्नर के रूप में अपना कार्यकाल पूरा करने वाले शक्तिकांत दास अक्सर इसका सहारा लेते थे।
पिछले वर्ष नवंबर में बिज़नेस स्टैंडर्ड बीएफएसआई कार्यक्रम के दौरान मंच पर बातचीत में दास ने कहा था, ‘हरेक कैच उतना ही जरूरी और अहम होता है, जितना पहला कैच था। कभी-कभी आप एकदम आसान दिखने वाला कैच टपका देते हैं… कभी-कभी आप बेहद मुश्किल कैच लपक लेते हैं।’ वह रिजर्व बैंक के गवर्नर के तौर पर सामने आई चुनौतियों की बात कर रहे थे। 2023 में इसी कार्यक्रम में दास ने बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र के लोगों से कहा था, ‘लंबी पारी खेलिए, राहुल द्रविड़ की तरह खेलिए।’

ऐसा नहीं है कि केवल नियामक और मंत्री तथा अर्थशास्त्री ही क्रिकेट के उदाहरण पसंद करते हैं। पिछले वर्ष मार्च में गौतम अदाणी ने भी यह समझाने के लिए क्रिकेट का हवाला दिया था कि उनके समूह ने बुनियादी ढांचे कि विकास पर किस तरह असर डाला है। उन्होंने कहा, ‘अदाणी समूह ने बुनियादी ढांचा क्षेत्र पर उसी तरह असर डाला है, जैसे ट्वेंटी-20 क्रिकेट ने टेस्ट क्रिकेट पर।’

ऐसा भी नहीं है कि भारत के लोग ही क्रिकेट के उदाहरण इस्तेमाल करते हैं। एयर इंडिया के मुख्य कार्याधिकारी और प्रबंध निदेशक कैंपबेल विल्सन ने कहा था, ‘टाटा समूह के अधीन इस विमानन कंपनी में बदलाव टेस्ट क्रिकेट की तरह आ रहा है, ट्वेंटी-20 की तरह नहीं। … और अभी मैच के तीसरे दिन लंच जैसी स्थिति है।’ विल्सन न्यूजीलैंड में जन्मे हैं और 26 साल तक सिंगापुर एयरलाइंस के साथ काम करने के बाद 2022 में वह एयर इंडिया से जुड़े।

दूसरे देशों में कई अन्य खेल भी कारोबारी बातों में शामिल होते हैं, जैसे फुटबॉल का ‘सेल्फ गोल’। मगर इन खेलों के शब्द या जुमले क्रिकेट की तरह इतने ज्यादा नहीं दिखते। इसकी वजह यह है कि क्रिकेट की कल्पना बहुत आसानी से की जा सकती है। आपको दर्जनों घटनाएं मिल सकती हैं, जहां कारोबार और अर्थव्यवस्था से जुड़े लोग क्रिकेट की भाषा इस्तेमाल करते हैं। क्रिकेट के कुछ जुमले तो जमकर इस्तेमाल किए जाते हैं जैसे ‘गुगली डालना’, ‘सेफ खेलना’, ‘छक्का मारना’, ‘बैक फुट पर खेलना’, ‘फ्रंट फुट पर खेलना’, ‘रॉन्ग वन’, ‘स्कोर बोर्ड’, ‘कैच छूटना’, ‘नॉन-स्ट्राइकर’ और ‘दूसरी पारी।’

इसकी वजह यह भी हो सकती है कि बाकी खेलों के मुकाबले क्रिकेट में अनिश्चितता सबसे ज्यादा है। दूसरे खेलों में हो सकता है कि लंबे समय तक कुछ भी न हो मगर क्रिकेट में हरेक गेंद पर कुछ हो सकता है। गेंदबाज के हाथ से निकली गेंद कई तरह की हो सकती है जैसे अच्छी, बुरी, शॉर्ट, लॉन्ग, वाइड, विकेट पर, स्विंग, स्पिन आदि। ऐसी गेंदों पर कुछ भी हो सकता है मसलन एक रन, दो रन, तीन रन, चार रन, पांच रन, छह रन, कैच, बोल्ड, कॉट ऐंड बोल्ड, रन आउट, स्टंपिंग आदि। नो बॉल तो और भी मजेदार होती है क्योंकि बल्लेबाजी करने वाली टीम को उस पर मुफ्त का एक रन भी मिलता है और फ्री हिट भी मिलती है।

क्रिकेट में इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कितने अच्छे खिलाड़ी हैं या पिछले मैच में आपने कैसा खेला था। रोज आप नई शुरुआत करते हैं और आपका खेल अच्छा या बुरा हो सकता है। हो सकता है कि आप क्रिकेट के एक फॉर्मैट में जबरदस्त खेलें और दूसरे में नाकाम हो जाएं। क्रिकेट इकलौता खेल है, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तीन फॉर्मैट में खेला जाता है और उनमें से दो के तो विश्व कप भी होते हैं। शतरंज में भी अलग-अलग फॉर्मैट होते हैं मगर इतने अलग नहीं होते कि एक में मुकाबला तीन घंटे में खत्म हो जाए और दूसरे में पांच दिन तक चलता रहे।

अनिश्चितता हर कारोबार में होती है और हर कारोबारी अपनी रणनीति को सबसे कारगर मानता है। क्रिकेट में भी ऐसा ही होता है। रणनीतिक सोच को छोड़ भी दें तो कई लोग खेल का गेंद दर गेंद विश्लेषण करके ही अपनी रोटी कमा लेते हैं। कोच भी अपना विश्लेषण करते हैं। मगर खेल शुरू होने के बाद कप्तान की भूमिका अहम हो जाती है, सारे कोच और विश्लेषकों से भी ज्यादा अहम। कारोबारी दुनिया में यह भूमिका सीईओ निभाते हैं, जिन्हें बेहद अनिश्चितता भरे माहौल में अहम फैसले लेने होते हैं।

जयशंकर इसे समझते हैं। पुस्तक लोकार्पण के समय उन्होंने कहा, ‘…आखिर में काफी कुछ मनोविज्ञान पर निर्भर करता है। इस बात पर निर्भर करता है कि आप दूसरी टीम की सोच से कितना आगे सोच पाते हैं, उन्हें घबराने पर कितना मजबूर कर देते हैं।’

कारोबारी बातों में से तो क्रिकेट अभी कहीं नहीं जा रहा, रिजर्व बैंक मुख्यालय से तो बिल्कुल नहीं जा रहा। दास अब गवर्नर नहीं हैं, लेकिन उनके उत्तराधिकारी संजय मल्होत्रा को भी क्रिकेट के शब्दों से परहेज नहीं है। अपने पहले संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने कहा, ‘यहां मेरी पहली पारी है। अगर मैं पहले दिन, पहली गेंद से ही शॉट लगाने लगा तो ठीक नहीं होगा।’

First Published - January 5, 2025 | 9:30 PM IST

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