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निर्यात का भविष्य

Last Updated- April 16, 2023 | 8:42 PM IST
कम शुल्क दर से बढ़ेगा निर्यातExports will increase due to lower duty rate
BS

मार्च माह के व्यापारिक आंकड़े गत सप्ताह जारी किए गए और उसकी प्रमुख खबर यह रही कि पिछले साल की समान अव​धि की तुलना में वस्तु निर्यात में करीब 13 फीसदी की कमी आई। वहीं सालाना आधार पर वस्तु निर्यात 6 फीसदी बढ़कर 447 अरब डॉलर रहा। इससे वस्तु निर्यात वृद्धि को लेकर उत्साह को धक्का पहुंचा है।

वर्ष 2022-23 में कुल व्यापार घाटा उससे पिछले वर्ष के 83 अरब डॉलर से बढ़कर 122 अरब डॉलर हो गया। केंद्रीय उद्योग एवं वा​णिज्य मंत्रालय ने कहा है कि साल के दौरान निर्यात में 14 फीसदी की स्वस्थ वृद्धि होगी। ऐसा सेवा और इलेक्ट्रॉनिक वस्तु निर्यात के बेहतर आंकड़ों की बदौलत होगा।

वर्ष 2022-23 और उससे पिछले वर्ष के विस्तृत व्यापार के तुलनात्मक आंकड़ों का पाठ दिलचस्प नजर आता है। इलेक्ट्रॉनिक वस्तु निर्यात 50 फीसदी वृद्धि के साथ अलग नजर आता है लेकिन इलेक्ट्रॉनिक वस्तु निर्यात की कुल रा​शि अभी भी इंजीनियरिंग वस्तु निर्यात के एक चौथाई हिस्से के बराबर है जो डॉलर के हिसाब से सालाना आधार पर 4.5 फीसदी कम हुआ है।

इससे भी अ​धिक चिंतित करने वाली बात यह है कि श्रम साध्य सूती धागे और हथकरघा निर्यात में डॉलर के हिसाब से करीब 30 फीसदी की कमी आई। वस्तु निर्यात का यह प्रदर्शन इसलिए बढ़ाचढ़ा हुआ नजर आता है क्योंकि 2022-23 में पेट्रोलियम उत्पादों के निर्यात में 40 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिली। ऐसा तेल कीमतों में बदलाव तथा यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद भारतीय रिफाइनरों को मिले अवसर की बदौलत हुआ है।

वस्तु व्यापार के चिंतित करने वाले रुझान के बीच सेवा निर्यात में वृद्धि कुछ अर्थशास्त्रियों के मशविरे को बल प्रदान करने वाला नजर आता है। इनमें रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन शामिल हैं जिन्होंने यह पड़ताल करने को कहा था कि यह भारत के लिए किस प्रकार उपयोगी साबित हो सकता है।

नि​श्चित रूप से जब बात बाह्य खाते के मोर्चे पर वृहद ​स्थिरता हासिल करने ही होती है तो सेवा व्यापार का नजदीकी एकीकरण आवश्यक है। बहरहाल, जिस प्रकार आर्टिफि​शियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग का तेजी से विकास हो रहा है, यह स्पष्ट है कि भारत से जुड़ी आईटी सक्षम सेवा कंपनियों को भी अपने कारोबारी मॉडल बदलने होंगे।

सरकार को उन्हें यह अवसर देना चाहिए कि वे वै​श्विक आपूर्ति श्रृंखला को अ​धिक एकीकृत करने के तरीके तलाश करें, खासकर नियमन को सुसंगत बनाकर। एक आधुनिक डेटा गोपनीयता कानून की जरूरत है जो उन्नत निर्यात बाजारों की जरूरत को पूरा करता हो और यह सुनि​श्चित कर सके कि यूरोपीय संघ के मानकों पर भारत को डेटा की दृ​ष्टि से सुर​क्षित माना जा सके। अगर ऐसा होगा तभी आने वाले वर्षों में भारत की आईटीईएस कंपनियों का विकास हो सकेगा।

सेवा क्षेत्र एक अहम निर्यात क्षेत्र है वहीं अगर समग्र समृद्धि के माध्यम के रूप में निर्यात वृद्धि हासिल करनी है तो भारत को वस्तु बाजार में भी अपनी छाप मजबूत करनी होगी। इसके लिए भारतीय नीति निर्माताओं को यह सुनि​श्चित करना होगा कि एक कमतर और ​स्थिर शुल्क व्यवस्था लागू हो ताकि भारतीय उत्पादक वै​श्विक आपूर्ति श्रृंखला का हिस्सा बन सकें।

भारत ने बीते कुछ वर्षों में तमाम क्षेत्रों में शुल्क बढ़ाया है। इससे भारत चीन से दूरी बनाने वाली अर्थव्यवस्थाओं से पूरा लाभ अर्जित नहीं कर पाया है। अर्थशास्त्री अमिता बत्रा ने इसी समाचार पत्र में लिखा था कि वियतनाम ने बीते दशक में शुल्क में भारी कमी की और इससे उसके सकल निर्यात में विदेशी मूल्यवर्द्धन में सालाना 17.3 फीसदी की बढ़ोतरी हुई।

इससे वै​श्विक आपूर्ति श्रृंखला में उसकी अहमियत बढ़ने का संकेत मिला। इसके परिणामस्वरूप जहां विश्व व्यापार में भारत की हिस्सेदारी ​स्थिर बनी रही, वहीं वियतनाम की हिस्सेदारी 2010 के 0.5 फीसदी से बढ़कर 2020 में 1.6 फीसदी हो गई। भारतीय नीति निर्माताओं का भी अगर निर्यात को देश में रोजगार वृद्धि का कारक बनाना है तो उन्हें ऐसे ही सबक सीखने होंगे।

First Published - April 16, 2023 | 8:42 PM IST

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