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Editorial: ग्रिड में नवीकरणीय ऊर्जा का एकीकरण

भारत 2030 तक 500 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा के लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में बढ़ पाएगा।

Last Updated- June 03, 2025 | 10:24 PM IST
electricity consumption
प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो

नवीकरणीय ऊर्जा के विस्तार की दिशा में भारत के प्रयासों के सामने एक प्रमुख चुनौती है राष्ट्रीय ग्रिड में ऐसी ऊर्जा की कम खपत। नवीकरणीय ऊर्जा में प्रमुख तौर पर सौर, पवन तथा जल विद्युत शामिल हैं और इसकी कुल क्षमता देश की कुल स्थापित उत्पादन क्षमता की 40 फीसदी है मगर वास्तविक उत्पादन में अब भी कोयले वाले ईंधन का 78 फीसदी योगदान है। यह अंतर बताता है कि नवीकरणीय ऊर्जा को खपाने में राष्ट्रीय ग्रिड को किस तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

इस समाचार पत्र में प्रकाशित एक हालिया खबर में कहा गया कि ग्रिड प्रबंधन के लिए बड़ी चुनौती है ‘अत्यधिक नवीकरणीय ऊर्जा’ की खपत करना। इस विशिष्ट समस्या को सहजता से दूर करने यानी नवीकरणीय ऊर्जा को ग्रिड व्यवस्था में सहजता से मिलाना  जरूरी है क्योंकि ऐसा होने पर ही भारत 2030 तक 500 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा के लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में बढ़ पाएगा।

नवीकरणीय ऊर्जा दिन में उच्चतम स्तर पर रहती है, जिससे दिन में इसकी सबसे ज्यादा आपूर्ति होती है मगर अधिकतम मांग अक्सर शाम के समय होती है। ऊंची मांग वाले समय में नवीकरणीय ऊर्जा पर निर्भरता बहुत तेजी से कम हो जाती है और उस समय कोयले से बनी बिजली की तत्काल आवश्यकता होती है। नवीकरणीय ऊर्जा के उत्पादन में अचानक तेजी और अचानक गिरावट से ग्रिड में उथलपुथल मच सकती है और बिजली जा सकती है।

पिछले महीने स्पेन में बिजली गुल होने की जो घटना हुई थी, उसका कारण सौर ऊर्जा उत्पादन में आई एकाएक गिरावट को बताया गया था। गत वर्ष भारत के सौर ऊर्जा संपन्न राज्यों में बिजली जाने की घटनाएं हुईं। ऐसा भीषण गर्मी के समय हुआ, जब मांग बहुत अधिक होती है। देश में ग्रिड चलाने वाली ग्रिड इंडिया के अधिकारी भी अब तक विकल्प तलाश रहे हैं ताकि मांग और आपूर्ति में गड़बड़ी को दूर किया जा सके। इसमें ताप बिजली घरों को दो पालियों में चलाने यानी सुबह और शाम ढलने पर चलाने का विकल्प भी शामिल है। कोशिश यह भी है कि धूप जैसे ही खत्म हो, नवीकरणीय ऊर्जा को ऑफलाइन कर दिया जाए।

दूसरा विकल्प यह है कि ताप बिजली संयंत्रों को 40-45 की ताप दर पर चलाया जाए और नवीकरणीय ऊर्जा कमजोर पड़ने पर इसकी क्षमता बढ़ा दी जाए। ताप दर से तात्पर्य है इलेक्ट्रिकल ऊर्जा के उत्पादन में ताप बिजली का योगदान। केंद्रीय विद्युत नियामक प्राधिकरण भी ऐसे नियमन की तलाश कर रहा है जो ताप बिजली उत्पादकों को ताप दर कम करने पर मुआवजा दिया जा सके।

ये तमाम उपाय महत्त्वपूर्ण हैं लेकिन बैटरी ऊर्जा भंडारण के मजबूत ढांचे का विकल्प ये नहीं हो सकते। सरकार की बिजली नीति नियोजन सलाहकार संस्था केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) के मुताबिक भारत को उच्च सौर और पवन ऊर्जा क्षमता को ग्रिड में शामिल करने के लिए 74 गीगावॉट ऊर्जा भंडारण क्षमता की आवश्यकता होगी। सीईए ने हाल में एक मशविरा जारी किया है, जिसके तहत सौर ऊर्जा परियोजनाओं के साथ ऊर्जा भंडारण की व्यवस्था भी स्थापित करनी होगी।

सीईए ने यह भी आवश्यक किया है कि सभी नवीकरणीय ऊर्जा क्रियान्वयन एजेंसियों की भविष्य की निविदा में दो घंटे के ऊर्जा भंडारण की सह-स्थापना की व्यवस्था की जाए। बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम को सबसे अधिक किफायती तकनीक माना जाता है, जो नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से हासिल होने वाली बिजली की आपूर्ति को संतुलित कर सकती है। हमारे देश में ऐसी स्टोरेज की केवल 219 मेगावॉट क्षमता है। इसके अलावा हमारे यहां 4.7 गीगावॉट की परिचालित पंप्ड हाइड्रो स्टोरेज क्षमता है। चीन को देखें तो वहां बैटरी एनर्जी स्टोरेज की व्यवस्थित मूल्य श्रृंखला है इस वर्ष उसकी स्थापित भंडारण क्षमता 70 गीगावॉट के पार जाने की उम्मीद है।

भारत में बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम तकनीक को अपनाने में लागत से जुड़ी नीतिगत अनिश्चितता (महंगी और आयात आधारित लीथियम ऑयन तकनीक के कारण), मूल्य निर्धारण गारंटी और पूंजी ऑफसेट नियमों की कमी तथा अपशिष्ट प्रबंधन के लिए दिशा-निर्देश न होने की दिक्कतें हैं। यदि नवीकरणीय ऊर्जा को भारत की तेजी से बढ़ती ऊर्जा मांग का अभिन्न अंग बनना है तो बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम तकनीक को अपनाने में बुनियादी नीतिगत बाधाओं पर काम करना सही शुरुआत होगी।

First Published - June 3, 2025 | 10:08 PM IST

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