ऑनलाइन गेमिंग संवर्धन और विनियमन विधेयक, 2025 बुधवार को लोक सभा में पारित हो गया। यह विधेयक कुछ अन्य बातों के अलावा देश में ऑनलाइन गेमिंग में पैसों के लेनदेन को प्रतिबंधित करने से संबंधित है। अनुमान के मुताबिक ही सरकार के इस कदम ने ऑनलाइन गेमिंग उद्योग में हलचल पैदा कर दी है। खबरें बताती हैं कि इसके चलते हजारों उच्च कौशल वाले रोजगारों पर संकट की तलवार लटकने लगी है। विधेयक में जिन उद्देश्यों और कारणों का उल्लेख किया गया है उनके मुताबिक ऑनलाइन गेमिंग में पैसों का इस्तेमाल होने से देश भर में गंभीर सामाजिक, आर्थिक और मनोवैज्ञानिक मुश्किलें पैदा हो गई हैं क्योंकि मोबाइल और कंप्यूटर के माध्यम से ये गेम बहुत व्यापक रूप से प्रसारित हो चुके हैं। ये प्लेटफॉर्म ऐसे लत वाले व्यवहार को बढ़ावा देते हैं जिनका परिणाम मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों और वित्तीय नुकसान के रूप में सामने आता है। ऐसे प्लेटफॉर्म के कारण धोखाधड़ी और शोषण की घटनाएं भी सामने आई हैं। ऐसे में बाजार के इस हिस्से का विनियमन करने के बजाय यह जनहित में है कि इस पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया जाए।
ऐसे में, विधेयक के प्रासंगिक प्रावधानों का उल्लंघन करके ऑनलाइन धन कमाने संबंधी गेमिंग सेवा प्रदान करने वाले किसी भी व्यक्ति को तीन साल तक की कैद या 1 करोड़ रुपये तक का जुर्माना या दोनों से दंडित किया जाएगा। मीडिया में विज्ञापन जारी करना या पैसे वाले गेम से संबंधित धनराशि के लेनदेन में शामिल होने पर भी दंडित किया जाएगा। अगर यह विधेयक अपने मौजूदा स्वरूप में पारित होता है तो देश में औपचारिक ऑनलाइन गेमिंग कारोबार का हमेशा के लिए पटाक्षेप हो जाएगा। साफ कहें तो इस बात से असहमति नहीं जताई जा सकती है कि ऑनलाइन गेमिंग एक लत की तरह है जो मानसिक और वित्तीय दोनों स्तरों पर प्रभावित करती है। बहरहाल, इस बात पर बहस हो सकती है कि क्या पूरी तरह प्रतिबंधित करना ही उपरोक्त समस्याओं का सही हल है। भारत में प्रतिभाशाली डेवलपर की एक पूरी फौज है जो तरह-तरह के गेम तैयार करती है और यह उद्योग बहुत तेज गति से बढ़ रहा है। भारत में ऑनलाइन गेम्स विकसित करने का वैश्विक केंद्र बनने की संभावना है।
उद्योग जगत के संगठनों के मुताबिक स्किल गेमिंग कंपनियों का कारोबारी मूल्य 2 लाख करोड़ रुपये है और अब तक यह 25,000 करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश जुटा चुका है। सरकार के लिए बेहतर होता कि वह इस क्षेत्र के अंशधारकों और विशेषज्ञों से चर्चा करने के बाद ही विधेयक को पेश करती। ऑनलाइन पैसे कमाने से संबंधित गेम्स को प्रतिबंधित करने के बजाय समुचित नियमन की मदद से देश के हितों का बेहतर संरक्षण किया जा सकता था। सीधे प्रतिबंध लगाने के बाद एक संभावना यह है कि ऐसी गतिविधियों को गैर कानूनी तरीके से अंजाम दिया जाने लगे। यदि ऐसा हुआ तो ऑनलाइन गेमिंग से जुड़े लोगों के शोषण और उनके साथ धोखाधड़ी की आशंकाएं बढ़ जाएंगी। इंटरनेट की पहुंच को देखते हुए सरकार के लिए यह बहुत कठिन होगा कि भूमिगत रूप से इसे संचालित करने वालों तक पहुंच सके। इसके अलावा सरकार कर राजस्व भी गंवा बैठेगी। इन सभी पहलुओं पर अब संसद में बहस होनी चाहिए।
धन आधारित खेलों पर प्रतिबंध बड़ी संख्या में लोगों का ध्यान इनकी ओर आकर्षित करेगा। विधेयक ऑनलाइन गेमिंग के नियमन और संवर्धन का व्यापक औपचारिक ढांचा भी मुहैया कराता है। उदाहरण के लिए विधेयक में ऑनलाइन गेमिंग के लिए एक प्राधिकरण की स्थापना का प्रावधान है। माना जा रहा है कि केंद्र सरकार ई-स्पोर्ट को मान्यता देने और प्राधिकरण के साथ पंजीकृत करने के लिए जरूरी कदम उठाएगी। विधेयक ऑनलाइन गेमिंग पर एक प्राधिकरण की कल्पना करता है। ई-स्पोर्ट के लिए दिशानिर्देश तैयार किए जाएंगे। ई-स्पोर्ट्स को बढ़ावा देने के लिए प्रशिक्षण अकादमी और शोध केंद्र तैयार करने का प्रावधान भी है। देश में ऑनलाइन गेमिंग के विकास और उसे बढ़ावा देने के लिए भी कई प्रावधान हैं। ऐसे भी प्रावधान हैं जो सामाजिक खेलों के विकास की सुविधा देते हैं। कुल मिलाकर ऑनलाइन गेमिंग के लिए कानूनी ढांचा मुहैया कराने की बात के साथ यह विधेयक दूरदर्शी प्रतीत होता है। इससे वृद्धि और विकास में मदद मिलेगी हालांकि, ऑनलाइन धन आधारित गेम पर प्रतिबंध उसी भावना के अनुरूप नहीं है।