देश में साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में काम कर रही कंपनियां राजस्व और विस्तार के मामले में तेजी से तरक्की कर रही हैं। भारतीय डेटा सुरक्षा परिषद (डीएससीआई) की गुरुवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि साइबर सुरक्षा उत्पाद कंपनियों को 2026 में लगभग 6 अरब डॉलर का राजस्व प्राप्त होने की उम्मीद है। यह पिछले साल 4.46 अरब डॉलर था।
देश में अब 400 से अधिक साइबर सुरक्षा उत्पाद कंपनियां हैं, जो पिछले पांच वर्षों में 34 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ी हैं। रिपोर्ट के अनुसार 2020 में इन कंपनियों का संयुक्त वार्षिक राजस्व 1.05 अरब डॉलर था। डीएससीआई इंडियन साइबर सुरक्षा उत्पाद परिदृश्य रिपोर्ट के अनुसार इन कंपनियों में से लगभग 55 प्रतिशत वैश्विक बाजारों में काम करती हैं, जिनके ग्राहक मुख्य रूप से उत्तरी अमेरिका, पश्चिम एशिया और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में हैं। ये देश इन कंपनियों के लिए महत्त्वपूर्ण बाजार के रूप में उभरे हैं।
डीएससीआई ने कहा कि इन अंतरराष्ट्रीय बाजारों में ग्राहक आधार होने के बावजूद कई कंपनियां भागीदारों के माध्यम से काम करती हैं, क्योंकि इनमें से केवल 17 प्रतिशत के ही विदेशों में भौतिक कार्यालय हैं। देश के भीतर कर्नाटक, दिल्ली-एनसीआर और महाराष्ट्र इन कंपनियों के लिए बड़े बाजार हैं।
संयोग से साइबर सुरक्षा उत्पादों और सेवाओं की कंपनी क्विक हील टेक्नॉलजीज की उद्यम शाखा सीक्राइट की एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार महाराष्ट्र, गुजरात और दिल्ली साइबर सुरक्षा घटनाओं से सबसे अधिक प्रभावित राज्य हैं।
गुरुवार को जारी इंडिया साइबर थ्रेट रिपोर्ट 2026 में सीक्राइट ने अक्टूबर 2024 और सितंबर 2025 के बीच 26.55 करोड़ साइबर सुरक्षा घटनाओं का पता लगाया। इसका मतलब है कि कंपनी ने हर मिनट 505 से अधिक घटनाओं का खुलासा किया।
साइबर सुरक्षा फर्म एम्पकस साइबर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी दीप चंदा ने कहा, ‘इससे पता चलता है कि भारत के तेजी से डिजिटल परिवर्तन की ओर बढ़ते कदम के बीच साइबर हमले भी नए-नए तरीके से कंपनियों के लिए खतरा बनकर उभरे हैं।’
डीएससीआई की रिपोर्ट के अनुसार इन साइबर हमलों में से लगभग 31 प्रतिशत में आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) संचालित आपूर्ति श्रृंखला समझौते और समन्वित वेक्टर का इस्तेमाल किया गया। तुलनात्मक रूप से लगभग 29 प्रतिशत निजी मैलवेयर और एआई तकनीक से उपजे हैं।