facebookmetapixel
Diwali Stocks Picks: एक साल में 27% तक रिटर्न! बजाज ब्रोकिंग ने चुने 2 दमदार शेयरHCLTech Q2 result: दूसरी तिमाही में कंपनी को ₹4,235 करोड़ का मुनाफा, रेवेन्यू ₹31 हजार करोड़ के पारDiwali 2025: जानें गिफ्ट और खरीदारी पर कहां लगेगा टैक्स और कहां मिलेगी छूटRetail Inflation: सितंबर में खुदरा महंगाई घटकर 1.54% पर आई, फूड इंफ्लेशन घटकर -2.28% रहीभारत-अमेरिका व्यापार समझौता पर फिर बातचीत होगी शुरू, इस हफ्ते एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल जाएगा USSBI MF ने भी Silver ETF FoF में नए निवेश पर लगाई रोक, हाई प्रीमियम का सता रहा डरITR Refund Delay: रिफंड स्टेटस ‘प्रोसेस्ड’ दिख रहा, लेकिन पैसा अकाउंट में नहीं आया? ऐसे करें समाधानNobel Prize 2025: अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार जोएल मोकीर, फिलिप एघियन और पीटर हॉविट को मिलानिवेशकों को मिलेगा एक और सुरक्षा कवच! सेबी ने कहा- MF ट्रस्टीज लागू करें अर्ली वॉर्निंग सिस्टम1 महीने में 19% तक मिल सकता है रिटर्न, ब्रोकरेज को इन 3 तगड़े स्टॉक्स पर दिखा ब्रेकआउट

गोल्ड से होने वाली कमाई पर आपको कितना देना होगा टैक्स?

वित्त वर्ष 2024-25 के लिए पिछले महीने पेश किए पूर्ण बजट में टैक्स नियमों में हुए बदलाव 1 अप्रैल 2025 से प्रभावी होंगे।

Last Updated- September 03, 2024 | 7:25 PM IST
Gold surges past $3,100 as US tariffs

Taxes on gold redemption: सोने (gold) में निवेश को लेकर लोग फिलहाल बेहद उत्साहित हैं। इसकी बड़ी वजह कीमतों में आगे और तेजी की संभावना है। लेकिन आम लोग गोल्ड की खरीद-बिक्री से संबंधित टैक्स नियमों को लेकर  ज्यादा सजग नहीं होते। वित्त वर्ष 2024-25 के लिए पिछले महीने पेश किए पूर्ण बजट में टैक्स नियमों में किए गए बदलाव के बाद तो लोग और भी ज्यादा कन्फ्यूज्ड हैं। यदि आप इस त्यौहारी सीजन के दौरान सोना खरीदने जा रहे हैं तो इस बात की जानकारी जरूर ले लें कि आखिर सोने के अलग-अलग फॉर्म में निवेश करने पर कैसे और कितना टैक्स लगता है?

अब सोने के अलग-अलग फॉर्म में निवेश पर टैक्स नियमों को जानते हैं :

फिजिकल गोल्ड (physical gold)

खरीदने के समय

गोल्ड ज्वेलरी खरीदने के समय गोल्ड की कीमत के ऊपर 3 फीसदी जीएसटी (GST) चुकाना होता है। जबकि मेकिंग चार्ज पर 5 फीसदी जीएसटी का प्रावधान है। इसको इस तरह से समझते  हैं – मान लीजिए आपने 1 लाख रुपये सोने की कीमत का ज्वेलरी खरीदा, जिस पर मेकिंग चार्ज 10 फीसदी यानी 10 हजार रुपये है। इस मामले में आपको 1 लाख रुपये सोने की कीमत पर 3 फीसदी जीएसटी यानी 3 हजार रुपये देने होंगे। जबकि 10 हजार रुपये के मेकिंग चार्ज पर 5 फीसदी जीएसटी यानी 500 रुपये। इस तरह से आपको कुल 1,10,500 रुपये चुकाने होंगे।

गोल्ड ज्वेलरी  की खरीद पर  टैक्स की गणना :

गोल्ड का बेस प्राइस – 1,00,000 रुपये (6 फीसदी इंपोर्ट ड्यूटी मिलाकर)

गोल्ड के बेस प्राइस पर 3 फीसदी जीएसटी – 3,000 रुपये

कुल : 1,0,3000 रुपये

मेकिंग चार्ज 10 फीसदी (बेस प्राइस पर) – 10,000 रुपये

कुल: 1,13,000 रुपये

मेकिंग चार्ज पर 5 फीसदी जीएसटी : 500 रुपये

कुल: 1,13,500 रुपये

फिजिकल गोल्ड  बेचने के समय

जब आप फिजिकल फॉर्म में खरीदे गए सोने यानी यानी ज्वेलरी (गहने), सिक्के, बार (बिस्किट) बेचते हैं तो टैक्स होल्डिंग पीरियड (खरीदने के दिन से लेकर बेचने के दिन तक की अवधि) के आधार पर लगता है।

23 जुलाई 2024 से पहले के नियमों  के अनुसार अगर आप फिजिकल गोल्ड खरीदने के बाद 36 महीने पूरे होने से पहले बेच देते हैं तो होने वाली कमाई यानी कैपिटल गेन को शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन (STCG) माना जाएगा। जो आपके ग्रॉस टोटल इनकम में जोड़ दिया जाएगा और आपको अपने टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स चुकाना होगा। लेकिन अगर आप 36 महीने पूरे होने के बाद बेचते हैं तो कैपिटल गेन पर इंडेक्सेशन के फायदे के साथ 20 फीसदी (सेस मिलाकर 20.8 फीसदी) लांग-टर्म कैपिटल गेन (LTCG) टैक्स देना होगा। इंडेक्सेशन के तहत महंगाई के हिसाब से परचेज प्राइस को बढ़ा दिया जाता है, जिससे कैपिटल गेन में कमी आती है है और टैक्स देनदारी घटती है।

लेकिन बजट 2024 में किए गए बदलाव के मुताबिक यदि आप 23 जुलाई 2024 या उसके बाद फिजिकल गोल्ड खरीदने के बाद 24 महीने पूरे होने से पहले बेच देते हैं तो होने वाली कमाई यानी कैपिटल गेन को शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन (STCG) माना जाएगा। जो आपके ग्रॉस टोटल इनकम में जोड़ दिया जाएगा और आपको अपने टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स चुकाना होगा। लेकिन अगर आप 24 महीने पूरे होने के बाद बेचते हैं तो कैपिटल गेन पर बगैर इंडेक्सेशन के फायदे के साथ 12.5 फीसदी लांग-टर्म कैपिटल गेन (LTCG) टैक्स चुकाना होगा।

डिजिटल गोल्ड (Digital gold) 

फिजिकल गोल्ड की तरह डिजिटल गोल्ड की खरीद पर भी आपको 3 फीसदी जीएसटी चुकाना होता है। इसकी बिक्री से होने वाले कैपिटल गेन पर भी टैक्स के मौजूदा नियम फिजिकल गोल्ड जैसे हैं। नए नियम भी फिजिकल गोल्ड की तरह ही होंगे।

गोल्ड ईटीएफ (Gold ETF)

मौजूदा नियमों के अनुसार गोल्ड ईटीएफ पर टैक्स डेट फंड/ debt fund (35 फीसदी से ज्यादा एक्सपोजर इक्विटी में नहीं) की तरह लगता है। मतलब अगर आप इन्हें बेचते हैं तो उससे होने वाली कमाई को आपकी कुल आय में जोड़ दिया जाएगा। जिस पर आपको अपने टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स चुकाना होगा।

1 अप्रैल 2023 से पहले डेट फंड की तर्ज पर गोल्ड ईटीएफ और गोल्ड म्युचुअल फंड पर भी इंडेक्सेशन के फायदे के साथ 20 फीसदी (सेस मिलाकर 20.8 फीसदी) लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन टैक्स (LTCG) का प्रावधान था, बशर्ते आप खरीदने के 36 महीने पूरे होने के बाद बेचते हैं।

लेकिन नए नियमों के मुताबिक यदि आप 1 अप्रैल 2025 या उसके बाद खरीदे गए गोल्ड ईटीएफ को 12 महीने पूरे होने से पहले बेच देते हैं तो होने वाली कमाई यानी कैपिटल गेन को शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन (STCG) माना जाएगा। जो आपके ग्रॉस टोटल इनकम में जोड़ दिया जाएगा और आपको अपने टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स चुकाना होगा। लेकिन अगर आप 12 महीने पूरे होने के बाद बेचते हैं तो कैपिटल गेन पर बगैर इंडेक्सेशन के फायदे के साथ 12.5 फीसदी लांग-टर्म कैपिटल गेन (LTCG) टैक्स चुकाना होगा।

गोल्ड म्युचुअल फंड (Gold mutual fund)

मौजूदा नियमों के अनुसार गोल्ड म्युचुअल फंड पर टैक्स डेट फंड की तरह लगता है। मतलब अगर आप इन्हें बेचते हैं तो उससे होने वाली कमाई को आपकी कुल आय में जोड़ दिया जाएगा। जिस पर आपको अपने टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स चुकाना होगा।

1 अप्रैल 2023 से पहले डेट फंड की तर्ज पर गोल्ड म्युचुअल फंड पर भी इंडेक्सेशन के फायदे के साथ 20 फीसदी (सेस मिलाकर 20.8 फीसदी) लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन टैक्स (LTCG) का प्रावधान था, बशर्ते आप खरीदने के 36 महीने पूरे होने के बाद बेचते हैं।

लेकिन नए नियमों के मुताबिक यदि आप 1 अप्रैल 2025 या उसके बाद खरीदे गए गोल्ड म्युचुअल फंड को 24 महीने पूरे होने से पहले बेच देते हैं तो होने वाली कमाई यानी कैपिटल गेन को शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन (STCG) माना जाएगा। जो आपके ग्रॉस टोटल इनकम में जोड़ दिया जाएगा और आपको अपने टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स चुकाना होगा। लेकिन अगर आप 24 महीने पूरे होने के बाद बेचते हैं तो कैपिटल गेन पर बगैर इंडेक्सेशन के फायदे के साथ 12.5 फीसदी लांग-टर्म कैपिटल गेन (LTCG) टैक्स चुकाना होगा।

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (Sovereign Gold Bond)

मैच्योरिटी के बाद रिडेम्प्शन

पेपर गोल्ड में निवेश के एक अन्य बेहद प्रचलित विकल्प यानी सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड पर टैक्स नियम अलग हैं। नियमों के अनुसार अगर आप सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड को उसकी मैच्योरिटी यानी 8 साल तक होल्ड करते हैं तो रिडेम्प्शन के समय आपको कोई टैक्स नहीं देना होगा।

प्रीमैच्योर रिडेम्प्शन

23 जुलाई 2024 से पहले के नियमों  के अनुसार अगर आपने मैच्योरिटी पीरियड से पहले रिडीम किया तो टैक्स फिजिकल गोल्ड की तरह ही लगेगा। मतलब अगर आप सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड खरीदने के बाद 36 महीने से पहले बेच देते हैं तो होने वाली कमाई यानी कैपिटल गेन को शार्ट-टर्म कैपिटल गेन (STCG) माना जाएगा। जो आपके ग्रॉस टोटल इनकम में जोड़ दिया जाएगा और आपको अपने टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स चुकाना होगा। लेकिन अगर आप 36 महीने बाद बेचते हैं तो कैपिटल गेन पर इंडेक्सेशन के फायदे के साथ 20 फीसदी (सेस और सरचार्ज मिलाकर 20.8 फीसदी) लांग-टर्म कैपिटल गेन (LTCG) टैक्स देना होगा।

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड को पांच साल के बाद रिडीम करने का विकल्प होता है। साथ ही वैसे बॉन्ड धारक जिन्होंने डीमैट फॉर्म में भी बॉन्ड लिया है वे कभी भी स्टॉक एक्सचेंज पर इसे बेच सकते हैं।

लेकिन नए नियमों के मुताबिक यदि आप 23 जुलाई 2024 को  या उसके बाद  सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड को  12 महीने पूरे होने से पहले बेच देते हैं तो होने वाली कमाई यानी कैपिटल गेन को शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन (STCG) माना जाएगा। जो आपके ग्रॉस टोटल इनकम में जोड़ दिया जाएगा और आपको अपने टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स चुकाना होगा। लेकिन अगर आप 12 महीने पूरे होने के बाद बेचते हैं तो कैपिटल गेन पर बगैर इंडेक्सेशन के फायदे के साथ 12.5 फीसदी लांग-टर्म कैपिटल गेन (LTCG) टैक्स चुकाना होगा।

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड पर प्रत्येक वित्त वर्ष 2.5 फीसदी ब्याज (कूपन)  भी मिलता है। लेकिन इस ब्याज पर टैक्स में छूट नहीं है। मतलब यह ब्याज अन्य स्रोतों से होने वाली आय के तौर पर आपके ग्रॉस इनकम में जुड़ जाएगा और आपको टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स देना होगा। एक बात और — सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में मिलने वाले ब्याज पर टीडीएस का प्रावधान नहीं है।

First Published - September 2, 2024 | 7:18 PM IST

संबंधित पोस्ट