SIP vs Lumpsum: म्यूचुअल फंड में निवेश को लेकर रिटेल निवेशकों का उत्साह बना हुआ है। बाजार में उतार-चढ़ाव के बावजूद, दिसंबर 2024 में लगातार 46वें महीने इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में निवेश का सिलसिला जारी रहा। खासकर, सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) के जरिए निवेशकों ने जमकर पैसा लगाया।
दिसंबर 2024 में SIP के जरिए रिकॉर्ड 26,459.5 करोड़ रुपये का निवेश दर्ज किया गया। यह निवेशकों के बीच SIP की बढ़ती लोकप्रियता को दिखाता है।
अब सवाल यह है कि म्यूचुअल फंड में लंबी अवधि के लिए SIP बेहतर है या एकमुश्त (लंपसम) निवेश? विशेषज्ञों का मानना है कि यह पूरी तरह निवेशक की निवेश क्षमता, रिस्क प्रोफाइल और निवेश की अवधि पर निर्भर करता है।
SIP म्यूचुअल फंड में निवेश करने का एक लोकप्रिय और सुविधाजनक तरीका बन गया है। इसे लंबी अवधि के लिए सबसे बेहतर विकल्प माना जाता है। बीपीएन फिनकैप के डायरेक्टर एके निगम का कहना है कि SIP का सबसे बड़ा फायदा है रुपी कॉस्ट एवरेजिंग। यह निवेशकों को बाजार के उतार-चढ़ाव का फायदा उठाने का मौका देता है। जब बाजार गिरता है, तो निवेशकों को ज्यादा यूनिट्स खरीदने को मिलती हैं, और बाजार के बढ़ने पर इन यूनिट्स की वैल्यू भी बढ़ जाती है।
SIP का दूसरा अहम फायदा है कंपाउंडिंग का जादू, जो लंबे समय में निवेश को कई गुना बढ़ा देता है। इसमें आपके पैसे पर मिलने वाला ब्याज भी समय के साथ ब्याज कमाने लगता है।
Personal CFO कंसल्टेंट्स के सीईओ सुशील जैन का मानना है कि कंपाउंडिंग का फायदा लेने के लिए SIP सबसे सही तरीका है।
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SIP की खास बात यह है कि यह निवेश को आसान और अनुशासित बनाता है। एके निगम के अनुसार, हर महीने बैंक से तय राशि कटने की सुविधा से निवेशक को यह चिंता नहीं रहती कि कब और कितना निवेश करना है। साथ ही, यह प्लान फ्लेक्सिबल है, यानी आप अपनी जरूरत और बजट के अनुसार राशि तय कर सकते हैं।
सुशील जैन का कहना है कि SIP में छोटे-छोटे निवेश से भी लंबी अवधि में बड़ा फंड बनाया जा सकता है। यह बाजार की अस्थिरता का फायदा उठाने और जोखिम को कम करने में मदद करता है।
SIP को सही तरीके से मैनेज करना निवेशकों के लिए जरूरी है, ताकि वे अपने वित्तीय लक्ष्यों को आसानी से हासिल कर सकें। बीपीएन फिनकैप के डायरेक्टर एके निगम के मुताबिक, SIP को मैनेज करने के लिए कुछ आसान टिप्स अपनाए जा सकते हैं।
सबसे पहले, अपने SIP निवेश की नियमित समीक्षा करें। इससे यह पता चलता है कि आपका निवेश सही दिशा में है या नहीं। जैसे-जैसे आपकी आय बढ़ती है, SIP की राशि बढ़ाना भी जरूरी है। यह आपको अपने वित्तीय लक्ष्यों तक जल्दी पहुंचने में मदद करेगा।
निगम के अनुसार, अपने निवेश को डाइवर्सिफाई करें। यानी, सिर्फ एक ही फंड में निवेश करने के बजाय अलग-अलग फंड्स और एसेट क्लासेस में पैसा लगाएं। यह जोखिम को कम करता है।
आखिर में, SIP को अपने वित्तीय लक्ष्यों से जोड़ें। चाहे वह बच्चों की पढ़ाई हो, घर खरीदना हो, या रिटायरमेंट प्लानिंग, लक्ष्य आधारित प्लानिंग से आपका निवेश ज्यादा प्रभावी हो जाएगा। इन आसान तरीकों से आप अपने SIP को बेहतर तरीके से मैनेज कर सकते हैं और अपने वित्तीय भविष्य को सुरक्षित बना सकते हैं।
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पर्सनल CFO कंसल्टेंट्स के सीईओ का कहना है कि SIP उन निवेशकों के लिए बेहतर विकल्प है, जिनके पास एकमुश्त पैसा नहीं है लेकिन वे भविष्य में बड़ा फंड बनाना चाहते हैं।
इसके अलावा, जिन लोगों की रेगुलर इनकम है और जो उस आय से एक निश्चित हिस्सा बचाकर नियमित अंतराल पर निवेश करने के लिए तैयार हैं, उनके लिए SIP एक बेहतर ऑप्शन हो सकता है।
यहां 10 साल के लिए निवेश लक्ष्य के नजरि ए से SIP और एकमुश्त निवेश के रिटर्न की कैलकुलेशन को समझते हैं-
मान लीजिए अगर आप हर महीने 10,000 रुपये का मंथली SIP शुरू करते हैं। आप 10 साल तक इसमें निवेश जारी रखते हैं और सालाना औसत रिटर्न 12 फीसदी रहता है, तो आपका कुल कॉपर्स 23,23,391 रुपये होगा। इसमें आपका कुल निवेश 12 लाख रुपये और अनुमानित रिटर्न 11,23,391 रुपये होगा।
दूसरी ओर, अगर आपके पास एकमुश्त 12 लाख रुपये हैं और म्युचुअल फंड की इक्विटी स्कीम में उसे निवेश करते हैं। साथ ही सालाना औसत रिटर्न 12 फीसदी रहता है तो आपका कुल कॉपर्स 37,27,018 रुपये का होगा। इसमें आपको अनुमानित रिटर्न 25,27,018 रुपये होगा।
इस तरह, एसआईपी के मुकाबले एकमुश्त निवेश पर कम्पाउंडिंग का फायदा ज्यादा है। हालांकि, यहां यह ध्यान जरूर रखें कि शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव का असर आपके फंड की परफॉर्मेंस पर होता है। साथ ही किसी भी फंड का पिछला रिटर्न भविष्य के रिटर्न की गारंटी नहीं होता है।