आयकर रिटर्न दाखिल करने की आखिरी तारीख 31 जुलाई है और नजदीक आ रही है। अगर आप पहली बार रिटर्न दाखिल करने जा रहे हैं तो कुछ बुनियादी बातों का ध्यान जरूर रखिए। सबसे पहली बात तो यही है कि 31 जुलाई तक रिटर्न भर दीजिए ताकि आप पर जुर्माना नहीं लगे। इसके बाद कई ऐसे पहलू हैं, जो आपकी नजर में रहने चाहिए।
कर योग्य कुल आय
आपको वेतन समेत सभी स्रोतों से जो भी कुल कमाई होती है, उसमें से आयकर अधिनियम के तहत मानक कटौती और भविष्य निधि जैसे मदों के तहत कटी रकम घटा दी जाती है। आपका कुछ निवेश भी कुल आय में से घटा दिया जाता है। उसके बाद बची आय ही कर योग्य आय होती है।
आयकर प्रणाली
भारत में इस समय दो आयकर प्रणाली चल रही हैं: पुरानी और नई। नई प्रणाली 2020 में लाई गई थी, जिसमें आयकर की दरें भी अलग हैं और छूट की दर भी अलग है। मगर इसमें कुछ खास तरह की कटौती और छूट नहीं मिल पाती हैं। अगर आप रिटर्न भरते समय यह नहीं बताते हैं कि आपको कौन सी प्रणाली चुननी है तो नई प्रणाली को ही आपकी पसंद मान लिया जाएगा। इसलिए सबसे पहले दोनों प्रणालियों के फायदे या नुकसान समझ लीजिए और उसके बाद उनमें से एक चुनिए।
जरूरी दस्तावेज
रिटर्न भरना शुरू करने से पहले सभी जरूरी वित्तीय कागजात अपने पास रख लीजिए। अगर आप नौकरीपेशा हैं तो आपके दफ्तर से मिला फॉर्म 16 सबसे जरूरी है। इसके बाद आपका बैंक स्टेटमेंट होना चाहिए, कर बचाने के इरादे से आपने जो भी निवेश किया है, उसके सबूत भी आपके पास रहें। अगर आप किराये भत्ते (एचआरए) पर छूट का दावा कर रहे हैं तो किराये की रसीद रखिए। होम लोन लिया हो तो ब्याज कटौती के लिए लोन स्टेटमेंट लाइए। पैन कार्ड और आधार कार्ड तो जरूरी है।
जांचिए फॉर्म 26एएस
आपकी समूची आय और उस पर काटे गए टीडीएस का पूरा ब्योरा फॉर्म 26एएस में दिया होता है। कर और रिटर्न सटीक तरीके से भरने के लिए यह जरूरी है।
एनुअल इन्फॉर्मेशन स्टेटमेंट
इसमें ब्याज, लाभांश, शेयरों के सौदों से हुई आय और विदेश से आए पैसे का पूरा विवरण होता है। यह सब आपके रिटर्न में पहले से ही भरा होता है।
सही आईटीआर फॉर्म
आयकर विभाग अलग-अलग श्रेणी के करदाताओं के लिए हर साल अलग-अलग रिटर्न फॉर्म निकालता है। समझबूझकर सही फॉर्म ही चुनें।
सही कटौती का दावा
आयकर अधिनियम की धारा 80 सी (1.5 लाख रुपये तक कटौती), 80डी (स्वास्थ्य बीमा), 80टीटीए (दान) के तहत कटौती होने से आपकी कर योग्य आय कम हो जाती है और कर देनदारी भी घट जाती है। इसलिए रिटर्न भरते समय हर तरह की कटौती और छूट का दावा पक्के तौर पर कर लें।
भरें समय से
समय से आयकर रिटर्न नहीं भरा तो जुर्माना और ब्याज भरना पड़ सकता है। रिटर्न भरने की आखिरी तारीख आम तौर पर 31 जुलाई होती है। फिर भी आयकर विभाग की वेबसाइट पर जरूर देख लें कि तारीख बदली या बढ़ाई तो नहीं गई है।
ई-फाइलिंग फायदेमंद
आयकर विभाग अपने ही पोर्टल के जरिये ई-फाइलिंग को बढ़ावा देता है। यह सहूलियत भरा है और इसमें गलतियों की गुंजाइश भी कम हो जाती है। पहली बार रिटर्न दाखिल करते समय आप पोर्टल पर अपना अकाउंट खोल सकते हैं और बताई गई प्रक्रिया का पालन कर रिटर्न जमा कर सकते हैं।
सत्यापन न भूलें
आयकर रिटर्न दाखिल करने के बाद 120 दिन के भीतर उसका सत्यापन करना भी जरूरी है। इसके कई तरीके हैं। आप आधार पर वन टाइम पासवर्ड (ओटीपी) मंगा सकते हैं, नेट बैंकिंग का इस्तेमाल कर सकते हैं या आईटीआर-वी की प्रति पर दस्तखत कर सेंट्रलाइज्ड प्रोसेसिंग सेंटर, बेंगलूरु के पते पर भेज सकते हैं।