ITR Filing 2025: आज के डिजिटल युग में भी कुछ टैक्सपेयर्स कम आय दिखाकर या गलत कटौती बढ़ाकर टैक्स बचाने की कोशिश करते हैं। लेकिन एक्सपर्ट का मानना है कि यह दांव खतरनाक साबित हो सकता है। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के पास अब आधुनिक तकनीक है, जिसके चलते उनके पास आपकी पूरी वित्तीय जानकारी रहती है। इसमें मुख्य रूप से आपके बैंक ट्रांजेक्शन, प्रॉपर्टी खरीद-बिक्री और शेयर बाजार से जुड़े लेन-देन शामिल हैं। अब किसी भी चीज के छिपने की गुंजाइश बहुत कम है।
चार्टर्ड अकाउंटेंट सुरेश सुराना कहते हैं, “इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को बैंकों, म्यूचुअल फंड्स, एम्प्लॉयर्स, रजिस्ट्रार और अन्य स्रोतों से होने वाली आय की जानकारी रहती है।”
इसमें शामिल हैं:
फॉर्म 24Q/26Q से TDS/TCS की जानकारी
स्टेटमेंट ऑफ फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन्स (SFT) के तहत बड़े लेनदेन
प्रॉपर्टी बिक्री, शेयर निवेश, और विदेशी रेमिटेंस से जुड़े पैन-लिंक्ड रिकॉर्ड
सैलरी, किराया, कैपिटल गेन, और जीएसटी डेटा एनुअल इन्फॉर्मेशन स्टेटमेंट (AIS) और फॉर्म 26AS के जरिए
बॉम्बे चार्टर्ड अकाउंटेंट्स सोसाइटी की सचिव किंजल भुटा बताती हैं कि डिपार्टमेंट “AI टूल्स, रेगुलेटरी डेटा-शेयरिंग और सोशल मीडिया एक्टिविटी” का भी इस्तेमाल संदिग्ध पैटर्न पकड़ने के लिए करता है।
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किराए की रसीदों में हेरफेर से लेकर अतिरिक्त आय छिपाने तक, कई टैक्सपेयर्स, खासकर नौकरीपेशा और स्व-रोजगार वाले, अनजाने में (या जानबूझकर) सीमा लांघ जाते हैं। टैक्सस्पैनर के CEO सुधीर कौशिक कहते हैं, “झूठे सेक्शन 80C दावे, फ्रीलांस से होने वाले आय को छिपाना या नकद बिक्री को कम दिखाना आम समस्याएं हैं।”
सुराना जोड़ते हैं कि बिना वैध सबूतों के कटौती का दावा करना या व्यवसाय की आय को व्यक्तिगत खातों में दिखाना भी खतरे की घंटी है।
भुटा चेतावनी देती हैं कि “विदेशी संपत्तियों का खुलासा न करना, बैंक ब्याज को नजरअंदाज करना, या यह मान लेना कि TDS से टैक्स की जिम्मेदारी पूरी हो गई, गलत है।”
गलत रिपोर्टिंग पकड़े जाने पर टैक्सपेयर्स ओं को सेक्शन 270A के तहत जुर्माना देना पड़ सकता है:
आय कम दिखाने पर कर का 50 प्रतिशत
जानबूझकर गलत रिपोर्टिंग पर कर का 200 प्रतिशत
सुराना कहते हैं, “चरम मामलों में, सेक्शन 276C के तहत अगर टैक्स चोरी 25 लाख रुपये से अधिक हो, तो सात साल तक की जेल हो सकती है।”
कौशिक भी इससे सहमति जताते हुए कहते हैं, “AIS और डिजिटल ट्रैकिंग के चलते अब टैक्सपेयर्स कोई बहाना नहीं बना सकते हैं।”
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एक्सपर्ट्स का कहना है कि सतर्कता ही सबसे अच्छा बचाव है।
प्रीफिल्ड ITR को फॉर्म 16, AIS, और TIS के साथ मिलान करें
सभी आय – सैलरी, कैपिटल गेन, FD ब्याज, विदेशी आय – की रिपोर्ट करें
किसी भी बेमेल को सुधारें और कटौती के लिए सबूत रखें
भुटा कहती हैं, “यहां तक कि छूट वाली आय, जैसे कृषि आय, को भी घोषित करना चाहिए।”
टैक्सबडी के संस्थापक सुजीत बांगर जोड़ते हैं, “AIS आपकी चेकलिस्ट है। अगर कोई लेनदेन वहां दिखता है, तो उसे समझाएं या रिपोर्ट करें।”
संक्षेप में, साफ-सुथरा टैक्स फाइलिंग अब वैकल्पिक नहीं, बल्कि जरूरी है। जैसा कि कौशिक कहते हैं, “टैक्स पारदर्शिता पहले से कहीं ज्यादा सख्त है। सटीक रहकर आगे रहना ही सबसे अच्छी रणनीति है।”