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ITR Filing 2024: क्या हाउस प्रॉपर्टी में हुए नुकसान को न्यू टैक्स रिजीम के तहत कर सकते हैं सेट ऑफ या कैरी फॉरवर्ड?

आयकर अधिनियम की धारा 115BAC के मुताबिक न्यू टैक्स रिजीम के तहत आपको हाउस प्रॉपर्टी से हुए नुकसान को सेट ऑफ और कैरी फॉरवर्ड करने की सुविधा नहीं मिलेगी।

Last Updated- July 04, 2024 | 3:23 PM IST
ITR refund

ITR Filing 2024: यदि हाउस प्रॉपर्टी से कोई नुकसान हुआ है तो आप इसे अन्य इनकम यानी सैलरी, कैपिटल गेन, बिजनेस/ प्रोफेशन या अन्य स्रोतों से होने वाली आय से एडजस्ट (सेट ऑफ) कर सकते हैं। लेकिन यह फायदा उन्हीं टैक्स पेयर्स को मिलेगा जो ओल्ड टैक्स रिजीम में बने हैं।

लेकिन यदि आप न्यू टैक्स रिजीम का चुनाव करते हैं तो आयकर अधिनियम की धारा 115BAC के मुताबिक आपको हाउस प्रॉपर्टी से हुए नुकसान को सेट ऑफ और कैरी फॉरवर्ड करने की सुविधा नहीं मिलेगी।

यदि आप पहले से ओल्ड टैक्स रिजीम के तहत हाउस प्रॉपर्टी से हुए नुकसान को कैरी फॉरवर्ड कर रहे थे। लेकिन लॉस पूरी तरह से सेट ऑफ नहीं हुआ है और आप वित्त वर्ष 2023-24 में न्यू टैक्स रिजीम के तहत इसे सेट ऑफ करना चाह रहे हैं। क्या आप ऐसा कर सकते हैं? उत्तर है नहीं। आप न्यू रिजीम के तहत बचे हुए नुकसान को न तो सेट ऑफ और न कैरी फॉरवर्ड कर सकते हैं।

इसलिए यदि हाउस प्रॉपर्टी से हुए नुकसान की भरपाई नहीं हुई है और आप वित्त वर्ष 2023-24 में भी इसकी भरपाई या इसे कैरी फॉरवर्ड करना चाहते हैं तो आपको ओल्ड टैक्स रिजीम में ही बने रहना होगा।

एक अन्य स्थिति पर विचार करते हैं।

यदि आप वित्त वर्ष 2023-24 के लिए न्यू टैक्स रिजीम का चुनाव करते हैं और ठीक अगले साल यानी 2024-25 के लिए फिर ओल्ड टैक्स रिजीम में लौट जाते हैं। इस स्थिति में भी आपको वित्त वर्ष 2024-25 में हाउस प्रॉपर्टी से हुए नुकसान की भरपाई का फायदा नहीं मिलेगा। क्योंकि वित्त वर्ष 2023-24 में आपको न्यू टैक्स रिजीम के तहत कैरी फॉरवर्ड का फायदा नहीं मिला था। नियमों के मुताबिक जब तक आपके नुकसान की भरपाई नहीं हो जाती तब तक हर वित्त वर्ष आपको लगातार इसे कैरी फॉरवर्ड करना होगा। सीधे शब्दों में कहें तो यदि आपने नुकसान को किसी एक साल कैरी फॉरवर्ड नहीं किया तो अगले साल आप उसे कैरी फॉरवर्ड नहीं कर सकते।

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अब ओल्ड टैक्स रिजीम के तहत हाउस प्रॉपर्टी से हुए लॉस को सेट ऑफ और कैरी फॉरवर्ड करने को लेकर नियमों को समझते हैं।

वित्त वर्ष 2017 से लागू नियमों के मुताबिक जिस वित्त वर्ष के दौरान आपको हाउस प्रॉपर्टी से नुकसान हुआ है उस वित्त वर्ष आप अधिकतम 2 लाख रुपए तक के नुकसान को किसी अन्य आमदनी से एडजस्ट कर सकते हैं। जबकि बाकी नुकसान की रकम को आप अगले 8 वित्त वर्ष तक एडजस्ट कर सकते हैं। लेकिन अगले 8 साल तक आप इसे हाउस इनकम से होने वाली आमदनी से ही एडजस्ट कर सकते हैं, अन्य आमदनी मसलन सैलरी, कैपिटल गेन, बिजनेस/प्रोफेशन या अन्य स्रोतों से होने वाली आय से नहीं। उदाहरण से समझिए  –

मान लीजिए कि किसी हाउस प्रॉपर्टी पर किराये से आपकी आमदनी (म्युनिसिपल टैक्स घटाने के बाद) 2 लाख रुपये जबकि 30 फीसदी स्टैंडर्ड डिडक्शन और होम लोन के ब्याज पर चुकाई गई रकम 5 लाख रुपये है। इस तरह 3 लाख रुपये आपका नुकसान हुआ। इसमें से सिर्फ दो लाख रुपए ही आप किसी और आमदनी से एडजस्ट कर सकते हैं। बाकी बचे हुए 1 लाख रुपये अगले 8 साल तक हाउस इनकम से ही एडजस्ट हो सकते हैं।

क्या तय समय सीमा के अंदर आईटीआर फाइल करना जरूरी

हाउस प्रॉपर्टी में हुए नुकसान को कैरी फॉरवर्ड करने को लेकर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की तरफ से एक विशेष रियायत दी गई है। जो आईटीआर दाखिल करने को लेकर है। प्रावधानों के मुताबिक जिस वित्त वर्ष के दौरान आपको हाउस प्रॉपर्टी में नुकसान हुआ है उस वित्त वर्ष के लिए अगर आपने इनकम टैक्स रिटर्न तय समय सीमा के अंदर दाखिल नहीं किया है तो भी आप हाउस प्रॉपर्टी में हुए नुकसान को एडजस्ट करने के लिए इसे अगले 8 वर्ष तक कैरी फॉरवर्ड कर सकते हैं।

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इन 8 वर्षों के दौरान यदि किसी वर्ष आपको हाउस प्रॉपर्टी से आमदनी होती है उस वर्ष आपको अपने नुकसान को एडजस्ट करना होगा। अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो आपको इसे आगे एडजस्ट करने की इजाजत नहीं होगी।

कैसे होती है हाउस प्रॉपर्टी इनकम की गणना

सेल्फ-ऑक्युपायड हाउस प्रॉपर्टी के लिए ग्रॉस एनुअल वैल्यू (GAV) शून्य मानी जाती है। जबकि किराये पर दी गई हाउस प्रॉपर्टी के लिए ऐसा नहीं है।

किराये पर दी गई हाउस प्रॉपर्टी का वास्तविक या अनुमानित किराया उस प्रॉपर्टी का ग्रॉस एनुअल वैल्यू (GAV) होता है। ऐसी हाउस प्रॉपर्टी से होने वाली आमदनी या नुकसान की गणना में होम लोन इंटरेस्ट के अतिरिक्त स्टैंडर्ड डिडक्शन की सुविधा मिलती है। इनकम टैक्स एक्ट 1961 के सेक्शन 24 (a) के तहत स्टैंडर्ड डिडक्शन किराये पर दी गई हाउस प्रॉपर्टी की नेट एनुअल वैल्यू (NAV) का 30 फीसदी होता है। हाउस प्रॉपर्टी की GAV में म्युनिसिपल टैक्स घटाकर NAV निकाली जाती है। जबकि हाउस प्रॉपर्टी के NAV से 30 फीसदी स्टैंडर्ड डिडक्शन और होम लोन इंटरेस्ट घटाने के बाद जो राशि बचती है वह इनकम या लॉस मानी जाती है।

होम लोन पर डिडक्शन की सुविधा

यदि हाउस प्रॉपर्टी सेल्फ-ऑक्युपायड है 
इनकम टैक्स एक्ट 1961 के सेक्शन 24 (b) के तहत होम लोन पर चुकाए जाने वाले 2 लाख रुपये तक के ब्याज पर डिडक्शन यानी छूट की सुविधा मिलती है। लेकिन होम लोन पर चुकाए जाने वाले 2 लाख रुपए तक के ब्याज पर डिडक्शन की सुविधा आपको तभी मिलेगी जब आपकी हाउस प्रॉपर्टी सेल्फ-ऑक्युपायड हो। हाउस प्रॉपर्टी सेल्फ-ऑक्युपायड तभी मानी जाएगी जब मकान मालिक या उनके परिजन (माता-पिता, पति/पत्नी या बच्चे) उसमें रह रहे हों। अथवा आपके पास हाउस प्रॉपर्टी तो है, लेकिन आप जॉब के सिलसिले में दूसरी जगह रहते हैं या आप अपने माता-पिता के साथ उनके घर में रहते हैं और वह प्रॉपर्टी खाली है यानी किराये पर भी नहीं है।

वित्त वर्ष 2019-20 से पहले यदि टैक्सपेयर एक से ज्यादा हाउस प्रॉपर्टी के मालिक होते थे तो सिर्फ एक हाउस प्रॉपर्टी को ही सेल्फ-ऑक्युपायड माना जाता था जबकि बाकी हाउस प्रॉपर्टी के लिए माना जाता था कि वह लेट आउट और डीम्ड टू बी लेट आउट यानी किराये पर दी गई है। लेकिन वित्त वर्ष 2019-20 से लागू नए नियमों के मुताबिक आप अधिकतम दो हाउस प्रॉपर्टी पर टैक्स बेनिफिट ले सकते हैं। मतलब दो हाउस प्रॉपर्टी सेल्फ-ऑक्युपायड जबकि बाकी हाउस प्रॉपर्टी के लिए यह माना जाएगा कि वह किराये पर दी गई है।

सेक्शन 80EEA के तहत अतिरिक्त डिडक्शन की सुविधा
सरकार ने बजट 2019-20 में सेक्शन (80EEA) के तहत फर्स्ट-टाइम होम बायर्स के लिए अतिरिक्त 1.5 लाख रुपये तक के ब्याज पर डिडक्शन का प्रावधान किया था। लेकिन यह अतिरिक्त सुविधा 1 अप्रैल 2019 और 31 मार्च 2020 के बीच लिए गए होम लोन के लिए ही थी। बाद में इसे 31 मार्च 2022 तक के लिए बढा दिया गया। मतलब वैसे फर्स्ट-टाइम होम बायर्स जिन्होंने 1 अप्रैल 2019 से पहले और 31 मार्च 2022 के बाद होम लोन लिया है उन्हें अतिरिक्त 1.5 लाख  रुपये ब्याज पर डिडक्शन का फायदा नहीं मिलेगा। इस अतिरिक्त फायदे के लिए यह भी जरूरी था कि मकान/फ्लैट की कीमत (स्टांप ड्यूटी सहित) 45 लाख रुपए से ज्यादा नहीं हो और होम लोन सैंक्शन के दिन तक होम बायर के नाम पर कोई और हाउस प्रॉपर्टी नहीं हो।

यदि आप हाउस प्रॉपर्टी किराये पर देते हैं 

अगर आप घर को किराये पर देते हैं तो आप होम लोन पर चुकाए जाने वाले कुल ब्याज पर डिडक्शन की सुविधा प्राप्त कर सकते हैं। मसलन आप होम लोन पर जितना भी ब्याज दे रहे हैं, उस पर आपको सेक्शन 24 (b) के तहत डिडक्शन की सुविधा मिलेगी। मतलब हाउस प्रॉपर्टी से होने वाली आमदनी की गणना के लिए प्रॉपर्टी की NAV में से कुल होम लोन इंटरेस्ट घटा दिया जाएगा।

First Published - July 4, 2024 | 3:16 PM IST

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