चीन के केंद्रीय बैंक की तरफ से खरीदारी में ठहराव आने की खबर के बाद से सोने की कीमतों पर दबाव देखने को मिला है। इसी खरीदारी के दम पर अंतरराष्ट्रीय बाजार में स्पॅाट गोल्ड मई में 2,449.89 डॉलर प्रति औंस के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया था। फिलहाल स्पॉट गोल्ड 2,330 डॉलर प्रति औंस के भाव पर है। कई जानकार यह भी मान रहे थे कि चीन सहित और भी केंद्रीय बैंक शायद नियर-टर्म में सोने की खरीदारी से परहेज करें। ये बैंक पिछले दो ढाई साल में सोने की खरीद को लेकर बेहद आक्रामक रहे हैं।
लेकिन वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (World Gold Council) की तरफ से किए गए सर्वे के नतीजों ने बाजार की इस चिंता को कमोबेश दूर कर दिया है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के 2024 Central Bank Gold Reserves (CBGR) survey में यह बात सामने निकल कर आई है कि 29 फीसदी केंद्रीय बैंक अगले 12 महीने में अपने गोल्ड रिजर्व में बढ़ोतरी करना चाह रहे हैं। इस सर्वे में गोल्ड की खरीदारी को लेकर केंद्रीय बैंकों ने जितना उत्साह जताया है वह वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के इस तरह के बाकी सभी सर्वे के मुकाबले ज्यादा है। पिछले साल के सर्वे में 24 फीसदी केंद्रीय बैंकों ने अपने गोल्ड रिजर्व में वृद्धि करने की इच्छा जताई थी। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की तरफ से 2019 मे पहली बार इस तरह का सर्वे किया गया था।
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के मुताबिक इस सर्वे के नतीजे इस बात का संकेत करते हैं कि केंद्रीय बैंक आगे भी सोने की खरीदारी जारी रख सकते हैं, क्योंकि इन बैंकों के लिए भू राजनीतिक तनाव और महंगाई, इंटरेस्ट रेट जैसे मैक्रोइकोनॉमिक फैक्टर्स ज्यादा मायने रखेंगे।
बैंक खरीदारी को लेकर कितने उत्साहित?
2024: 29%
2023: 24%
2022: 25%
2021: 21%
2020: 20%
2019: 8%
(Source: WGC)
गोल्ड रिजर्व में बढ़ोतरी को लेकर बैंकोे की क्या है राय?
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (WGC) के इसी सर्वे में 81 फीसदी सेंट्रल बैंकों ने माना कि अगले 12 महीने में केंद्रीय बैंकों के कुल गोल्ड रिजर्व में इजाफा हो सकता है जबकि 2023 के सर्वे में 71 फीसदी बैंकों ने इस तरह की उम्मीद जताई थी।
2024: 81%
2023: 71%
2022: 61%
2021: 52%
2020: 75%
2019: 54%
(Source: WGC)
क्यों सेंट्रल बैंक रख रहे सोना?
पिछले साल के सर्वे में यह बात सामने आई थी कि केंद्रीय बैंकों की तरफ से खरीदारी की सबसे बड़ी वजह सोने का ऐतिहासिक महत्व (Historical Position) है। लेकिन इस साल के सर्वे में यह पांचवें स्थान पर खिसक गई और सोने का लॉन्ग टर्म स्टोर ऑफ वैल्यू यानी इन्फ्लेशन के खिलाफ हेज के तौर पर सोने की भूमिका सबसे बड़ी वजह के तौर पर सामने आई। खरीदारी की दूसरी बड़ी वजह इस कीमती धातु का संकट के दौर में प्रदर्शन है। तीसरी वजह पोर्टफोलियो को प्रभावी रूप से डायवर्सिफाई करने में सोने की भूमिका जबकि चौथी वजह डिफॉल्ट को लेकर सोने का जोखिम रहित होना है।
Long-term store of value/inflation hedge : 88%
Performance during times of crisis: 82%
Effective portfolio diversifier: 76%
No default risk: 72%
Historical position: 71%
(Source: WGC)
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के आंकड़े बताते हैं कि दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों ने पिछले वर्ष 2023 में 1,037 टन सोना खरीदा। किसी एक कैलेंडर ईयर के लिए केंद्रीय बैंकों की तरफ से की गई यह दूसरी बड़ी खरीदारी थी। सबसे ज्यादा खरीदारी केंद्रीय बैंकों की तरफ से 2022 में की गई थी। केंद्रीय बैंकों ने 2022 में अपने गोल्ड रिजर्व में 1,082 टन का इजाफा किया था।
चीन में खरीदारी पर मई में लगा ब्रेक
चीन के केंद्रीय बैंक पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना (PBoC) से प्राप्त ताजा आंकड़ों के मुताबिक इस साल मई के दौरान चीन के गोल्ड रिजर्व में कोई बदलाव नहीं देखा गया। जबकि इससे पहले लगातार 18 महीने तक चीन के गोल्ड रिजर्व में इजाफा देखा गया था। अप्रैल के दौरान चीन का गोल्ड रिजर्व 2 टन बढ़कर 2,264 टन पर पहुंच गया था। हालांकि चीन के गोल्ड रिजर्व में यह 18 महीने की सबसे कम बढ़ोतरी थी। अक्टूबर 2022 की तुलना में यह तकरीबन 319 टन यानी 16.5 फीसदी ज्यादा है। इसी वक्त से चीन के केंद्रीय बैंक ने सोने की मासिक खरीद को लेकर जानकारी फिर से साझा करना शुरू किया था। सोने की कीमतें भी इसी दौरान यानी अक्टूबर 2022 के बाद तकरीबन 50 फीसदी बढ़ी है।
अक्टूबर 2022 के अंत में चीन का कुल गोल्ड रिजर्व 1,948.32 टन था, जबकि कुल रिजर्व में हिस्सेदारी 3.19 फीसदी थी।
चीन के कुल फॉरेक्स रिजर्व में फिलहाल गोल्ड रिजर्व की हिस्सेदारी 4.9 फीसदी यानी अब तक के उच्चतम स्तर पर है। मौजूदा कैलेंडर ईयर के शुरुआती 5 महीनों के दौरान चीन के गोल्ड रिजर्व में 29 टन का इजाफा हुआ है। चीन के केंद्रीय बैंक ने 2023 के दौरान अपने गोल्ड रिजर्व में 225 टन की बढ़ोतरी की थी।