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Explained: TDS, डिजिटल फाइलिंग से लेकर Share Buyback तक, ITR-5 फॉर्म में टैक्सपेयर्स के लिए हैं ये 5 बड़े अपडेट

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने 1 मई 2025 को अधिसूचना संख्या 42/2025 जारी की है, जिसमें मूल्यांकन वर्ष (Assessment Year) 25-26 के लिए अपडेटेड ITR-5 फॉर्म की घोषणा की गई।

Last Updated- May 04, 2025 | 3:45 PM IST
Income Tax
प्रतीकात्मक तस्वीर | फोटो क्रेडिट: Freepik

आयकर विभाग ने हाल ही में मूल्यांकन वर्ष (Assessment Year) 2025-26 के लिए नया ITR-5 फॉर्म जारी किया है। यह फॉर्म मुख्य रूप से फर्म, सीमित दायित्व भागीदारी (LLP) और कुछ अन्य संस्थाओं के लिए है। इस बार के बदलावों का मकसद टैक्स रिपोर्टिंग को और पारदर्शी और आसान बनाना है। नए नियमों में पूंजीगत लाभ (Capital Gains), शेयर बायबैक नुकसान, और TDS (Tax Deducted at Source) से जुड़े कई अहम बदलाव शामिल हैं। आइए, इन बदलावों को आसान भाषा में समझते हैं।

पूंजीगत लाभ को दो हिस्सों में बांटा गया

नए ITR-5 फॉर्म में पूंजीगत लाभ की रिपोर्टिंग के लिए एक बड़ा बदलाव किया गया है। अब आपको अपनी कमाई को दो अलग-अलग समय सीमाओं में दिखाना होगा:  

  • 23 जुलाई 2024 से पहले: इस तारीख से पहले हुए लेनदेन के लिए पूंजीगत लाभ को अलग से दर्ज करना होगा।  
  • 23 जुलाई 2024 के बाद: इस तारीख के बाद के लेनदेन को दूसरी श्रेणी में दिखाना होगा।

यह बदलाव वित्त अधिनियम 2024 (Finance Act 2024) के तहत किए गए टैक्स नियमों को ध्यान में रखकर लागू किया गया है। इसका फायदा यह है कि आयकर विभाग को टैक्स की गणना करने और ऑडिट करने में आसानी होगी। टैक्सपेयर्स के लिए भी यह स्पष्टता लाएगा कि उनके लाभ पर कौन से नियम लागू होंगे।

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शेयर बायबैक नुकसान के लिए नया नियम

अगर आपने किसी कंपनी के शेयर बायबैक (जब कंपनी अपने ही शेयर वापस खरीदती है) में हिस्सा लिया और आपको नुकसान हुआ, तो अब इसे क्लेम करने का नियम बदल गया है। 1 अक्टूबर 2024 से लागू इस नियम के तहत:  

  • नुकसान तभी क्लेम किया जा सकता है, जब आपने बायबैक से मिलने वाली राशि को “अन्य स्रोतों से आय” (Income from Other Sources) के तौर पर दिखाया हो।  
  • यह राशि अब डिविडेंड (लाभांश) की तरह मानी जाएगी और उसी हिसाब से टैक्स लगेगा।  

बायबैक में आपके शेयर की लागत (cost of acquisition) को पूंजीगत नुकसान (capital loss) माना जाएगा। इस नुकसान को आप मौजूदा साल में अन्य पूंजीगत लाभ के खिलाफ समायोजित (set off) कर सकते हैं। अगर पूरे नुकसान को समायोजित नहीं कर पाए, तो इसे अगले 8 साल तक आगे ले जाया (carry forward) जा सकता है।

यह नियम टैक्स चोरी रोकने के लिए लाया गया है, ताकि केवल वास्तविक नुकसान ही क्लेम किए जाएं।

TDS सेक्शन कोड बताना अनिवार्य

नए ITR-5 फॉर्म में TDS से जुड़ा एक और महत्वपूर्ण बदलाव है। अब आपको यह स्पष्ट करना होगा कि TDS किस सेक्शन के तहत काटा गया है। उदाहरण के लिए:  

  • ब्याज से आय पर TDS के लिए सेक्शन 194A  
  • ठेके से आय पर TDS के लिए सेक्शन 194C

यह जानकारी देना अनिवार्य है। ऐसा करने से आयकर विभाग को TDS क्लेम को वेरिफाई करने में मदद मिलेगी, जिससे रिफंड में देरी या गलतियों की संभावना कम होगी। यह कदम टैक्स प्रक्रिया को और सटीक बनाने की दिशा में उठाया गया है।

डिजिटल फाइलिंग और AI का इस्तेमाल

नया ITR-5 फॉर्म पूरी तरह ऑनलाइन फाइलिंग के लिए बनाया गया है। इसे आयकर विभाग के AI-सहायता प्राप्त स्क्रूटनी सिस्टम के साथ जोड़ा गया है। इसका मतलब है:  

  • फॉर्म में गलतियां होने की संभावना कम होगी।  
  • लेकिन साथ ही, टैक्स अधिकारियों की नजर आपकी रिटर्न पर और तेज होगी।

यह डिजिटल सिस्टम टैक्सपेयर्स के लिए प्रक्रिया को आसान बनाएगा, लेकिन सही और पूरी जानकारी देना पहले से ज्यादा जरूरी हो गया है।

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अन्य छोटे-बड़े बदलाव

  • क्रूज बिजनेस के लिए नया सेक्शन: ITR-5 में अब क्रूज बिजनेस से आय की रिपोर्टिंग के लिए सेक्शन 44BBC जोड़ा गया है।  
  • संपत्ति और देनदारी की सीमा बढ़ी: अब आपको अपनी संपत्ति और देनदारी की जानकारी तभी देनी होगी, जब आपकी कुल आय 1 करोड़ रुपये से ज्यादा हो। पहले यह सीमा 50 लाख रुपये थी।  
  • विस्तृत डिडक्शन रिपोर्टिंग: सेक्शन 80C, 10(13A) जैसे डिडक्शन के लिए अब ज्यादा विस्तार से जानकारी देनी होगी।

ये बदलाव टैक्स सिस्टम को और पारदर्शी बनाने की कोशिश का हिस्सा हैं।

यह जानकारी टैक्सपेयर्स के लिए महत्वपूर्ण है, खासकर उन फर्मों और LLPs के लिए जो ITR-5 फॉर्म का इस्तेमाल करते हैं। नए नियमों को समझकर और सही जानकारी देकर आप अपनी टैक्स फाइलिंग को आसान और एरर-फ्री बना सकते हैं।

First Published - May 4, 2025 | 3:45 PM IST

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