इस महीने कई बड़े बैंक अपने मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड बेस्ड लेंडिंग रेट (MCLR) में कटौती कर रहे हैं, जिससे होम और पर्सनल लोन पर EMI कम होने की उम्मीद बढ़ गई है।
MCLR वह बेंचमार्क दर है जिसका इस्तेमाल बैंक अक्टूबर 2019 से पहले लिए गए फ्लोटिंग-रेट लोन की EMI तय करने के लिए करते हैं। MCLR घटने पर EMI कम हो सकती है या लोन की अवधि घटाई जा सकती है। आजकल नए लोन External Benchmark Lending Rate (EBLR) से जुड़े होते हैं, जो RBI की रेपो दर के साथ बदलते हैं। ग्राहक चाहें तो बैंक में MCLR से EBLR पर लोन बदल सकते हैं, लेकिन इसके लिए कुछ फीस देनी पड़ती है।
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HDFC Bank ने छह महीने और एक साल की MCLR में 5 बेसिस पॉइंट की कटौती की, अब यह 8.65% पर है। दो साल की दर 8.70% पर स्थिर है।
PNB ने अधिकांश अवधि की दरों में 5-15 बेसिस पॉइंट की कटौती की है। इसका एक साल का MCLR, जो अधिकतर रिटेल लोन का बेंचमार्क है, अब 8.80% है।
Bank of Baroda: ओवरनाइट MCLR 10 बेसिस पॉइंट घटाकर 7.85% और तीन महीने की दर 8.20% पर आ गई। लंबी अवधि की दरें पहले जैसी ही हैं।
Indian Overseas Bank: एक, दो और तीन साल की MCLR में 5 बेसिस पॉइंट की कटौती, एक साल की दर अब 8.85%।
Bank of India: अधिकांश अवधि की दरों में 5-15 बेसिस पॉइंट की कमी, तीन साल की MCLR अब 9.00%।
MCLR से जुड़े लोन वाले ग्राहकों को अपनी अगली EMI रीसैट डेट से राहत मिल सकती है। पुराने लोन वाले ग्राहक EBLR से जुड़कर भविष्य में रेट कट का फायदा जल्दी ले सकते हैं, लेकिन पहले बदलाव की फीस की तुलना जरूर करें।
महंगाई घट रही है और लेंडिंग रेट नरम हो रहे हैं, ऐसे में सितंबर से उन घरों के बजट पर राहत दिख सकती है, जिनकी EMI पिछले साल ज्यादा रही है।