केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के चेयरमैन रवि अग्रवाल ने बताया कि एक बार नई आयकर व्यवस्था को पर्याप्त संख्या में करदाता स्वीकार कर ले तो पुरानी आयकर व्यवस्था को हटाया भी जा सकता है। प्रत्यक्ष कर बोर्ड के शीर्ष निकाय के प्रमुख ने श्रीमी चौधरी और असित रंजन मिश्र को बातचीत के दौरान बताया कि कंपनियों के इस्तेमाल करने के तरीके पर 15 प्रतिशत रियायती शुल्क का विस्तार निर्भर करता है
नई इकाइयों के लिए 15 प्रतिशत का रियायती कॉरपोरेट कर बढ़ाने की कोई योजना?
इसके विस्तार पर कोई फैसला नहीं लिया गया है। हमें यह देखना है कि कैसे कंपनियां 15 प्रतिशत रियायत का इस्तेमाल करती हैं। कौन कारोबार स्थापित करेंगे। वे कैसा प्रदर्शन करेंगे? इसके बाद हम फैसला करेंगे। अभी तक की तारीख तक यह महसूस किया जाता है कि 15 प्रतिशत रियायत के लिए 31 मार्च (समयसीमा) काफी अच्छी थी।
नई कर व्यवस्था को दो तिहाई करदाताओं के स्वीकार किए जाने के बाद पुरानी कर व्यवस्था को हटाने की कोई योजना है?
यह मूल रूप से बदलाव का चरण है। लोग नई कर व्यवस्था को चुन रहे हैं, उन्हें यह फायदेमंद लग रही है। इसे व्यक्तिगत करदाताओं में 66 फीसदी अपना चुके हैं। लोगों को नई कर व्यवस्था में फायदा दिख रहा है। इसमें स्टैंडर्ड डिडक्शन, एनपीएस और कई अन्य फायदे बढ़ा दिए गए हैं। समय के साथ कभी नई कर व्यवस्था में पर्याप्त संख्या हो सकती है तब हम देखेंगे कि हम पुरानी व्यवस्था का वास्तविक रूप में कैसे ध्यान रखें। ऐसे में बोनस योजनाएं उपलब्ध हैं।
पुन: मूल्यांकन के लिए समयसीमा को और कम कर दिया गया है। ऐसा कदम क्यों उठाया गया है?
हमने पूरी प्रक्रिया और तरीके को एकसमान बना दिया है। पहले 148 उपबंध (पुराने आकलन को पुन: खोलने) अत्यधिक जटिल थे। इससे मुकदमेबाजी बढ़ी है। लिहाजा ऐसे समय में इसकी जरूरत हो गई है कि कैसे कर विभाग और कर दाताओं को लिए सरलीकरण किया जाए। नई बदलाव बहु प्रक्रियाओं और नोटिसों को हतोत्साहित करती है।
विदेशी कंपनियों पर कर कम करने से निवेश बढ़ेगा?
हमने पहले सैद्धांतिक रूप से घरेलू कंपनियों के लिए दर को 40 प्रतिशत से घटाकर 22 प्रतिशत किया था और समय गुजरने के साथ विदेशी और घरेलू कंपनियों के बीच दर में 10 प्रतिशत का अंतर था। इसके अलावा विदेशी कंपनियकों के लिए कर की दर घटाई नहीं गई है। लिहाजा लंबे समय से ये कंपनियां राहत के लिए आवाज उठा रही हैं। दरअसल विदेशी कंपनियों के लिए सरचार्ज कम है। इसे 35 प्रतिशत की प्रभावी कर दर बनाने से क्षेत्रीय अंतर के करीब आ जाएगी।
विदेशी परिसंपत्ति की खरीद पर कुछ छूट मिलेगी, इसके पीछे किस तरह की सोच है?
पहले बैंक खाते के लिए 5 लाख रुपये की सीमा थी। इसे बढ़ाकर 20 लाख रुपये तक किया गया है। यह उनके लिए है जो एमएनसी में काम करते हैं और ईसॉप्स पाते हैं, साथ ही रिटर्न में इसे घोषित करना भूल जाते हैं और अंत में 10 लाख रुपये जुर्माना चुकाते हैं, जो परिसंपत्ति की वैल्यू से ज्यादा होती है।
एफऐंडओ सेगमेंट के कराधान का क्या औचित्य है?
कर में बढ़ोतरी सटोरिया ट्रेडिंग पर लगाम के लिए नहीं की गई है और वास्तविकता यह है कि इसमें लेनदेन काफी बढ़ा है और हितधारक भी। इस सेगमेंट में हर तरह के करदाता वास्तव में हिस्सा ले रहे हैं, जिसमें मध्य वर्ग शामिल है। सामान्य ट्रेड के मुकाबले वॉल्यूम काफी बढ़ा है, ऐसे में हम इसे सामान्य बनाना चाहते हैं और अगर लोग इसमें हिस्सा ले रहे हैं तो मामला राजस्व का भी है।
आयकर की पुरानी प्रणाली की विस्तृत समीक्षा की क्या वजह है?
मूल मंत्र सरलीकरण और अनुपालन के लिहाज से करदाताओं के लिए इसे आसान बनाने व इसकी घटती उपयोगिता है। अन्य वजह है तकनीक। अब पहले के कर प्रशासन के मुकाबले काफी हद तक तकनीक से चालित प्रक्रिया है और तकनीक अब कर प्रशासन का अहम हिस्सा है। ऐसे में हमें यह भी देखना पड़ेगा कि हम कहां हैं। पिछले 10 साल में हम काफी आगे निकल गए हैं और हमने तकनीक की तैनाती की है।