भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) को यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) के जरिए पर्सन-टू-मर्चेंट (P2M) लेन-देन की लिमिट बढ़ाने की मंजूरी दे दी है। केंद्रीय बैंक के इस फैसले के बाद अब यूपीआई के जरिए बड़े भुगतानों का रास्ता खुल गया है। RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा (Sanjay Malhotra) ने बुधवार 9 अप्रैल को FY26 की पहली मौद्रिक नीति की घोषणा की। इस दौरान, उन्होंने कहा कि यूपीआई पेमेंट की लिमिट से जुड़े जोखिमों को कम करने के लिए उचित सुरक्षा उपाय किए जाएंगे।
वर्तमान में ग्राहकों से दुकानदारों (P2M) को पूंजी बाजार, बीमा, जैसे मामलों में प्रति लेनदेन दो लाख रुपये, जबकि टैक्स पेमेंट, शैक्षणिक संस्थानों, अस्पताल, आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) के लिए भुगतान सीमा पांच लाख रुपये है। RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बुधवार को चालू वित्त वर्ष की पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा पेश करते हुए कहा कि NPCI को व्यक्ति से कारोबारियों को यूपीआई माध्यम से लेनदेन सीमा में संशोधन की अनुमति देने का प्रस्ताव किया गया है। हालांकि, एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति (P2P) के बीच यूपीआई के जरिये लेनदेन की सीमा पहले की तरह एक लाख ही रहेगी।
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RBI का यह कदम खास तौर पर व्यापारियों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है, क्योंकि अब दुकानदार और छोटे व्यापारी बिना किसी परेशानी के बड़े लेन-देन यूपीआई के जरिए कर पाएंगे। इससे डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा मिलेगा और कैश लेन-देन में कमी आएगी। ग्राहक अब ज्वेलरी जैसी महंगी चीजों की खरीदारी भी आसानी से यूपीआई से कर सकेंगे।
केंद्रीय बैंक के बयान के अनुसार, ‘‘अर्थव्यवस्था की जरूरतों के मुताबिक नए उपयोग के मामलों में NPCI, बैंकों और यूपीआई इकोसिस्टम से जुड़े अन्य पक्षों के परामर्श से, यूजर्स की बदलती जरूरतों के आधार पर ऐसी सीमाओं की घोषणा और संशोधन कर सकता है।’’ बैंकों को NPCI की घोषित सीमाओं के भीतर अपनी आंतरिक सीमाएं तय करने का विवेकाधिकार बना रहेगा।
(PTI के इनपुट के साथ)