केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए लागत मुद्रास्फीति सूचकांक (सीआईआई) को बढ़ाकर 376 पर अधिसूचित कर दिया जबकि यह वित्त वर्ष 2024-25 में 363 था। नए सूचकांक का उपयोग आकलन वर्ष 2026-27 और उसके बाद के वर्षों में दीर्घावधि पूंजीगत लाभ के लिए होगा। यह अधिसूचना 1 अप्रैल 2026 से लागू होगी।
सीआईआई करदाताओं को महंगाई पर संपत्ति के खरीद मूल्य को समायोजित करने में मदद करती है। इससे करदाताओं के संपत्ति बेचने पर कर योग्य पूंजीगत लाभ हो जाता है। कर व परामर्श कंपनी एकेएम ग्लोबल के कर साझेदार अमित माहेश्वरी के मुताबिक वित्त वर्ष 2025-26 के लिए सीआईआई का सालाना संशोधन सीआईआई 376 है। यह करदाताओं को हर साल में पूंजीगत लाभ अधिक सटीक ढंग से समायोजित में सक्षम बनाता है।
महेश्वरी ने बताया, ‘यह दीर्घावधि पूंजी संपत्तियों पर कर देयता को समुचित रूप से कम करता है। यह सुनिश्चित करता है कि व्यक्तियों और व्यवसायों के वास्तविक लाभ पर कर लगाया जाए और यह महंगाई के कारण होने वाली काल्पनिक वृद्धि पर नहीं हो। यह भारत में दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ कर के दायरे की निष्पक्षता और पारदर्शिता के लिए प्रमुख तंत्र है। ऐतिहासिक रूप से सीआईआई का इस्तेमाल भूमि, भवन, आदि संपत्तियों के दीर्घावधि पूंजीगत लाभ के लिए किया जाता था।’
वित्त विधेयक 2024 ने 23 जुलाई, 2024 के बाद बेची गई सभी संपत्तियों के लिए सीआईआई का उपयोग कर इंडेक्सेशन के लाभ को वापस ले लिया था।