नया वित्त वर्ष 1 अप्रैल से शुरू हो गया है और ऐसे कई बदलाव भी लागू होने जा रहे हैं, जो आपके वित्तीय जीवन पर असर डालेंगे। चूंकि वित्तीय पहलू आज की जिंदगी में बड़ी अहमियत रखता है, इसलिए ऐसे सभी बदलावों और उनके प्रभावों के बारे में आपको पता होना जरूरी है। इनमें से कुछ अहम बदलावों की बात करते हैं और देखते हैं कि उनसे मिलने वाले फायदे या नुकसान को कारगर तरीके से संभालने के लिए क्या करना चाहिए।
बीमा पॉलिसियों की सरेंडर वैल्यू (समय पूरा होने से पहले पॉलिसी वापस करने या भुनाने पर कंपनी से मिलने वाली रकम) पर बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण के अंतिम नियम 1 अप्रैल से लागू हो रहे हैं। माना जा रहा है कि इन नियमों के बाद यदि पॉलिसी खरीदने के तीन साल के भीतर वापस कर दी जाती हैं तो सरेंडर वैल्यू या तो पहले जैसी ही रहेगी या कम हो जाएगी। यदि चौथे और सातवें साल के बीच पॉलिसी वापस की जाती है तो सरेंडर वैल्यू कुछ बढ़ सकती है।
पॉलिसीएक्स के मुख्य कार्य अधिकारी (सीईओ) नवल गोयल कहते हैं, ‘पॉलिसी की सरेंडर वैल्यू इसकी अवधि पर निर्भर करेगी: पहले तीन साल के भीतर वापस की गई पॉलिसियों पर सरेंडर वैल्यू कम मिलेगी मगर लंबे समय तक रखने के बाद वापस करने पर पॉलिसी की सरेंडर वैल्यू ज्यादा होगी।’
उनकी सलाह है कि शुरुआती सालों में ही पॉलिसी सरेंडर करने से बचना चाहे क्योंकि इससे पॉलिसीधारक को नुकसान ही होगा। वह समझाते हैं कि जीवन बीमा पॉलिसी अगर लंबे समय के लिए रखी जाएं तो उनसे ज्यादा रिटर्न मिल जाता है। इसलिए जिन पॉलिसीधारकों को किसी वजह से पैसे की जरूरत है, उन्हें पॉलिसी सरेंडर करने से बचना चाहिए। उन्हें कर्ज लेने के बारे में सोचना चाहिए।
कई क्रेडिट कार्ड कंपनियों ने भी अपनी रिवार्ड व्यवस्था के नियम और शर्तों में तब्दीली की घोषणा कर दी है। मिसाल के तौर पर आईसीआईसीआई बैंक की वेबसाइट कहती है कि अप्रैल-जून 2024 तिमाही में लाउंज के कॉम्प्लिमेंट्री इस्तेमाल की सुविधा उन्हीं लोगों को मिलेगी, जिन्होंने जनवरी-मार्च तिमाही में कार्ड से कम से कम 35,000 रुपये खर्च किए हों। आगे की तिमाहियों में भी यही व्यवस्था जारी रहेगी।
बैंकबाजार के सीईओ आदिल शेट्टी कहते हैं, ‘बैंक अपने रिवार्ड कार्यक्रम में समय-समय पर तब्दीली करते रहते हैं ताकि वह यूजर के लिए ज्यादा कारगर बने रहें।’ भारतीय स्टेट बैंक, येस बैंक और ऐक्सिस बैंक ने अपनी रिवार्ड व्यवस्था में बदलाव किए हैं। कुछ क्रेडिट कार्ड किराया चुकाने, बीमा प्रीमियम भरने और सोने तथा पेट्रोल-डीजल खरीदने पर रिवार्ड पॉइंट देना बंद कर चुके हैं। कुछ ने बिजली, पानी, फोन जैसे यूटिलिटी बिल पर रिवार्ड पॉइंट सीमित कर दिए हैं और कुछ ने वार्षिक शुल्क माफ करना बंद कर दिया है।
शेट्टी कहते हैं, ‘रिवार्ड व्यवस्था में हुए बदलाव अच्छी तरह से समझ लीजिए ताकि उनका अधिक से अधिक फायदा उठाया जा सके। मगर रिवार्ड पॉइंट पाने के फेर में न तो खर्च का तरीका बदलिए और न ही जरूरत से ज्यादा खर्च कीजिए। समय-समय पर अपने कार्ड के फीचर तोलते रहिए।’
ऐसे कार्ड लीजिए, जो आपके खर्च करने के तरीके से मेल खाते हों। देखिए कि रिवार्ड पाने के लिए कम से कम कितना खर्च जरूरी हो। आखिर में अगर लगता है कि कार्ड के रिवार्ड की शर्तें आपकी जरूरतों से मेल नहीं खा रहीं तो उसे छोड़कर दूसरा कार्ड ले लीजिए।
1 फरवरी, 2024 को आए अंतरिम बजट में व्यक्तिगत कर व्यवस्था में बड़े बदलाव नहीं किए गए मगर इस साल कर रिटर्न दाखिल करते समय आपको कुछ बातों का ध्यान तो रखना ही पड़ेगा। सबसे पहले, 2023-24 में सभी के लिए नई कर व्यवस्था रखी गई है।। इसमें कर के स्लैब 6 से घटाकर 5 कर दिए गए हैं और 2.5 लाख रुपये के बजाय अब 3 लाख रुपये कर आय पर कोई कर नहीं लगता। पहले इसमें कर की सर्वाधिक दर 37 फीसदी थी, जिसे अब घटाकर 25 फीसदी कर दिया गया है।
नई कर व्यवस्था में भी वेतनभोगियों को 50,000 रुपये की मानक कटौती का फायदा मिल रहा है। एसकेवी लॉ ऑफिसेज में सीनियर असोसिएट अनंत सिंह उबेजा का कहना है कि इस व्यवस्था में पहले से अधिक आय को कर मुक्त कर दिया गया है, जिससे कर योग्य आय भी घट गई है। यह कर बचत के लिहाज से अच्छा है।
आयकर अधिनियम की धारा 87ए के हिसाब से 5 लाख रुपये या उससे कम आय वाले व्यक्ति को एक पाई भी कर नहीं देना पड़ता। वित्त अधिनियम 2023 में उन लोगों के लिए यह सीमा बढ़ाकर 7 लाख रुपये कर दी गई थी, जो नई कर व्यवस्था अपनाते हैं।
एमवीएसी में मैनेजिंग पार्टनर निखिल वर्मा कहते हैं कि छूट की सीमा बढ़ने से कम और मध्यम आय वाले लोगों को वित्तीय राहत मिलती है। इससे उन पर कर का बोझ कम हो जाता है और निवेश आदि के लिए अधिक रकम बच जाती है। मध्यम आय वर्ग के लोगों को नई कर व्यवस्था में लगने वाला कर ठीक से जांच लेना चाहिए।
सिरिल अमरचंद मंगलदास में पार्टनर एसआर पटनायक की सलाह है कि जिन्हें एचआरए, एलटीए, आवास ऋण के बदले छूट नहीं मिलना घाटे का सौदा लग रहा है, उन्हें पुरानी कर व्यवस्था में ही रहना चाहिए।