पिछले हफ्ते, बैंक ऑफ बड़ौदा ने मुंबई के जुहू इलाके में बॉलीवुड अभिनेता और राजनेता सनी देओल की संपत्ति नीलामी के नोटिस को रद्द कर दिया। बैंक ने सनी देओल पर बकाया 56 करोड़ रुपये वापस पाने के लिए संपत्ति की नीलामी करने की योजना बनाई थी। हालांकि, उन्होंने तकनीकी कारणों से अपना निर्णय बदल दिया और नोटिस वापस ले लिया।
देओल ने कथिततौर पर बैंक से लोन लिया था और अपनी संपत्ति का इस्तेमाल गारंटी के तौर पर किया था। जब उन्होंने कर्ज़ नहीं चुकाया तो बैंक ने कार्रवाई करने के लिए SARFAESI एक्ट का इस्तेमाल किया और उनकी संपत्ति जब्त करके बकाया पैसा वसूल करने का मन बनाया।
लेकिन बाद में, जब अभिनेता ने अपना बकाया चुकाने के लिए बैंक के साथ एक समझौता किया, तो बैंक ने उनकी संपत्ति की नीलामी करने का फैसला रद्द कर दिया। लेकिन इसी बीच सवाल खड़ा होता है कि अगर आप अपना बकाया चुकाने में नाकाम रहते हैं तो क्या बैंक वास्तव में आपकी संपत्ति की नीलामी कर सकते हैं?
आपकी संपत्ति को कब नीलाम कर सकते हैं बैंक?
दिल्ली हाईकोर्ट के वकील शशांक अग्रवाल ने कहा, “जब लोग किसी बैंक से लोन लेते हैं और अपनी संपत्ति को कॉलेटरल के रूप में उपयोग करते हैं। ऐसे में अगर व्यक्ति लोन के बकाया पैसे का भुगतान नहीं करता, तो बैंक उस संपत्ति को बेच सकता है। यह सेल प्रोसेस SARFAESI अधिनियम कानून के कुछ नियमों का पालन करती है।”
2002 में बना SARFAESI अधिनियम एक ऐसा कानून है जो बैंकों को उन लोगों से पैसा वापस दिलाने में मदद करता है जिन्होंने अपना लोन नहीं चुकाया है। अगर कोई व्यक्ति लोन लेता है और उसे वापस नहीं चुका पाता है, तो बैंक उन चीजों को अपने कंट्रोल में ले सकता है जिसे उसने सिक्योरिटी के तौर पर रखा था।
क्लियरटैक्स बताता है, “SARFAESI अधिनियम कहता है कि अगर किसी ने अपना लोन वापस नहीं चुकाया है तो कृषि भूमि को छोड़कर बैंक उसकी संपत्ति को अपने कंट्रोल में ले सकते हैं। यह नियम उन लोन पर लागू होता है जहां व्यक्ति ने वापस भुगतान करने के वादे के रूप में कोई सिक्योरिटी दी हो, जैसे घर या गहने। जब तक सिक्योरिटी फर्जी न हो, बैंक को अदालती आदेश की जरूरत नहीं है। लेकिन अगर लोन में ऐसा कोई वादा नहीं था, तो बैंक को अपना पैसा वापस पाने के लिए अदालत का सहारा लेना पड़ता है।”
अगर कोई 30 दिनों से ज्यादा समय तक अपने लोन की किस्त नहीं चुकाता और 90 दिनों से ज्यादा समय तक यही सिलसिला जारी रहता है, तो लोन को नॉन-परफॉर्मिंग असेट माना लिया जाता है। फिर, जिस व्यक्ति ने लोन लिया है उसे पेमेंट करने के लिए सीरियस रिक्वेस्ट की जाती है। अगर वे सही से जवाब नहीं देते, तो वकील उन्हें लीगल नोटिल भेजता है।
कानूनी नोटिस में क्या लिखा होना चाहिए?
कॉर्पोरेट और फाइनेंस वकील श्रिया मेहता ने कहा, “कर्ज न चुका पाने के कारण किसी की संपत्ति बेचने से पहले बैंक को नोटिस भेजना पड़ता है। इस नोटिस में यह लिखा होना चाहिए कि कितना पैसा बकाया है, व्यक्ति ने कब भुगतान करना बंद किया और बेची जाने वाली संपत्ति के बारे में जानकारी दी जानी चाहिए।
नोटिस को दो न्यूज पेपर में भी छपवाया जाना चाहिए, जिनमें से एक लोकल भाषा में होना चाहिए जहां संपत्ति है। यह नोटिस प्रॉपर्टी बेचने से कम से कम 30 दिन पहले देना होगा।”
अगर किसी ने अपना लोन नहीं चुकाया है और बैंक उसकी संपत्ति बेचना चाहता है, तो उस व्यक्ति को एक नोटिस भेजा जाता है। उनके पास यह समझाने के लिए 60 दिन हैं कि बैंक को संपत्ति क्यों नहीं बेचनी चाहिए। वे इस प्रक्रिया को रोकने के लिए अपने लोन का भुगतान फिर से शुरू कर सकते हैं।
अगर वे भुगतान नहीं कर सकते, तो उन्हें 60 दिनों में बैंक को इसका कारण बताना होगा। अगर वे जवाब नहीं देते हैं या बैंक जवाब से खुश नहीं है, तो बैंक संपत्ति बेचने की प्रक्रिया शुरू कर सकता है। 60 दिन बीत जाने के बाद जरूरत पड़ने पर बैंक 30 और दिनों में संपत्ति बेच सकता है।
हीरो रियल्टी के लीगल हेड रवि प्रकाश ने कहा, “जब किसी पर पैसा बकाया होता है और वह भुगतान नहीं करता है, तो बैंक एक नोटिस भेजकर 60 दिनों के भीतर पैसा मांगता है। यदि वे भुगतान नहीं करते हैं, तो बैंक उनका घर कंट्रोल में ले सकता है और उसे नीलामी में बेच सकता है। इस पूरी प्रक्रिया में आमतौर पर लगभग 4-6 महीने लगते हैं, लेकिन कभी-कभी इसमें इससे भी ज्यादा समय लग सकता है।”
लोन लेने वाले के अधिकार
नीलामी प्रक्रिया को नियंत्रित करने वाले नियम