Income Tax Rules 2025: साल 2024 खत्म होने वाला है। नए साल 2025 शुरू होने जा रहा है। लेकिन नए साल की शुरुआत के साथ ही कई आर्थिक-वित्तीय चीजों में बदलाव भी होगा, जिसका सीधा असर आपकी जेब पर पड़ेगा। वित्त वर्ष 2024-25 के बजट में इनकम टैक्स से जुड़े कई नियमों में बदलाव किए गए थे। हालांकि, इनमें से कई नियम पहले ही लागू हो चुके हैं, लेकिन इनका असर आपको साल 2025 में देखने को मिलेगा।
आइए आसान भाषा में इन बदलावों को समझते हैं कि 2025 के शुरुआत के साथ ही आपको किन मामलों में अपनी जेब ढीली करनी पड़ेगी और किन-किन चीजों में आपको फायदा मिल सकता है।
बजट 2024-25 में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव का ऐलान किया था। नए टैक्स सिस्टम के तहत 3 लाख रुपए से 7 लाख रुपए तक की आय पर 5 फीसदी का टैक्स लगेगा। 7 से 10 लाख रुपए की आय पर 10 फीसदी का टैक्स लगेगा और 10 से 12 लाख रुपए की आय पर 15 फीसदी का टैक्स लगाया जाएगा।
इस स्लैब के अंतर्गत 12 से 15 लाख रुपए के बीच की आय पर 20 फीसदी और 15 लाख से अधिक की आय पर 30 फीसदी का टैक्स लगेगा। इस बदलाव से वेतनभोगी कर्मचारियों को सालाना 17,500 रुपए तक का टैक्स बच सकेगा।
नए टैक्स स्लैब में 7 लाख रुपये तक कमाने वाले व्यक्ति को कोई टैक्स नहीं देना पड़ता है। इसी तरह, पुराने टैक्स स्लैब के तहत, 5 लाख रुपये तक कमाने वाले व्यक्ति को कोई टैक्स नहीं देना पड़ता है।
नए टैक्स स्लैब में, धारा 87A के तहत छूट 5 लाख रुपए से बढ़ाकर 7 लाख तक की आय पर कर दी गई थी। हालांकि, टैक्सपेयर्स को छूट दी गई हैं कि वह पुराने टैक्स स्लैब को अगर चुनना चाहें तो वह उसे भी चुन सकते हैं।
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नए टैक्स स्लैब के साथ स्टैंडर्ड डिडक्शन की लिमिट भी बढ़ाई गई है। इसमें स्टैंडर्ड डिडक्शन की लिमिट को बढ़ाकर 50,000 से 75,000 रुपए कर दिया गया। इसके अलावा फैमिली पेंशन पर सालाना छूट 15,000 रुपए से बढ़ाकर 25,000 रुपए कर दिया गया। नए टैक्स स्लैब में स्टैंडर्ड डिडक्शन में हुई बढ़ोतरी से वेतन भोगी और पेंशनभोगी अब अधिक टैक्स बचा सकेंगे।
बजट 2024-25 में TDS दरों में भी बदलाव किए गए थे। अलग-अलग वर्गों के लिए TDS दर को घटाकर 5 प्रतिशत से 2 प्रतिशत कर दिया गया। इसमें ई-कॉमर्स ऑपरेटरों पर TDS रेट 1 प्रतिशत से घटाकर 0.1 प्रतिशत कर दिया गया, लाइफ इंश्योरेंस पर टीडीएस को 5 प्रतिशत से घटाकर 2 प्रतिशत कर दिया गया। इसके अलावा लॉटरी पर 5 प्रतिशत से 2 प्रतिशत, रेंट पर 5 प्रतिशत से 2 प्रतिशत कर दिया गया है।
नए टैक्स स्लैब में व्यक्तिगत आयकर के तहत लगाया जाने वाला अधिकतम सरचार्ज 37 प्रतिशत से घटाकर 25 प्रतिशत कर दिया गया। इसके चलते 5 करोड़ रुपए से अधिक आय वाले उच्चतम टैक्स स्लैब पर अधिकतम टैक्स 41.744 प्रतिशत से घटकर 39 प्रतिशत हो जाएगी।
अभी पुराने और नए टैक्स स्लैब दोनों के तहत आयकर 50 लाख रुपए से 1 करोड़ रुपए तक की आय पर 10 प्रतिशत, 1 करोड़ रुपए से 2 करोड़ रुपए तक की आय पर 15 प्रतिशत, 2 करोड़ रुपए से अधिक और 5 करोड़ रुपए तक की आय पर 14 प्रतिशत और 5 करोड़ से अधिक की आय पर 37 प्रतिशत है।
वित्त वर्ष 2024-25 में सरकार ने फाइनेंशियल ईयर 2024-25 में कैपिटल गेन टैक्सेशन के नियमों को बदल दिया है। कैपिटल गेन टैक्सेशन को आसान बनाने के लिए LTCG (लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स) और STCG (शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन्स) के आधार पर टैक्स में बदलाव किए गए हैं। अब इक्विटी और इक्विटी-ओरिएंटेड म्यूचुअल फंड पर शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन्स (STCG) टैक्स को 15 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत कर दिया गया।
अब लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) पर अब 12.5 प्रतिशत टैक्स लगेगा जो पहले अलग-अलग एसेट के लिए अलग अलग था। इसके अलावा इक्विटी और इक्विटी ओरिएंटेड म्यूचुअल फंड्स के LTCG पर टैक्स में छूट को 1 लाख से बढ़ाकर 1.25 लाख कर दिया गया है।
इस साल के बजट में प्रॉपर्टी के सेल करने पर भी TDS की घोषणा की गई। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में कहा कि 50 लाख रुपए या उससे अधिक की मूल्य वाली अचल संपत्ति की खरीद बिक्री पर अब 1 फीसदी का TDS देना होगा।
हालांकि, इसमें बताया गया था कि अगर प्रॉपर्टी कई लोग मिलकर खरीद रहे हैं और किसी भी एक की निजी रकम 50 लाख रुपए से अधिक नहीं जाती है तो उसपर कोई टीडीएस नहीं लिगेगा।
1 जनवरी 2025 से 10 लाख से अधिक मूल्य के लक्जरी सामान खरीदने पर 1 प्रतिशत का TCS देना होगा। संशोधित नए कानून में लक्जरी वस्तुओं के लेनदेन के समय खरीदारों से कुल कीमत का 1 प्रतिशत लिया जाएगा। हालांकि, इसमें किन किन वस्तुओं को रखा गया है इसको लेकर अभी सरकार ने जानकारी नहीं दी है, लेकिन उम्मीद है कि इसमें डिजाइनर हैंडबैग, लक्जरी घड़ियां, डिजायनर होम डोकोर सहित अन्य चीजों को रखा जाएगा।
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नौकरीपेशा लोगों के लिए अब TCS का क्रेडिट क्लेम करना आसान हो जाएगा। साथ ही, इन बदलावों के चलते नाबालिगों के TCS क्रेडिट का क्लेम पैरंट्स कर सकेंगे। इस नए प्रावधान से उन अभिभावकों को मदद मिलेगी जो विदेश में पढ़ रहे बच्चों की ट्यूशन फीस देते हैं लेकिन अपनी ओर से TCS क्रेडिट क्लेम नहीं कर पाते है। यह नया नियम 1 जनवरी 2025 से लागू हो जाएगा।
विवाद से विश्वास स्कीम 2.0 के तहत सरकार का लक्ष्य लंबित टैक्स विवादों को खत्म करना है। यह योजना 1 अक्टूबर 2024 से लागू है। इस योजना के तहत, टैक्सपेयर्स को अपने लंबित आयकर मामलों को निपटाने का एक मौका दिया जाता है ताकि वे कानूनी लड़ाई और जुर्माने से बच सकें।
विवाद से विश्वास 2.0 स्कीम 31 दिसंबर, 2024 को या उससे पहले घोषणा पत्र दाखिल करने वाले टैक्सपेयर्स के लिए उसके बाद दाखिल करने वालों की तुलना में कम निपटान राशि की पेशकश करती है। इन परिवर्तनों का उद्देश्य अनुपालन को प्रोत्साहित करते हुए कर प्रणाली को व्यवस्थित करना और व्यापक कर आधार कवरेज सुनिश्चित करना है।
बजट 2024-25 में नए इक्विटी बायबैक को लेकर भी नियमों में संशोधन किया गया था। पहले के नियम के मुताबिक, शेयर बायबैक करने वाली घरेलू कंपनियों को आय पर 20 प्रतिशत का टैक्स देना पड़ता था।
नए नियम के तहत अक्टूबर 2024 से बायबैक के तहत शेयर धारकों को मिलने वाली पूरी राशि को लाभांश आय के तहत माना जाएगा और संबंधित आयकर स्लैब के हिसाब से टैक्स लगाया जाएगा। इस नियम से शेयर बायबैक पर मिलने वाली रकम अब पर्सनल टैक्सपेयर्स के हाथों में उनके आयकर स्लैब के हिसाब से टैक्सेबल होगी।
केंद्रीय बजट 2024-25 के मुताबिक, 1 अक्टूबर, 2024 से इन बॉन्ड की आय पर स्रोत पर टैक्स (TDS) लेने का प्रावधान लागू होगा। इस प्रावधान के मुताबिक, अगर साल भर में अर्जित आय 10,000 रुपये से कम है, तो कोई टीडीएस नहीं लगेगा। अगर यह आंकड़ा 10,000 रुपये से ज़्यादा हो जाता है, तो टीडीएस काटा जाएगा।
31 दिसंबर 2024 तक ITR फाइल करने से चूक गए टैक्सपेयर्स को अब बिलेटेड रिटर्न फाइल करने के कारण लेट फीस भरना होगा। अगर टैक्सपेयर्स बिलेटेड रिटर्स भी फाइल नहीं करते हैं उन्हें 10,000 तक जुर्माना देना पड़ सकता है। जिन टैक्सपेयर की सालाना कमाई 5 लाख रुपये से कम हैं उन्हें 1,000 रुपये लेट फीस देनी होगी। 5 लाख रुपये से ज्यादा इनकम पर 5,000 रुपये की लेट फीस देनी पड़ेगी।
बजट 2024-25 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एम्प्लॉयर्स द्वारा कर्मचारियों के नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) में किए गए कंट्रीब्यूशन पर NPS Contribution Limit को 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 14 प्रतिशत कर दिया गया था। नए नियम के मुताबिक, अब एम्प्लॉयर कर्मचारियों की बेसिक सैलरी से 10 प्रतिशत की जगह 14 प्रतिशत तक कटौती करेंगे। यानी, जो नौकरीपेशा अब तक इस स्कीम में 10 प्रतिशत योगदान करते थे, उन्हें अब 14 प्रतिशत का योगदान करना होगा।
बजट 2024-25 में सैलरी TDS को लेकर अन्य सोर्स से अडजस्ट करने की बात की गई थी। यानि, अब सैलरी से TDS कटने से पहले अगर किसी अन्य आय जैसे ब्याज, किराया आदि से TDS या TCS हुआ है चो उसे सैलरी से काटे गए TDS के खिलाफ क्लेम किया जा सकता है. इसका मतलब है कि आपकी सैलरी से कम टैक्स कटेगा.