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‘सेल इंडिया, बाय चाइना’ ट्रेंड जारी! विदेशी निवेशक क्यों बेच रहे भारतीय शेयर? 2025 में निकासी ₹1 लाख करोड़ पार

FPIs ने 21 फरवरी तक भारतीय इक्विटी बाजारों से 23,710 करोड़ रुपये की निकासी की। इससे पहले जनवरी में उन्होंने 78,027 करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी की थी।

Last Updated- February 23, 2025 | 4:00 PM IST
FPI
प्रतीकात्मक तस्वीर | फोटो क्रेडिट: ShutterStock

विदेशी निवेशकों ने इस महीने अब तक भारतीय इक्विटी बाजारों से 23,710 करोड़ रुपये से अधिक की निकासी की, जिससे 2025 में कुल निकासी 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गई है। वैश्विक व्यापार तनाव बढ़ने के कारण यह गिरावट देखने को मिली है।

आगे के हालात पर बात करते हुए जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट वी. के. विजय कुमार का मानना है कि जब भारत में आर्थिक बढ़ोतरी और कॉरपोरेट कमाई में सुधार होगा, तब विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) वापस आएगा। उनके अनुसार, इसके संकेत अगले दो से तीन महीनों में मिल सकते हैं।

डिपॉजिटरी के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) ने 21 फरवरी तक भारतीय इक्विटी बाजारों से 23,710 करोड़ रुपये की निकासी की। इससे पहले जनवरी में उन्होंने 78,027 करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी की थी। इन दोनों के मिलाकर 2025 में अब तक कुल 1,01,737 करोड़ रुपये की निकासी हो चुकी है।

इस भारी बिकवाली का असर यह हुआ कि निफ्टी (Nifty) ने साल की शुरुआत से अब तक 4% की निगेटिव रिटर्न दी है।

वैश्विक स्तर पर क्यों घबराहट बढ़ी?

मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के एसोसिएट डायरेक्टर-मैनेजर (रिसर्च) हिमांशु श्रीवास्तव के मुताबिक, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा स्टील और एल्युमिनियम आयात पर नए टैरिफ लगाने और कई देशों पर रिसिप्रोकल टैरिफ (reciprocal tariffs) लागू करने की खबरों से बाजार में चिंता बढ़ गई।

इससे वैश्विक व्यापार युद्ध (global trade war) का डर फिर से गहरा गया, जिससे विदेशी निवेशकों ने उभरते बाजारों, खासकर भारत में अपने निवेश पर दोबारा विचार करना शुरू कर दिया।

भारत में कमजोर कॉरपोरेट कमाई (lackluster corporate earnings) और रुपये की लगातार गिरावट, जो कई सालों के निचले स्तर पर पहुंच गई, ने भारतीय संपत्तियों (Indian assets) को कम आकर्षक बना दिया है।

‘सेल इंडिया, बाय चाइना’ ट्रेंड

ट्रंप की चुनावी जीत के बाद अमेरिकी बाजारों में भारी पूंजी प्रवाह हुआ। लेकिन हाल ही में चीन विदेशी निवेश के लिए बड़ा गंतव्य बनकर उभरा है।

जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के विजय कुमार का कहना है कि चीनी राष्ट्रपति के नए प्रयासों और वहां के शीर्ष उद्योगपतियों से हुई चर्चाओं ने चीन में आर्थिक सुधार की उम्मीदें जगा दी हैं। उन्होंने कहा, “चूंकि चीनी स्टॉक्स अब भी सस्ते हैं, इसलिए यह ‘सेल इंडिया, बाय चाइना’ ट्रेड जारी रह सकता है। हालांकि, ऐसा पहले भी हुआ है और अनुभव बताता है कि यह ज्यादा देर नहीं टिकेगा, क्योंकि चीन के आर्थिक पुनरुद्धार में संरचनात्मक समस्याएं (structural problems) बनी हुई हैं।”

FPIs ने डेट मार्केट (debt market) से भी पैसा निकाला। 7,352 करोड़ रुपये उन्होंने डेट जनरल लिमिट से निकाले और 3,822 करोड़ रुपये उन्होंने डेट वॉलंटरी रिटेंशन रूट से निकाले।

2024 और 2023 में FPI निवेश का ट्रेंड

कुल मिलाकर, विदेशी निवेशकों का रुख सतर्क रहा, क्योंकि उन्होंने 2024 में भारतीय इक्विटी में सिर्फ 427 करोड़ रुपये की शुद्ध राशि निवेश की थी।

यह 2023 के विपरीत है, जब भारत के मजबूत आर्थिक फंडामेंटल्स को लेकर आई बड़ी उम्मीदों के चलते 1.71 लाख करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश हुआ था। 2022 में, ग्लोबल सेंट्रल बैंकों द्वारा आक्रामक ब्याज दर वृद्धि के कारण 1.21 लाख करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी हुई थी।

First Published - February 23, 2025 | 4:00 PM IST

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