facebookmetapixel
डॉनल्ड ट्रंप ने BBC पर 40,000 करोड़ रुपये का मानहानि मुकदमा दायर कियाबायोकॉन ने नीदरलैंड में उतारी मोटोपे और डायबिटीज के इलाज की दवाजियोस्टार को मिला नया सीएफओ, जानिए कौन हैं जीआर अरुण कुमारकाम के बाद भी काम? ‘राइट टू डिसकनेक्ट बिल’ ने छेड़ी नई बहसलिशस ने रचा इतिहास, पहली बार 100 करोड़ रुपये का मासिक कारोबारविदेशी पढ़ाई की राह बदली: भारतीय छात्र अब दुबई को दे रहे हैं तरजीहIHH हेल्थकेयर भारत में जोड़ेगी 2,000 बेड, 2028 तक बड़ा विस्तारनिवेशकों की नब्ज टटोलने लंदन पहुंची सरकारी टीमआंदोलन बाहर, बढ़ोतरी अंदर: ओडिशा विधायकों ने तीन गुना किया वेतनसोना-चांदी का 70:30 फॉर्मूला क्या सच में काम करता है? जानें क्या बताया मोतीलाल ओसवाल के प्रतीक ओसवाल ने

कमजोर नतीजे, मुद्रास्फीति से बाजार परेशान

Last Updated- December 11, 2022 | 7:47 PM IST

इन्फोसिस और एचडीएफसी बैंक जैसी दिग्गजों के तिमाही नतीजे उम्मीद के अनुरूप नहीं रहने का असर आज शेयर बाजार में दिखा। साथ ही थोक मुद्रास्फीति में तेजी और बॉन्ड प्रतिफल बढऩे से भी निवेशकों की धारणा प्रभावित हुई तथा सूचकांक में तेज गिरावट दर्ज की गई। सेंसेक्स 1,172 अंक या 2.01 फीसदी लुढ़ककर 57,166 पर बंद हुआ। 7 मार्च के बाद सेंसेक्स में यह एक दिन की सबसे बड़ी गिरावट है। निफ्टी भी 302 अंक नीचे 17,173 पर बंद हुआ।
इन्फोसिस का शेयर 7.3 फीसदी और एचडीएफसी बैंक का शेयर 4.7 फीसदी गिरावट पर बंद हुआ। सेंसेक्स के कुल नुकसान में इन दोनों शेयरों की हिस्सेदारी करीब 60 फीसदी रही। दोनों फर्मों के तिमाही नतीजे उम्मीद से कमजोर रहे, जिससे आईटी एवं वित्तीय शेयरों में भी बिकवाली देखी गई क्योंकि निवेशकों को आय में गिरावट का डर सता रहा है।
अल्फानीति फिनटेक के सह-संस्थापक यूआर भट्ट ने कहा, ‘निवेशकों को लग रहा है कि अगर दो श्रेष्ठ कंपनियों को कुछ समस्या है तो अन्य कंपनियों के नतीजे भी खराब रह सकते हैं।’
अमेरिका और भारत में बॉन्ड प्रतिफल बढऩे से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों द्वारा बिकवाली जारी है। विदेशी निवेशकों ने 6,387 करोड़ रुपये की बिकवाली की और देसी निवेशकों ने 3,342 करोड़ रुपये की लिवाली की। कमजोर नतीजों के साथ ही मुद्रास्फीति और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की संभावना से भी निवेशक चिंतित हैं। पिछले हफ्ते विश्व बैंक ने भारत की वृद्घि दर का अनुमान 8.7 फीसदी से घटाकर 8 फीसदी कर दिया था। मार्च में भारत की थोक मुद्रास्फीति बढ़कर 14.5 फीसदी पर पहुंच गई। थोक मुद्रास्फीति लगातार 12वें महीने दो अंक में रही। खुदरा मुद्रास्फीति भी 17 महीने के उच्च स्तर 6.95 फीसदी पर रही। भट्ट ने कहा, ‘थोक मुद्रास्फीति के आंकड़े अनुमान से ज्यादा हैं, जिससे बाजार में गिरावट आई है।’ हालांकि वैश्विक वृद्घि की चिंता और यूक्रेन युद्घ के मामले में थोड़ी राहत मिली है।

First Published - April 18, 2022 | 11:46 PM IST

संबंधित पोस्ट