पिछले सप्ताह निफ्टी 1,000 अंक (4.2 फीसदी) से ज्यादा चढ़ गया था। पाकिस्तान के साथ संघर्ष विराम पर सहमति, अमेरिकी व्यापार करार के लिए बढ़ती उम्मीदों और रिजर्व बैंक के ब्याज दर में कटौती करने की संभावना समेत कई सकारात्मक घटनाओं से बाजार को दम मिला। 50 शेयर वाला सूचकांक 25,020 पर बंद हुआ जो उसके लिए 25,500 की ओर संभावित बढ़त का संकेत है।
तकनीकी विश्लेषक पिछले सप्ताह की बढ़त को तेजी के रुझान के संकेत के रूप में देख रहे हैं। मुख्य संकेतकों में शामिल रिलेटिव स्ट्रेंग्थ इंडेक्स 60 से ऊपर बना हुआ है और इंडिया वीआईएक्स करीब 23 फीसदी घटकर 16.55 पर आ गया है। सैमको सिक्योरिटीज में तकनीकी शोध विश्लेषक ओम मेहरा का मानना है कि गिरावट की सूरत में निफ्टी को 24,800 पर समर्थन मिलेगा। प्रतिरोध स्तर 25,150 और 25,300 के आसपास है, जो खरीदारी दिलचस्पी बढ़ने पर टूट सकता है।
पिछले तीन महीनों में सेकंडरी बाजार में उतार-चढ़ाव रहा है जबकि प्राथमिक बाजार काफी हद तक निष्क्रिय रहे हैं और सिर्फ एथर एनर्जी का ही एक आईपीओ आया। हालांकि सेकंडरी बाजारों में मजबूत सुधार से आईपीओ गतिविधियों में भी उत्साह बढ़ा है। अगले सप्ताह दो मुख्य आईपीओ- बेलराइज इंडस्ट्रीज (2,150 करोड़ रुपये) और बोराना वीव्स (145 करोड़ रुपये) आने हैं। उत्साहजनक बात यह है कि दोनों कंपनियों के शेयर वर्तमान में ग्रे मार्केट में 20 प्रतिशत प्रीमियम से अधिक पर कारोबार कर रहे हैं। निवेश बैंकरों के अनुसार तीन से चार छोटे आईपीओ भी लॉन्च होने वाले हैं।
पाकिस्तान के साथ संघर्ष विराम की वजह से 12 मई सोमवार को सेंसेक्स और निफ्टी ने चार वर्षों में अपनी सबसे बड़ी एक दिन की तेजी दर्ज की। बाजार पूंजीकरण में शानदार 16 लाख करोड़ रुपये तक का इजाफा हुआ। आमतौर पर इस तरह की बड़ी तेजी विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई), म्युचुअल फंडों (एमएफ) और रिटेल निवेशकों की दमदार खरीदारी से आती है।
एक्सचेंज के आंकड़ों के अनुसार आश्चर्य की बात यह है कि एफपीआई और खुदरा निवेशक शुद्ध विक्रेता थे, जिनमें से प्रत्येक ने 2,400 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। बैंकों, बीमा कंपनियों और पोर्टफोलियो प्रबंधन सेवा फर्मों ने भी क्रमशः 313 करोड़ रुपये, 965 करोड़ रुपये और 177 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। केवल म्युचुअल फंड और ‘अन्य’ श्रेणी में ही शुद्ध खरीदार थे, जिन्होंने क्रमशः 2,146 करोड़ रुपये और 1,558 करोड़ रुपये की मामूली खरीदारी की। एक डीलर ने कहा, ‘उस दिन बाजार में वास्तविक पूंजी निवेश नहीं, बल्कि भावनात्मक तेजी ज्यादा थी।’