श्रम संबंधी संसदीय स्थायी समिति ने श्रम मंत्रालय से एक ऐसा मजबूत सत्यापन तंत्र विकसित करने का आग्रह किया है जिससे नैशनल करियर सर्विस (NPS) पोर्टल पर दिए गए प्लेसमेंट आंकड़े देश में रोजगार वितरण की वास्तविक स्थिति को पेश कर सकें।
इस महीने की शुरुआत में लोक सभा अध्यक्ष को सौंपी गई अपनी ताजा रिपोर्ट में समिति ने टिप्पणी की है, ‘समिति की इच्छा है कि एक ऐसा मजबूत सत्यापन तंत्र विकसित और कार्यान्वित किया जाए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि एनसीएस पोर्टल पर दर्शाए गए प्लेसमेंट के आंकड़े वास्तविक रोजगार वितरण को सटीक रूप से दर्शाएं।’
स्थायी समिति श्रम मंत्रालय की इस बात से भी सहमत नहीं है कि एनसीएस पोर्टल पहले से ही नियोक्ताओं को शॉर्टलिस्ट किए गए उम्मीदवारों की सूची अपडेट करने की छूट देता है। मंत्रालय ने कहा था, ‘रोजगार महानिदेशालय मॉडल करियर केंद्रों में आयोजित नौकरी मेलों से चयनित उम्मीदवारों की संख्या को दर्ज कर रहा है। इसके अलावा, एनसीएस पोर्टल में यह सुविधा दी गई है जिसमें नियोक्ता नौकरी के लिए शॉर्टलिस्ट लोगों का आंकड़ा अपडेट कर सकते हैं।’
श्रम मंत्रालय द्वारा 2015 में लॉन्च एनसीएस पोर्टल एक ऐसा बहुउद्देश्यीय प्लेटफॉर्म है जो निजी और सरकारी क्षेत्रों से नौकरी की रिक्तियां, ऑनलाइन और ऑफलाइन नौकरी मेलों की जानकारी, नौकरी खोज और मिलान, करियर काउंसलिंग, व्यावसायिक मार्गदर्शन और कौशल विकास पाठ्यक्रमों एवं रोजगार क्षमता बढ़ाने वाले कार्यक्रमों के विवरण सहित करियर संबंधी तमाम सेवाएं प्रदान करता है। इस वर्ष जुलाई तक उपलब्ध ताजा आंकड़ों के अनुसार पोर्टल पर 48 लाख से अधिक सक्रिय नियोक्ता और 40 लाख से अधिक रिक्तियों के बारे में नवीनतम जानकारी दर्ज है।
समिति ने श्रम मंत्रालय से यह भी सिफारिश की है कि एनसीएस पोर्टल पर डिजिटल पुष्टिकरण प्रणाली की सुविधा मुहैया कराने का आग्रह किया है ताकि नियोक्ताओं द्वारा नौकरी दिए जाने के बारे में निरंतर ताजा जानकारी दर्ज होती रहे। साथ ही लगातार वास्तविक भर्ती डेटा अपलोड करने वालों को रेटिंग और प्रोत्साहन की व्यवस्था भी होनी चाहिए। समिति ने उन उम्मीदवारों के लिए स्व-रिपोर्टिंग सुविधा जोड़ने की भी सिफारिश की है जिन्हें नौकरी मिल चुकी है ताकि रोजगार की सुविधा में पोर्टल की प्रभावशीलता का आकलन किया जा सके।
श्रम मंत्रालय से ऐसी व्यवस्था करने की सिफारिश भी की गई है जिससे नियोक्ता अनिवार्य रूप से इस पोर्टल पर रिक्तियों के बारे में जानकारी साझा करें और डेटा स्वत: अपडेट हो जाए। समिति की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘मंत्रालय से आग्रह है कि सिफारिशों पर कितना अमल हुआ, इस बारे में तीन महीने के भीतर समिति को बताया जाए।’
इसके अलावा, समिति ने अपनी पिछली सिफारिश को दोहराते हुए मंत्रालय से चार नई श्रम संहिताओं के तहत मसौदा नियमों को पूर्व-प्रकाशित नहीं करने वाले शेष राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ मिलकर काम करने का आग्रह किया।
समिति ने कहा कि यदि इन संहिताओं के कार्यान्वयन में देरी होती है तो इससे श्रमिक, विशेष रूप से असंगठित क्षेत्र में कार्यरत कामगार सरलीकृत एवं समेकित श्रम कानूनों, बेहतर सामाजिक सुरक्षा और काम करने की सुदृढ़ व्यवस्था से वंचित हो जाएंगे।