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सस्ते आयात से स्टील के दाम पर दबाव की आशंका, उद्योग के साथ महत्त्वपूर्ण बैठक करेगा इस्पात मंत्रालय

जिंदल स्टेनलेस के प्रबंध निदेशक अभ्युदय जिंदल ने कहा कि सब्सिडीयुक्त और घटिया स्टील के बढ़ते आयात से भारतीय निर्माताओं के लिए अनुचित प्रतिस्पर्धा पैदा हो रही है।

Last Updated- October 26, 2025 | 9:49 PM IST
Vehicle companies protest against security duty on steel import, differences over self-reliance वाहन कंपनियों का स्टील आयात पर सुरक्षा शुल्क का विरोध, आत्मनिर्भरता को लेकर मतभेद

इस्पात मंत्रालय बढ़ते इस्पात आयात के प्रभाव पर सोमवार को इस्पात कंपनियों और उद्योग के साथ महत्त्वपूर्ण बैठक करने जा रहा है। इस बैठक से पहले इस्पात कंपनियों ने चीन, वियतनाम और दक्षिण कोरिया से सस्ते आयात पर चिंता जताई है और कहा है कि ये आयात घरेलू कीमतों के लिए मानक तय कर रहे हैं और भारतीय उत्पादकों के मुनाफे को कम कर रहे हैं।

जिंदल स्टेनलेस के प्रबंध निदेशक अभ्युदय जिंदल ने कहा कि सब्सिडीयुक्त और घटिया स्टील के बढ़ते आयात से भारतीय निर्माताओं के लिए अनुचित प्रतिस्पर्धा पैदा हो रही है। जिंदल ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘ये आयात कीमतों को अस्थिर करते हैं और सुरक्षा व गुणवत्ता के लिए ख़तरा पैदा करते हैं, खासकर बुनियादी ढांचे, ऑटोमोटिव, खाद्य, दवा और निर्माण जैसे क्षेत्रों में।’ उन्होंने कहा, ‘भारत में मांग पूरी करने की पर्याप्त क्षमता है, लेकिन उत्पादकों से कृत्रिम रूप से कम आयात कीमतों के अनुरूप काम करने की उम्मीद करना न तो व्यावहारिक है और ना ही टिकाऊ।’

विशेषज्ञों का कहना है कि वैश्विक अतिआपूर्ति के बीच भारतीय उत्पादकों को उच्च लॉजिस्टिक लागत और आयातित कच्चे माल मुख्यतः कोकिंग कोल पर निर्भरता के कारण संरचनात्मक सीमाओं का सामना करना पड़ता है।

क्रिसिल रेटिंग्स के निदेशक अंकित हखू के अनुसार, ‘रियलाइजेशन में गिरावट के कारण घरेलू प्राथमिक इस्पात निर्माताओं की प्रति टन लाभ में गिरावट आई, जो वित्त वर्ष 2025 में एक दशक के औसत से नीचे आ गया है।’

वित्त वर्ष 2025 में औसत घरेलू फ्लैट स्टील की कीमतों में सालाना आधार पर लगभग 10 प्रतिशत की गिरावट आई क्योंकि वैश्विक स्तर पर अधिक आपूर्ति और कमजोर मांग ने अधिशेष स्टील को भारत की ओर मोड़ दिया। वित्त वर्ष 2024 और वित्त वर्ष 2025 में चीनी हॉट-रोल्ड कॉइल (एचआरसी) के आयातित मूल्य घरेलू कीमतों से 5 से 6 प्रतिशत कम रहे। हखू ने कहा कि इस साल अप्रैल में सरकार द्वारा 12 प्रतिशत सुरक्षा शुल्क लगाने के बाद कीमतें लगभग बराबर हो गईं। सितंबर में घरेलू एचआरसी का औसत मूल्य 52,675 रुपये प्रति टन रहा, जबकि चीनी आयात के लिए यह 52,207 रुपये प्रति टन था।

वित्त वर्ष 2025 में भारत का इस्पात आयात 9 साल के उच्चतम स्तर 40.3 लाख टन पर पहुंच गया, जिसमें दक्षिण कोरिया (29 प्रतिशत) और चीन (26 प्रतिशत) का योगदान रहा। हखू के अनुसार प्राथमिक इस्पात निर्माताओं की सुरक्षा के लिए अप्रैल 2025 से कुछ फ्लैट स्टील पर 12 प्रतिशत सुरक्षा शुल्क लगाया गया है, जिसके परिणामस्वरूप वित्त वर्ष 2026 (अगस्त 2025 तक) में पिछले वर्ष की तुलना में आयात में 40 प्रतिशत की कमी आएगी। व्यापार उपचार महानिदेशालय (डीजीटीआर) ने तीन वर्षों के लिए सुरक्षा शुल्क की सिफारिश की है।

First Published - October 26, 2025 | 9:49 PM IST

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