देश में क्विक कॉमर्स (क्यूकॉम) की दौड़ तेज होने के साथ ही एक नया मॉडल- वर्टिकल क्यूकॉम- यानी खास श्रेणियों पर केंद्रित क्यूकॉम निवेशकों का ध्यान आकृष्ट कर रहा है। ब्लिंकइट, जेप्टो और स्विगी इंस्टामार्ट जैसे हॉरिजेंटल प्लेटफॉर्म किराने के सामान से लेकर उपहार और गैजेट्स तक तमाम उत्पादों का स्टॉक करते हैं। मगर वर्टिकल प्लेटफॉर्म फार्मा, फैशन, सौंदर्य, शिशु देखभाल और पालतू जानवरों की देखभाल जैसी उच्च मूल्य वाली श्रेणियों पर ध्यान केंद्रित करते हैं। इन श्रेणियों में उत्पादों के वर्गीकरण और बार-बार खरीदारी की संभावना अधिक होती है।
निवेशकों का कहना है कि खास श्रेणियों पर केंद्रित प्लेटफॉर्म ग्राहकों को बेहतर उपलब्धता के अलावा अपने क्षेत्र की विशेषज्ञता भी प्रदान कर सकते हैं। वे इन मॉडलों पर उनके उच्च औसत ऑर्डर मूल्य (एओवी), बार-बार होने वाले लेनदेन और बेहतर स्टॉक एवं डिलिवरी नेटवर्क के लिए भी तेजी से दांव लगा रहे हैं।
उदाहरण के लिए, इन्फो एज वेंचर्स और चिराटे वेंचर्स ने हाल में फैशन क्यूकॉम कंपनी जि़लो में सीड फंडिंग राउंड के तहत 45 लाख डॉलर का निवेश किया है। ऑल इन कैपिटल ने क्यूकॉम फार्मा फर्म प्लाजा में भी 14 लाख डॉलर का निवेश किया और शिशु देखभाल पर केंद्रित क्यूकॉम स्टार्टअप पीको ने स्टेलारिस वेंचर पार्टनर्स के नेतृत्व में सीड राउंड के तहत 32 लाख डॉलर जुटाए।
ऑल इन कैपिटल के सह-संस्थापक और पार्टनर आदित्य सिंह ने वर्टिकल क्यूकॉम मॉडल के विकास की संभावनाओं के बारे में बताते हुए कहा, ‘फार्मा जैसी श्रेणियों में 15,000 से ज्यादा स्टॉक कीपिंग यूनिट (एसकेयू) होती हैं और ब्लिंकइट या जेप्टो जैसे प्लेटफॉर्म हर डार्क स्टोर में इतनी मात्रा में स्टॉक नहीं रख सकते। यहीं पर वर्टिकल फार्मेसी प्लेटफॉर्म की भूमिका सार्थक दिखती है। इसके अलावा, फैशन या परिधान जैसी श्रेणियों में रफ्तार ही एकमात्र मामला नहीं है। सबसे बड़ा मुद्दा यह है कि क्या स्टॉक किया जाए और किन ब्रांडों को बढ़ावा दिया जाए। इस मामले में वर्टिकल प्लेटफॉर्म बेहतर कर सकता है। वह आपूर्ति श्रृंखलाओं को अलग तरीके से प्रबंधित कर सकता है।’
स्टेलारिस वेंचर्स के पार्टनर राहुल चौधरी ने कहा, ‘हॉरिजेंटल क्यूकॉम में इस बात पर जोर दिया जाता है कि स्टॉक को कितनी तेजी से आगे बढ़ाया जाए। मगर फैशन जैसी श्रेणी में जरूरी कलेक्शन बड़ा होता है और स्टॉक को आगे बढ़ने की रफ्तार भी अलग होती है। उपभोक्ता फैशन और सौंदर्य उत्पादों की खरीदारी में किराने की खरीदारी जैसा अनुभव भी नहीं चाहते। इसमें वे जांच-परखकर खरीदाना चाहते हैं जो फैशन क्यूकॉम की जरूरत को उजागर करता है।’
आईआईएमए वेंचर्स ने भी कहा कि वह उन श्रेणियों में वर्टिकल क्यूकॉम की संभावनाएं तलाशने के लिए उत्सुक है। इसमें गहराई, बेहतर संग्रह, बेहतर उपभोक्ता अनुभव और डोमेन विशेष पर भरोसे की आवश्यकता होती है। आईआईएमए वेंचर्स के पार्टनर (सीड इन्वेस्टिंग) विपुल पटेल ने कहा कि गैर-किराना एवं विशेष श्रेणियां बेहतर अवसर दे सकती हैं।
वर्टिकल क्यूकॉम क्षेत्र में काम कर रहे कुछ संस्थापकों का कहना है कि फैशन और फार्मा जैसी कुछ श्रेणियों में बेहतर पैठ एवं खरीदारी के बेहतर अनुभव की जरूरत है। ऑफलाइन खरीदारी अक्सर गैर-ब्रांडेड और अलग-अलग पेशकश के कारण उपभोक्ताओं की अपेक्षाओं पर खरी नहीं उतर पाती है।
पीको के सह-संस्थापक चेतन शर्मा ने कहा कि शिशुओं के देखभाल वाले उत्पादों का बाजार काफी बड़ा है, मगर वह खंडित है और उसमें मुख्य तौर पर गैर-ब्रांडेड उत्पादों का वर्चस्व है। इसमें करीब 25 फीसदी बाजार ही ब्रांड आधारित है। उन्होंने कहा, ‘शेष 75 फीसदी गैर-ब्रांडेड है जिनमें परिधान, ऐक्सेसरीज, जूते और खिलौने शामिल हैं। इससे आपूर्ति श्रृंखला जटिल हो जाती है क्योंकि इसके लिए 15,000 से 20,000 एसकेयू की आवश्यकता होती है। साथ ही यह भी सुनिश्चित करना होता है कि उत्पाद बेहतर गुणवत्ता वाले, सुरक्षित और विश्वसनीय हों। शिशुओं के माता-पिता के पास अक्सर समय की कमी होती है और वे बिना किसी झंझट के खरीदारी करना चाहते हैं। ऐसे में वर्टिकल प्लेटफॉर्म उन्हें आजमाएं और खरीदें के साथ-साथ तुरंत वापसी जैसी सुविधाएं प्रदान करते हैं।’
प्लाजा के संस्थापक एवं मुख्य कार्याधिकारी अमन प्रियदर्शी ने कहा, ‘फार्मेसी के लिए 95 फीसदी अनुभव ऑफलाइन है और ऑफलाइन अनुभव काफी खराब है। लगभग सभी ग्राहक अपने खुदरा फार्मासिस्ट से होम डिलिवरी के लिए व्हाट्सऐप नंबर मांगते हैं या वे खुद स्टोर पर आते हैं। वहां छोटे लेनदेन में भी 15 से 30 मिनट लग सकते हैं।’ उन्होंने कहा कि इसे देखते हुए कंपनी डिलिवरी-फर्स्ट स्टोर तैयार कर रही है और फिलहाल वह बेंगलूरु में दवाओं की डिलिवरी कर रही है।