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चुनाव आयोग (EC) अगले सप्ताह देशभर में मतदाता सूची (Voter List) की विशेष गहन समीक्षा (Special Intensive Revision – SIR) की पहली फेज शुरू कर सकता है। शुरुआती चरण में लगभग 10-15 राज्यों को शामिल किया जाएगा। इस प्रक्रिया में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों वाले राज्य भी शामिल होंगे।
असम, तमिलनाडु, पुडुचेरी, केरल और पश्चिम बंगाल जैसे राज्य अगले साल चुनाव की तैयारी में होंगे और इन्हीं राज्यों से मतदाता सूची की समीक्षा शुरू होगी। अधिकारियों के अनुसार, चुनाव आयोग अगले सप्ताह के मध्य में इस पहले चरण की घोषणा कर सकता है।
जहां स्थानीय निकाय चुनाव चल रहे हैं या नजदीकी समय में होने वाले हैं, वहां यह प्रक्रिया फिलहाल नहीं की जाएगी। इन राज्यों में SIR बाद के चरणों में की जाएगी।
बिहार ने पहले ही अपनी SIR पूरी कर ली है। अंतिम मतदाता सूची 30 सितंबर को प्रकाशित की गई, जिसमें लगभग 7.42 करोड़ नाम शामिल हैं। यह प्रक्रिया जून से शुरू हुई थी और इसमें व्यापक फील्ड सर्वे किया गया।
24 जून को SIR शुरू होने पर बिहार में 7.89 करोड़ नाम थे। जुलाई में फील्ड सर्वे के बाद 1 अगस्त को ड्राफ्ट सूची में 7.24 करोड़ नाम आए, जिससे 65 लाख नाम हटाए गए जिन्हें “अनुपस्थित”, “स्थानांतरित” या “मृत” पाया गया।
अंतिम सूची में 21.53 लाख नए मतदाता जोड़े गए और 3.66 लाख नाम हटाए गए, जिससे कुल मिलाकर 17.87 लाख मतदाताओं की बढ़ोतरी हुई। बिहार में चुनाव दो चरणों में होंगे – 6 और 11 नवंबर को मतदान, और 14 नवंबर को परिणाम आएंगे।
चुनाव आयोग ने SIR को लागू करने के लिए राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (CEOs) के साथ दो बैठकें की हैं। कई राज्यों ने अपनी पिछली SIR के बाद प्रकाशित मतदाता सूची अपने CEO वेबसाइट पर अपलोड कर दी है। उदाहरण के लिए, दिल्ली की CEO वेबसाइट पर अभी भी 2008 की सूची उपलब्ध है, जबकि उत्तराखंड की अंतिम SIR 2006 में हुई थी।
हर राज्य की पिछली SIR एक तरह की कट-ऑफ डेट का काम करती है, जैसे बिहार की 2003 की सूची का इस्तेमाल हुआ था। अधिकांश राज्यों ने पिछली SIR 2002 से 2004 के बीच की थी और वर्तमान मतदाताओं का मिलान लगभग पूरा हो चुका है।
SIR का मुख्य उद्देश्य विदेशी अवैध प्रवासियों की पहचान करना और उन्हें मतदाता सूची से हटाना है। यह कदम कई राज्यों में बांग्लादेश और म्यांमार जैसे देशों से आए अवैध प्रवासियों पर कड़े कदम उठाने के संदर्भ में अहम माना जा रहा है।