वित्त वर्ष 2020-21 और वित्त वर्ष 22 में भारतीय इक्विटी में जिस तरह की तेजी नजर आई थी वह वित्त वर्ष 23 में थमती नजर आई क्योंकि भारतीय रिजर्व बैंक समेत ज्यादातर वैश्विक केंद्रीय बैंकों ने अपनी-अपनी मौद्रिक नीतियों में सख्ती बरती ताकि बढ़ती महंगाई पर लगाम कसा जा सके।
इसके परिणामस्वरूप एसऐंडपी बीएसई सेंसेक्स और निफ्टी-50 अब मौजूदा वित्त वर्ष की समाप्ति क्रमश: 1.6 फीसदी व 2.9 फीसदी के नुकसान के साथ करने वाले हैं। वित्त वर्ष 21 और वित्त वर्ष 22 में एसऐंडपी बीएसई सेंसेक्स में क्रमश: 18.3 फीसदी व 68 फीसदी की तेजी आई थी।
इस बीच, स्मॉलकैप पर सबसे ज्यादा चोट पड़ी है और एसऐंडपी बीएसई स्मॉलकैप इंडेक्स वित्त वर्ष 23 के दौरान 7.3 फीसदी टूट गया। इस तरह से इस इंडेक्स ने एसऐंडपी बीएसई मिडकैप व बीएसई 500 इंडेक्स के मुकाबले कमजोर प्रदर्शन किया क्योंकि इन दोनों में इस दौरान क्रमश: 2.7 फीसदी व 4.6 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई।
इस अवधि में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने भारतीय इक्विटी बाजारों से 39,701 करोड़ रुपये की निकासी की। यह जानकारी एनएसडीएल के आंकड़ों से मिली। देसी म्युचुअल फंडों ने हालांकि इस गिरावट को थामने में मदद की और वित्त वर्ष 23 के दौरान उन्होंने इक्विटी में 1.71 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया।
विभिन्न क्षेत्रों की बात करें तो सूचना प्रौद्योगिकी, दूरसंचार, रियल्टी, धातु, स्वास्थ्य सेवा और फार्मा इंडेक्स ने वित्त वर्ष 23 में अब तक 10 फीसदी से ज्यादा गंवाए हैं। ऑटो, एफएमसीजी और पीएसयू (बैंक समेत) ने उम्दा प्रदर्शन किया।
बीएसई 500 में शामिल शेयरों में से आधे से ज्यादा यानी 295 शेयरों ने वित्त वर्ष 23 में नकारात्मक रिटर्न दर्ज किया, जिनमें अदाणी समूह की तीन कंपनियां अदाणी ट्रांसमिशन, अदाणी टोटाल गैस और अदाणी ग्रीन एनर्जी शामिल हैं। कुल 18 शेयरों ने अपनी बाजार कीमत में वित्त वर्ष 23 के दौरान 50 फीसदी से ज्यादा गिरावट दर्ज की। करीब 232 शेयरों ने 10 फीसदी से ज्यादा नकारात्मक रिटर्न दर्ज किया।
आगे की राह
विश्लेषकों ने कहा, पिछले कुछ महीनों में भारतीय बाजारों में आई गिरावट ने मूल्यांकन आकर्षक बना दिया है और कम से कम अभी मौजूदा स्तर से गिरावट सीमित नजर आ रही है।
क्वेस्ट इनवेस्टमेंट एडवाइजर्स के मुख्य निवेश अधिकारी अनिरुद्धसरकार का मानना है कि बाजार निकट भविष्य में होने वाली ज्यादातर नकारात्मक चीजों को मौजूदा स्तर पर समाहित कर रहा है और उम्मीद कर रहा है कि वित्त वर्ष 24 में मुख्य सूचकांक एक अंक से लेकर दो अंकों में रिटर्न दे सकते हैं।
वित्त वर्ष 24 के लिए बाजारों के लिए दो मुख्य संकेतक अमेरिका में ब्याज दरों का चक्र सर्वोच्च स्तर पर पहुंचना और अगले छह महीने में भारत में ब्याज दरों का चक्र सर्वोच्च स्तर पर पहुंचने के अलावा सामान्य मॉनसून है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा है कि अमेरिका व यूरोपीय अर्थव्यवस्थाओं में गिरावट एक तरह का जोखिम है।
उन्होंने कहा, मुझे उम्मीद है कि वित्त वर्ष 23 के मुकाबले वित्त वर्ष 24 बाजारों के लिए बेहतर साल होगा क्योंकि मूल्यांकन ज्यादा सहज है। रिटर्न का अनुमान अभी वित्त वर्ष में प्रवेश के समय के मुकाबले अभी काफी कम है। मुख्य सूचकांक अभी वित्त वर्ष 23 की शुरुआत के मुकाबले एक साल आगे की आय के 18 गुने पर कारोबार कर रहे हैं, ऐसे में गिरावट का जोखिम सीमित नजर आ रहा है जब तक कि कोई ऐसा घटनाक्रम सामने न आ जाए।
जुलियस बेयर इंडिया के कार्यकारी निदेशक नितिन रहेजा का भी मानना है कि बाजार का मूल्यांकन आकर्षक है और निवेशक मध्य से लंबी अवधि के लिहाज से खरीदकर निवेशित रह सकते हैं।