अगर आप पिछले एक साल से हर महीने SIP में निवेश कर रहे हैं और फिर भी आपका पोर्टफोलियो लगभग वहीं का वहीं है, तो आप अकेले नहीं हैं। बहुत से निवेशक जिन्होंने 2024 के बीच में निवेश शुरू किया था, आज अपने रिटर्न देखकर सोच में हैं कि गलती कहां हो गई। वैल्यू रिसर्च की एक रिपोर्ट बताती है कि यह आपकी गलती नहीं, बल्कि बाजार के ठहराव का असर है।
वैल्यू रिसर्च के मुताबिक, जुलाई 2024 से अक्टूबर 2025 के बीच निफ्टी 500 इंडेक्स में सिर्फ करीब 2 प्रतिशत की बढ़त हुई है। यानी पिछले एक साल में बाजार लगभग स्थिर रहा। ऐसे में अगर आपकी SIP पर सिर्फ 1 या 2 प्रतिशत का रिटर्न दिख रहा है, तो यह खराब फंड का नहीं बल्कि पूरे मार्केट की सुस्ती का नतीजा है। निवेश का यह दौर धैर्य की परीक्षा है।
निवेश एक लंबी यात्रा है, कोई छोटी दौड़ नहीं। वैल्यू रिसर्च का कहना है कि SIP को एक साल में आंकना वैसा ही है जैसे किसी फिल्म का ट्रेलर देखकर पूरी कहानी पर राय बना लेना। असली तस्वीर तब बनती है जब निवेश तीन साल या उससे अधिक समय तक चलता है। इसलिए अगर आप नए निवेशक हैं, तो जल्दबाजी न करें। नियमित रहें और समय को अपना काम करने दें। यही SIP का असली मंत्र है।
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मार्केट गिरने पर कई निवेशक अपनी SIP रोक देते हैं, यह सोचकर कि नुकसान कम होगा। लेकिन असल में वे सबसे बड़ा फायदा खो देते हैं। SIP का जादू तब चलता है जब आप हर स्थिति में निवेश जारी रखते हैं। बाजार नीचे होता है, तब वही रकम आपको ज्यादा यूनिट्स दिलाती है और जब मार्केट ऊपर जाता है, तो वही सस्ते में खरीदी गई यूनिट्स बड़ा मुनाफा देती हैं। इसलिए SIP को बीच में रोकना उसके मकसद को कमजोर कर देता है।
अक्सर निवेशक खुद को ‘हाई-रिस्क’ मानते हैं, लेकिन जैसे ही मार्केट में उतार आता है, वे घबरा जाते हैं या निवेश घटा देते हैं। वैल्यू रिसर्च का कहना है कि अगर बाजार की गिरावट आपको बेचैन कर देती है, तो आप असल में मध्यम जोखिम वाले निवेशक हैं। ऐसे निवेशकों के लिए एग्रेसिव हाइब्रिड फंड्स बेहतर विकल्प हैं, क्योंकि इनमें 65 से 80 प्रतिशत पैसा शेयरों में और बाकी डेट यानी बॉन्ड्स में लगता है। यह संतुलन बाजार के झटकों को सहन करने में मदद करता है।
‘जितने ज्यादा फंड्स, उतनी सुरक्षा’ — यह सोच अक्सर निवेशकों को नुकसान की तरफ ले जाती है। वैल्यू रिसर्च ने चेतावनी दी है कि 8-10 फंड्स में SIP बांटने से निवेश बिखर जाता है। अधिकतर इक्विटी फंड्स वैसे भी एक जैसे बड़े शेयरों में पैसा लगाते हैं। जैसे HDFC Bank, Reliance Industries, ICICI Bank, Infosys या L&T। इसका मतलब, जब आप कई फंड्स में निवेश करते हैं, तो आप असल में वही शेयर बार-बार खरीद रहे होते हैं। इससे ना तो जोखिम घटता है और ना ही रिटर्न बढ़ता है, बल्कि ट्रैक करना और मुश्किल हो जाता है।
एक उदाहरण लें – एक यंग प्रोफेशनल राहुल (बदला हुआ नाम) हर महीने ₹15,000 निवेश कर रहा था लेकिन उसे 10 अलग-अलग फंड्स में बांट रखा था। नतीजा यह हुआ कि हर फंड में सिर्फ ₹1,500 जा रहे थे। यानी इतनी छोटी रकम जो कोई खास असर नहीं डालती।
विशेषज्ञों ने इसे “diworsification” कहा। यानी इतनी ज्यादा डाइवर्सिफिकेशन कि पोर्टफोलियो बेहतर नहीं बल्कि बदतर हो जाए। नतीजा यह हुआ कि उसका निवेश ट्रैक करना मुश्किल हो गया और वास्तविक प्रगति लगभग रुक गई।
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वैल्यू रिसर्च के अनुसार, छोटे SIP या शुरुआती निवेशक के लिए सादगी ही सबसे बड़ी ताकत है। दो या तीन अच्छे फंड्स ही पर्याप्त हैं। एक एग्रेसिव हाइब्रिड फंड, जो इक्विटी और डेट दोनों का संतुलन बनाए रखे। एक फ्लेक्सी-कैप या मल्टी-कैप फंड, जो बड़े, मिड और स्मॉल-कैप शेयरों में संतुलित निवेश करे। और चाहें तो एक लार्ज-कैप इंडेक्स फंड, जो निफ्टी 50 या सेंसेक्स जैसे प्रमुख इंडेक्स को फॉलो करे। इस कॉम्बिनेशन से आपको ग्रोथ भी मिलेगी और स्थिरता भी।
वैल्यू रिसर्च के मुताबिक, सबसे पहले धैर्य रखें। SIP को पांच से दस साल की यात्रा समझें, एक साल का परिणाम नहीं। निवेश को बीच में न रोकें। निरंतरता ही सफलता की कुंजी है। अगर बाजार की हलचल आपको असहज करती है, तो थोड़ा संतुलित फंड चुनें। अपने फंड्स की लिस्ट को छोटा और सार्थक रखें। दो या तीन फंड्स ही पर्याप्त हैं। और सबसे जरूरी बात, हर बाजार गिरावट को घबराहट नहीं, बल्कि मौके की तरह देखें।