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शेयर बाजार आने वाले जोखिमों से बेपरवाह: प्रमोद गुब्बी

बाजार ने बिल्कुल भी समझदारी नहीं दिखाई, यहां तक कि वास्तविक आय में मंदी को भी नजरअंदाज किया है जो अब छठी तिमाही में पहुंच चुकी है।

Last Updated- August 31, 2025 | 10:20 PM IST
Pramod Gubbi

मार्सेलस इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के सह संस्थापक प्रमोद गुब्बी ने पुनीत वाधवा को दिए ईमेल साक्षात्कार में कहा कि बाजार ने बिल्कुल भी समझदारी नहीं दिखाई, यहां तक कि वास्तविक आय में मंदी को भी नजरअंदाज किया है जो अब छठी तिमाही में पहुंच चुकी है। उनसे बातचीत के अंश…

हाल के नीतिगत घटनाक्रमों खास तौर से टैरिफ की बाजार किस प्रकार व्याख्या कर रहे हैं?

एसऐंडपी ग्लोबल रेटिंग्स का अपग्रेड दीर्घकालिक स्थिरता दर्शाता है। लेकिन भारत-अमेरिका के बीच यील्ड के घटते अंतर को देखते हुए निवेशकों ने पहले ही इसका अंदाजा लगा लिया था। टैरिफ नकारात्मक घटना है लेकिन भारत दूसरे उभरते बाजारों की तुलना में निर्यात पर कम निर्भर है। इसलिए भारत के विनिर्माण केंद्र के रूप में उभरने की उम्मीदें कमजोर हैं। वस्तु एवं सेवा कर में कटौती सकारात्मक है, जिससे उपभोग को बढ़ावा मिलेगा। उपभोग हमारी वृद्धि का प्रमुख चालक है जो हाल ही में धीमा पड़ गया है।

इसके बावजूद इन्हें समझ नहीं पाया, यहां तक कि वास्तविक आय में सुस्ती को भी नजरअंदाज क्या, जो अब छठी तिमाही में पहुंच चुकी है। यह दलील कि बाजार आगे की ओर देखते हैं, बेमानी है क्योंकि वे आसन्न जोखिमों को नजरअंदाज करना जारी रखे हुए हैं। बाजार में बढ़ता खरीदार मुख्य रूप से खुदरा निवेशक हैं या तो सीधे या फिर म्युचुअल फंडों के माध्यम से।

क्या बाजार के कठिन हालात से ब्रोकिंग और वेल्थ मैनेजमेंट उद्योग में विलय-अधिग्रहण के दौर में तेजी आ सकती हैं?

ब्रोकरों के लिए वायदा और विकल्प के नियामकीय बदलावों के असर को छोड़ दें तो पूंजी बाजार के सभी प्रतिभागियों के लिए माहौल उत्साहजनक बना हुआ है। धन प्रबंधन को, विशेष रूप से, संरचनात्मक अनुकूल परिस्थितियों से काफी राहत है। प्रवर्तक इन मूल्यांकनों पर बिक्री कर रहे हैं और प्रबंधन के लिए अधिक धन का सृजन कर रहे हैं। जब प्रवर्तकों की हिस्सेदारी बिक्री में कमी आएगी तो बाजार में उल्लेखनीय सुधार के साथ एक विलय-अधिग्रहण का चरण शुरू हो सकता है।

प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियों पर मार्क-टु-मार्केट दबाव के साथ-साथ शुल्कों पर भी दबाव आएगा। इसमें जो बचेंगे उनमें वे लोग होंगे, जिन्होंने अपने क्लाइंटों के लिए अनूठे प्रस्ताव तैयार किए हैं, जिनका राजस्व मॉडल और रिलेशनशिप मैनेजरों को प्रोत्साहन ग्राहक हितों के साथ तालमेल में होगा।

क्या आपको लगता है कि शेयरों को खरीदने और उन्हें लंबे समय तक रखने के दिन लद गए हैं?

हां, ध्यान का दायरा कम हो रहा है। लेकिन तुरंत संतोष मिसना नई बात नहीं है। यह हमेशा से आम गुण रहा है। धैर्य और देर से संतोष दुर्लभ बात है। कुछ लोगों में ये गुण जन्मजात होते हैं। कुछ लोग संघर्ष से सीखते हैं। ज्यादातर नहीं सीखते। इसलिए मुझे नहीं लगता कि उचित मूल्यांकन पर अच्छे काराबारों को खरीदना और उन्हें लंबे समय तक बनाए रखना कभी भी प्रचलन से बाहर हो पाएगा।

बाजार की अनिश्चितताएं नई बात नहीं हैं। परिभाषा यही कहती है कि भविष्य हमेशा अनिश्चित होता है। हां, भू-राजनीतिक दृष्टिकोण से जुड़ाव के कुछ पुराने नियम टूट गए हैं, जिससे यह पहले से कहीं ज्यादा अनिश्चित लग रहा है। लेकिन निवेशक ज्यादा प्रीमियम की मांग करेंगे और इसलिए कम मूल्यांकन भी होगा। विरोधाभास : इन अनिश्चितताओं के बावजूद घरेलू म्युचुअल फंडों में मजबूत निवेश के कारण भारतीय बाजार खड़ा रहा है।

मार्सेलस की ज्यादातर पेशकश- लिटिल चैंप्स, कंसिस्टेंट कंपाउंडर्स और किंग्स ऑफ कैपिटल- शुरुआत से ही एसऐंडपी बीएसई 500 टीआर और निफ्टी 50 टीआर को मात देने में नाकाम रही हैं। क्या गलती हुई और इसे सुधारने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं?

मार्सेलस ने सात साल पूरे कर लिए हैं। हमने अपनी यात्रा में तीन चरण देखे हैं। पहला चरण तीन साल से थोड़ा ज्यादा समय तक चला। इस दौरान हमारे फंडों ने अपने-अपने बेंचमार्क से 10 फीसदी से ज्यादा बेहतर प्रदर्शन किया। दूसरा चरण रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण शुरू हुआ। इसके कारण मुद्रास्फीति और ब्याज दरों में बढ़ोतरी हुई जिससे प्रदर्शन में भारी गिरावट आई।

हालांकि बढ़ती ब्याज दरों का माहौल गुणवत्तापूर्ण निवेश के लिए आदर्श नहीं है, लेकिन बाजार चक्र के दौरान इसकी उम्मीद की जाती है। हमसे गलती यह हुई कि हमने बाजारों में होते बदलावों को नहीं पहचाना और इस तरह उन व्यवसायों में निवेश बनाए रखा जो काफी महंगे थे, भले ही वे गुणवत्ता वाले हों।

हमारे ग्लोबल कंपाउंडर्स और मेरिटोरक्यू पीएमएस (हमारा फैक्टर-आधारित फंड) को लॉन्च करने के लिए फर्म में शामिल नई प्रतिभाओं ने पिछले तीन वर्षों में असाधारण रूप से अच्छा प्रदर्शन किया है। अहम बात यह है कि उन्होंने पिछली कमियों को दूर करने वाली क्षमताएं पेश करके हमारी मौजूदा योजनाओं का मूल्यवर्धन किया है। इन सुधारों के बाद हमारे फंड रिकवर होना शुरू हो गए हैं। किंग्स ऑफ कैपिटल और लिटिल चैंप्स ने पिछले एक साल में अपने बेंचमार्क से बेहतर प्रदर्शन किया है। कंसिस्टेंट कंपाउंडर्स भी सुधार की राह पर है।

First Published - August 31, 2025 | 10:20 PM IST

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