प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गुरुवार को रिलायंस ग्रुप के चेयरमैन अनिल अंबानी (Anil Ambani) को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूछताछ के लिए एक बार फिर समन जारी किया है। इससे पहले केंद्रीय जांच एजेंसी ने 66 वर्षीय उद्योगपति से अगस्त में पूछताछ की थी। पीटीआई रिपोर्ट के अनुसार, अनिल अंबानी को भारतीय स्टेट बैंक (SBI) में कथित बैंक लोन फ्राड से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 14 नवंबर को पूछताछ के लिए बुलाया गया है। जांच एजेंसी की ओर से यह कार्रवाई हाल ही में अंबानी और उनकी समूह कंपनियों से जुड़ी ₹7,500 करोड़ से अधिक की संपत्तियों को अटैच किये जाने के दो दिन बाद की गई है।
जांच एजेंसी ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत चार अस्थायी अटैचमेंट आदेश जारी किए हैं। जब्त की गई संपत्तियों में अंबानी का मुंबई स्थित पाली हिल वाला आवास, और रिलायंस ग्रुप की कई आवासीय व वाणिज्यिक परिसंपत्तियां शामिल हैं। इसके अलावा, दिल्ली के महाराजा रणजीत सिंह मार्ग पर स्थित रिलायंस सेंटर की जमीन, तथा दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, मुंबई, पुणे, ठाणे, हैदराबाद, चेन्नई और ईस्ट गोदावरी में स्थित अन्य संपत्तियां भी जब्त की गई हैं। इन संपत्तियों की कुल अनुमानित कीमत ₹3,084 करोड़ बताई गई है।
यह जांच रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड (RHFL) और रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस लिमिटेड (RCFL) द्वारा जुटाई गई सार्वजनिक धनराशि के गलत उपयोग और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों से जुड़ी है।
2017 से 2019 के बीच, यस बैंक ने RHFL में ₹2,965 करोड़ और RCFL में ₹2,045 करोड़ का निवेश किया था। दिसंबर 2019 तक ये लोन “नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स (NPA)” बन गए – RHFL पर ₹1,353.50 करोड़ और RCFL पर ₹1,984 करोड़ की बकाया राशि थी।
जांच एजेंसी का आरोप है कि इन फंड्स को कंपनी के कारोबार में उपयोग करने की बजाय संबद्ध संस्थाओं में ट्रांसफर कर दिया गया, जिससे ₹17,000 करोड़ से अधिक के वित्तीय अनियमितताओं की आशंका है।
ED ने जुलाई में अंबानी समूह से जुड़ी 50 कंपनियों और 25 व्यक्तियों के 35 ठिकानों पर छापेमारी की थी। इसके बाद अगस्त में अनिल अंबानी से पूछताछ भी की गई थी। ED की कार्रवाई के बाद रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड ने शेयर बाजार को दी जानकारी में कहा कि इन घटनाक्रमों का कंपनी के व्यवसाय, शेयरधारकों, कर्मचारियों या अन्य हितधारकों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। कंपनी ने यह भी स्पष्ट किया कि अनिल अंबानी पिछले तीन साल से अधिक समय से रिलायंस इंफ्रा के बोर्ड में नहीं हैं।
इससे पहले, जुलाई में यस बैंक लोन फ्रॉड केस के सिलसिले में भी ED ने अंबानी से जुड़ी कई संपत्तियों पर छापे मारे थे। यह कार्रवाई तब हुई जब भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने रिलायंस कम्युनिकेशंस को “फ्रॉड” घोषित करते हुए इस मामले की जानकारी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) को दी थी।
प्रारंभिक जांच में पाया गया कि यस बैंक के प्रमोटरों ने रिलायंस अनील अंबानी ग्रुप की कंपनियों को बड़े लोन मंजूर करने से पहले अपने निजी खातों में फंड हासिल किया, जिससे quid pro quo (लेन-देन के बदले लाभ) की संभावना बनती है।