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Groww IPO: 57% सब्सक्रिप्शन के बावजूद लंबी रेस का घोड़ा है ये शेयर? एक्सपर्ट ने बताया क्यों

पहले दिन सीमित निवेशक रुचि के बावजूद, विशेषज्ञ मानते हैं कि Groww का बिजनेस मॉडल और विविधीकरण रणनीति इसे लंबी अवधि के लिए मजबूत दांव बनाते हैं।

Last Updated- November 06, 2025 | 11:13 AM IST
Groww IPO

डिजिटल ब्रोकरेज कंपनी बिलियनब्रेन गेराज वेंचर्स (Groww) का ₹6,632.30 करोड़ का IPO मंगलवार, 4 नवंबर 2025 को खुला। पहले दिन ही इस इश्यू को निवेशकों से सिर्फ 57% तक सब्सक्रिप्शन मिला। यानी अभी पूरी तरह सब्सक्रिप्शन नहीं हुआ है। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के आंकड़ों के मुताबिक, यह दिखाता है कि निवेशक थोड़े सावधान हैं। इसकी बड़ी वजह है कि कंपनी की कीमत (वैल्यूएशन) को लेकर बाजार में अलग-अलग राय है। कुछ लोगों को लगता है कि कंपनी का शेयर महंगा है, इसलिए वे निवेश करने से पहले इंतजार कर रहे हैं।

IPO का साइज क्या है?

Groww के IPO में दो हिस्से हैं। पहला हिस्सा है फ्रेश इश्यू, यानी कंपनी नए शेयर बाजार में बेचकर पैसा जुटा रही है। इसके जरिए Groww ₹1,060 करोड़ के 10.6 करोड़ नए शेयर जारी कर रही है। दूसरा हिस्सा है ऑफर फॉर सेल (OFS), जिसमें कंपनी के प्रमोटर और पुराने निवेशक अपने कुछ शेयर बेच रहे हैं। इस हिस्से से ₹5,572.30 करोड़ के 55.72 करोड़ शेयर बेचे जा रहे हैं। इस तरह दोनों हिस्सों को मिलाकर Groww का कुल IPO साइज ₹6,632.30 करोड़ का है।

क्या Groww का वैल्यूएशन ज्यादा है?

Groww ने अपने शेयर की कीमत अपर प्राइस बैंड में ₹100 तय की है। इस हिसाब से कंपनी का प्राइस-टू-अर्निंग (P/E) रेशियो 33.8 गुना (FY25) निकलता है। यह उद्योग के औसत 40.77 गुना से कम है, लेकिन फिर भी यह कंपनी को लगभग ₹61,736 करोड़ का पोस्ट-इश्यू मार्केट कैपिटलाइजेशन देता है।

हालांकि, अगर अन्य लिस्टेड ब्रोकिंग कंपनियों से तुलना की जाए, तो Groww का वैल्यूएशन अपेक्षाकृत ऊंचा दिखाई देता है। उदाहरण के लिए, एंजेल वन का P/E 19.80x, मोतीलाल ओसवाल का 24.88x और नुवामा वेल्थ का 26.85x है। वहीं, कुछ कंपनियां इससे भी ज्यादा वैल्यूएशन पर ट्रेड कर रही हैं, जैसे 360 वन डब्ल्यूएएम (45.20x) और प्रूडेंट कॉरपोरेट (58.92x)। इस तुलना से साफ है कि Groww का वैल्यूएशन न तो सबसे सस्ता है और न ही सबसे महंगा।

Groww अपना बिजनेस कैसे बदल रहा है?

बाजार के जानकारों का कहना है कि अगर कोई निवेशक Groww की लंबे समय की बढ़त (ग्रोथ) पर भरोसा करता है, तो इसमें निवेश करना फायदेमंद हो सकता है। अलमोंड्ज ग्रुप के वरिष्ठ विश्लेषक सिमरनजीत सिंह भाटिया का कहना है कि Groww अब केवल ब्रोकिंग के काम पर निर्भर नहीं रहना चाहता। कंपनी अपने कमाई के दूसरे रास्ते बनाने की कोशिश कर रही है, ताकि उसका कारोबार एक ही स्रोत पर टिका न रहे। इस दिशा में वह धीरे-धीरे नई सेवाएं और निवेश के प्रोडक्ट जोड़ रही है।

भाटिया के मुताबिक, Groww की कमाई में से सबसे ज्यादा हिस्सा अब भी ब्रोकिंग से आता है, लेकिन यह हिस्सा धीरे-धीरे कम हो रहा है। FY25 में कंपनी की कुल आय का 83% हिस्सा ब्रोकिंग से आता था, जो Q1FY26 में घटकर 79.69% रह गया है। यानी कंपनी अब अपने कारोबार को और विविध बना रही है।

उन्होंने बताया कि Groww ने हाल ही में Fisdom और Indiabulls Asset Management को खरीदा है। इन सौदों के बाद कंपनी का एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) छह गुना बढ़कर ₹2,000 करोड़ हो गया है। साथ ही, Groww अपने कामकाज को और बेहतर और तेज बनाने के लिए ₹152 करोड़ क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश कर रही है।

भाटिया का कहना है कि Groww अब सिर्फ शेयर ट्रेडिंग तक सीमित नहीं है। कंपनी अब स्टॉक्स, ETF, यूएस स्टॉक्स, डिजिटल गोल्ड और कॉर्पोरेट फिक्स्ड डिपॉजिट्स जैसी कई सेवाएं दे रही है। इसलिए, उनका मानना है कि Groww का मौजूदा वैल्यूएशन लंबे समय के नजरिए से ठीक माना जा सकता है।

क्या IPO पहले से ही महंगा है?

वहीं, कुछ बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि Groww का IPO ‘फुली प्राइस्ड’ है, यानी इसकी वैल्यू पहले से ही काफी ऊंची तय की गई है। आनंद राठी रिसर्च की एक रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी की ब्रांड रणनीति, पारदर्शिता (transparency) और वित्तीय समावेशन (financial inclusion) पर ध्यान देना सराहनीय है, लेकिन मौजूदा कीमत पर निवेशकों को तुरंत बड़ा मुनाफा मिलने की संभावना कम है।

हालांकि रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कंपनी की लंबी अवधि की ग्रोथ संभावनाएं मजबूत हैं। Groww अब केवल शेयर ब्रोकिंग तक सीमित नहीं रहना चाहती, बल्कि वह मार्जिन ट्रेडिंग फंडिंग (MTF), कमोडिटी डेरिवेटिव्स, API ट्रेडिंग, और बॉन्ड मार्केट जैसे नए क्षेत्रों में कदम रख रही है। इन नए सेगमेंट्स से कंपनी को नए ग्राहक जोड़ने और अपनी कमाई बढ़ाने में मदद मिलेगी।

क्या सिर्फ P/E देखकर निवेश करना ठीक है?

स्वतंत्र मार्केट विश्लेषक दीपक जसानी का कहना है कि किसी कंपनी में निवेश करने का फैसला सिर्फ उसके P/E रेशियो (प्राइस-टू-अर्निंग अनुपात) देखकर नहीं किया जाना चाहिए। उनके मुताबिक, “P/E एक जरूरी आंकड़ा है, लेकिन किसी कंपनी की भविष्य की ग्रोथ संभावनाएं उससे ज्यादा महत्वपूर्ण होती हैं।”

उन्होंने समझाया कि अगर किसी कंपनी के आगे बढ़ने के मौके ज्यादा हैं, तो उसका P/E रेशियो ऊंचा होना भी ठीक है। जसानी ने कहा कि निवेशकों को Groww को सिर्फ उसकी मौजूदा कीमत से नहीं, बल्कि उसके बिजनेस मॉडल, भविष्य की रणनीति और विकास की गति के आधार पर आंकना चाहिए।

कुल मिलाकर, Groww का IPO निवेशकों के लिए महंगा जरूर है, लेकिन कंपनी की लंबी अवधि की योजनाएं और विविधीकरण की रणनीति मजबूत दिखती है। विशेषज्ञों के मुताबिक, जो निवेशक लंबे समय के लिए सोच रहे हैं, उनके लिए Groww एक अच्छा विकल्प हो सकता है। हालांकि, शॉर्ट टर्म में बड़ा रिटर्न मिलने की संभावना कम है। Groww के लिए आने वाले तिमाहियां यह तय करेंगी कि उसका वैल्यूएशन सही साबित होता है या नहीं।

First Published - November 6, 2025 | 11:07 AM IST

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