गुरुवार को वैश्विक बाजारों के साथ साथ भारतीय शेयर बाजारों में भी गिरावट आई। अमेरिकी राजकोषीय स्थिति और बॉन्ड यील्ड में बढ़ोतरी को लेकर चिंता के कारण विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने भारी बिकवाली की। गुरुवार को सेंसेक्स 645 अंक या 0.8 प्रतिशत की गिरावट के साथ 80,952 पर बंद हुआ। निफ्टी 204 अंक या 0.8 प्रतिशत की गिरावट के साथ 24,610 पर बंद हुआ।
इस हफ्ते सेंसेक्स अब तक 1.7 फीसदी जबकि निफ्टी 1.6 फीसदी कमजोर हुआ है। बीएसई पर सूचीबद्ध कंपनियों का संयुक्त बाजार पूंजीकरण 2.2 लाख करोड़ रुपये तक घटकर 439 लाख करोड़ रुपये रह गया। हालांकि बाजार में उतार-चढ़ाव का पैमाना इंडिया विक्स 1.7 फीसदी नीचे आ गया और यह 17.3 पर कारोबार कर रहा था। पूरे सप्ताह इस सूचकांक में 4.3 फीसदी तक की तेजी आई।
निवेशक राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के कर विधेयक के असर को लेकर चिंतित हैं जिसे अमेरिकी प्रतिनिधि सभा ने बहुत कम अंतर से पारित किया है। कर और व्यय विधेयक ट्रंप के कई लोकलुभावन वादों को पूरा करते हैं और इनसे संभवतः अगले दस वर्षों में अमेरिकी सरकार के 36.2 लाख करोड़ डॉलर के ऋण में लगभग 3.8 लाख करोड़ डॉलर का और इजाफा होगा। ऋण की चिंताओं की वजह से पिछले सप्ताह मूडीज ने अमेरिकी सॉवरिन क्रेडिट रेटिंग को घटा दिया था। लंबी अवधि के अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में वृद्धि हुई और 30 वर्षीय अमेरिकी बॉन्ड यील्ड 5.10 पर कारोबार कर रहा था जो अक्टूबर 2023 के बाद का उच्चतम स्तर है।
गुरुवार को एफपीआई 5,045 करोड़ रुपये के शुद्ध बिकवाल थे। घरेलू संस्थागत निवेशकों ने 3,715 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे। एफपीआई इस सप्ताह भारी बिकवाल रहे और मंगलवार को उन्होंने 10,016 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर बेचे। डॉलर सूचकांक गुरुवार को मामूली चढ़ गया और यह 99.8 पर पहुंच गया। हालांकि गुरुवार को इसमें गिरावट आई। लेकिन पूरे सप्ताह सोना 3 प्रतिशत चढ़ा और 3,302 डॉलर प्रति औंस पर पहुंच गया। भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता और मॉनसून की स्थिति अब बाजार की चाल तय करेगी।
जियोजित फाइनैंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ‘प्रमुख सूचकांकों में अमेरिकी राजकोषीय चिंताओं के बीच गिरावट आई। अमेरिका में चिंताएं बढ़ी हैं कि प्रस्तावित विधेयक से देश पर कर्ज बढ़ जाएगा। इससे दीर्घावधि बॉन्ड की सुस्त मांग से अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में तेजी को बढ़ावा मिलेगा। इसके अलावा, एक प्रमुख क्रेडिट रेटिंग एजेंसी द्वारा अमेरिकी क्रेडिट आउटलुक को डाउनग्रेड करने से भी एशियाई बाजारों में व्यापक बिकवाली हुई। मई में भारत के पीएमआई में तेज सुधार और राजकोषीय परिदृश्य में सुधार के बावजूद अमेरिका-भारत व्यापार वार्ता से जुड़ी अनिश्चितता और वैश्विक बाजार में लगातार उतार-चढ़ाव के कारण अल्पावधि में भारतीय इक्विटी में ठहराव की स्थिति पैदा होने की आशंका है।’
बाजार धारणा कमजोर रही। गिरने वाले शेयर 2,275 और चढ़ने वाले शेयरों की संख्या 1,661 रही। सिर्फ तीन को छोड़कर बीएसई पर सभी सेक्टोरल सूचकांक गिरकर बंद हुए। रिलायंस इंडस्ट्रीज में 1.36 फीसदी और महिंद्रा ऐंड महिंद्रा में 2.6 फीसदी की गिरावट आई।
रेलिगेयर ब्रोकिंग में वरिष्ठ उपाध्यक्ष (शोध) अजीत मिश्रा ने कहा, ‘बाजार में गिरावट कमजोर वैश्विक धारणा, खासकर अमेरिकी बाजारों की वजह से आई। साथ ही किसी तरह का बड़ा घरेलू सकारात्मक कारक भी नहीं दिखा। इससे भी धारणा कमजोर हुई। विदेशी फंडों की ताजा निकासी से भी बाजार धारणा प्रभावित हुई है।’