रिलायंस इंडस्ट्रीज, एचडीएफसी बैंक और आईटी दिग्गजों जैसे बड़े शेयरों में बिकवाली से गुरुवार को बाजार गिरावट के साथ बंद हुए। भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता और कंपनियों की मिली-जुली आय के बीच निवेशक सतर्कता बरत रहे हैं।
सेंसेक्स 543 अंक यानी 0.6 फीसदी की गिरावट के साथ 82,184 पर बंद हुआ। निफ्टी 158 अंक यानी 0.6 फीसदी की नरमी के साथ 25,062 पर बंद टिका। इस बिकवाली से कुल बाजार पूंजीकरण 2.2 लाख करोड़ रुपये घटकर 458 लाख करोड़ रुपये रह गया।
रिलायंस इंडस्ट्रीज, एचडीएफसी बैंक और इन्फोसिस ने सेंसेक्स में गिरावट में सबसे ज्यादा योगदान दिया। मध्यम स्तर की कंपनियों कोफोर्ज और परसिस्टेंट सिस्टम्स के उम्मीद से कमजोर तिमाही नतीजों के बाद आईटी शेयरों पर काफी दबाव देखा गया।
इन्फोसिस की आय अनुमान से बेहतर रहने के बावजूद निफ्टी आईटी इंडेक्स 2.2 फीसदी फिसल गया जो 13 मई के बाद सबसे बड़ी एकदिवसीय गिरावट है ।
अल्फानीति फिनटेक के सह-संस्थापक यूआर भट्ट ने कहा, आईटी कंपनियों की राजस्व वृद्धि दर कम और लाभ में गिरावट देखी जा रही है, जिससे मौजूदा मूल्यांकन टिकाऊ नहीं रह गए हैं। न्यूनतम भर्तियां निकट भविष्य में सीमित बढ़त का संकेत दे रही हैं। बिना किसी नाटकीय बदलाव के ये मूल्यांकन टिक नहीं पाएंगे।
निफ्टी एफएमसीजी इंडेक्स 1.1 फीसदी गिरा। उपभोक्ता क्षेत्र की दिग्गज नेस्ले इंडिया के शेयर में 5 फीसदी की गिरावट आई क्योंकि कच्चे माल की लागत और खर्च बढ़ने से उसका मुनाफा करीब 5 फीसदी घट गया। बाजार में सतर्कता का रुख तब भी कायम रहा, जब भारत और ब्रिटेन ने मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए जिसके तहत 99 फीसदी भारतीय निर्यात (कपड़ा से लेकर इंजीनियरिंग सामान) पर टैरिफ में रियायत दी गई है। हालांकि बाजार के विश्लेषकों का कहना है कि आय के मोर्चे पर ध्यान होने से बाजार ने इस पर सीमित प्रतिक्रिया दी है। भट्ट ने कहा, ब्रिटेन एफटीए के बारे में शुरुआती आशावाद ने फार्मा और कपड़ा शेयरों को कुछ समय के लिए ऊपर उठाया लेकिन जल्द ही ध्यान आय पर वापस चला गया।
जियोजित फाइनैंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, पहली तिमाही के सुस्त प्रदर्शन ने आईटी और एफएमसीजी शेयरों को नीचे गिरा दिया। हालांकि कमाई मोटे तौर पर अनुकूल है। लेकिन यह भारत के 21 गुना पीई के प्रीमियम को सही नहीं ठहराती।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक 2,134 करोड़ रुपये के शुद्ध बिकवाल रहे जबकि देसी संस्थागत निवेशकों ने 2,617 करोड़ रुपये की खरीदारी से सहारा दिया। बाजार में चढ़ने व गिरने वाले शेयरों का अनुपात कमजोर रहा और बीएसई पर 2,517 शेयर टूटे जबकि 1,542 में बढ़ोतरी दर्ज हुई। उधर, आईईएक्स का शेयर करीब 30 फीसदी टूट गया जब भारत के बिजली नियामक ने विभिन्न पावर एक्सचेंजों में समान कीमत अनिवार्य कर दी।
मोतीलाल ओसवाल वेल्थ मैनेजमेंट के शोध प्रमुख सिद्धार्थ खेमका ने कहा, आने वाले समय में उम्मीद है कि बाजार सीमित दायरे में रहेगा और पहली तिमाही के नतीजों के लिहाज से शेयर विशेष में हलचल देखने को मिलेगी। ब्रिटेन के साथ एफटीए और भारत-अमेरिकी व्यापार वार्ता समेत विभिन्न वैश्विक संकेतों पर नजर रहेगी। भारतीय बाजारों ने उभरते बाजारों के समकक्ष बाजारों के मुकाबले कमजोर प्रदर्शन किया है। निफ्टी में 1.8 फीसदी की गिरावट आई जबकि एमएससीआई ईएम (जापान को छोड़कर) में 4 फीसदी का इजाफा हुआ।
इंडियन एनर्जी एक्सचेंज (आईईएक्स) के शेयरों में गुरुवार को शुरुआती कारोबार में 15 फीसदी तक की गिरावट आई क्योंकि निवेशकों को यह चिंता हो गई कि बिजली की कीमतों में नियोजित बदलाव से प्रतिस्पर्धा बढ़ सकती है और एक्सचेंज का बाजार पर दबदबा कम हो सकता है। अंत में एक्सचेंज का शेयर 27.89 फीसदी की गिरावट के साथ 135.49 रुपये पर बंद हुआ।
अभी भारत में बिजली की हाजिर कीमत की डिस्कवरी के लिए अग्रणी प्लेटफार्म आईईएक्स पर दबाव है, क्योंकि बिजली नियामक जनवरी से चरणबद्ध तरीके से मार्केट कपलिंग लागू करने की तैयारी कर रहा है।
नई व्यवस्था के तहत अन्य पावर एक्सचेंज भी मार्केट कपलर के रूप में काम करेंगे, जिससे आईईएक्स की केंद्रीय भूमिका को चुनौती मिलेगी। यह शेयर लगातार सातवें सत्र में गिरावट की राह पर था और 2017 में लिस्टिंग के बाद से इसने अपना सबसे खराब इंट्राडे एकदिवसीय प्रदर्शन दर्ज किया। मार्केट कपलिंग एक तरह का आर्थिक मॉडल है जिसका इस्तेमाल ऊर्जा बाजारों में विभिन्न ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म या एक्सचेंजों पर बिजली के लिए एक समान मूल्य निर्धारित करने के लिए किया जाता है। रॉयटर्स