सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने विदेशी निवेशकों के लिए एक नई और आसान व्यवस्था शुरू करने का प्रस्ताव रखा है। इस नई पहल का नाम है SWAGAT-FI, यानी सिंगल विंडो ऑटोमैटिक एंड जेनरलाइज्ड एक्सेस फॉर ट्रस्टेड फॉरेन इनवेस्टर्स। इसका मकसद है भारत के शेयर बाजार को चुनिंदा और भरोसेमंद विदेशी निवेशकों के लिए और आकर्षक बनाना, साथ ही नियमों को सरल करना।
यह सुविधा उन विदेशी निवेशकों के लिए है, जिन्हें कम जोखिम वाला माना जाता है। इसमें सरकारी फंड, केंद्रीय बैंक, सॉवरेन वेल्थ फंड, मल्टीलेटरल संस्थान और सख्त नियमों वाले पब्लिक रिटेल फंड शामिल हैं। ये संस्थान विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) की 70 फीसदी से ज्यादा संपत्ति का प्रबंधन करते हैं और इन्हें विश्वसनीयता, पारदर्शिता और लंबी समय के निवेश के लिए जाना जाता है।
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SWAGAT-FI के तहत पात्र निवेशकों को विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) और विदेशी वेंचर कैपिटल निवेशक (FVCI) के लिए एक ही रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया से गुजरना होगा। इससे कागजी कार्रवाई, लागत और नियमों की जटिलता कम होगी। पहले से रजिस्टर्ड FPI, जो इस योजना के मानदंडों को पूरा करते हैं, वे भी इस सुविधा का लाभ ले सकेंगे। SEBI ने प्रस्ताव दिया है कि रजिस्ट्रेशन और KYC अपडेट की समीक्षा और फीस भुगतान का समय, जो अभी तीन या पांच साल है, उसे बढ़ाकर 10 साल किया जाए। हालांकि, महत्वपूर्ण बदलावों की जानकारी देना जरूरी रहेगा।
इसके अलावा, पात्र निवेशक अपने सभी निवेश, चाहे वे FPI, FVCI या अन्य वैकल्पिक निवेश साधनों के जरिए किए गए हों, एक ही डीमैट खाते में रख सकेंगे। इससे कैपेसिटी बढ़ेगी और दोहरा काम कम होगा। डिपॉजिटरी इन निवेशों को रेगुलेटरी निगरानी के लिए टैग करेंगी। SWAGAT-FI के तहत उन फंड्स के लिए कुछ पाबंदियां भी हटाई जाएंगी, जो गैर-निवासी भारतीयों (NRI), प्रवासी भारतीय नागरिकों (OCI) और भारतीय निवासियों से योगदान लेते हैं। खासकर म्यूचुअल फंड्स, जिनका निवेशक आधार विविध है, को इसका बड़ा फायदा होगा।
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SEBI का कहना है कि यह हल्का-फुल्का रेगुलेटरी तरीका अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप है और भारत को निवेश के लिए एक शानदार जगह के रूप में पेश करता है। 30 जून 2025 तक भारत में 11,913 FPI रजिस्टर्ड थे, जिनके पास 81 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति थी। यह राशि मार्च 2022 में 51 लाख करोड़ रुपये थी।