भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने बॉम्बे हाई कोर्ट को दी जानकारी में कहा है कि सूचीबद्ध कंपनियों द्वारा किए गए खुलासे उन्हें बाध्य नहीं करते हैं या देनदारियां नहीं बनाते हैं। यह जवाब किर्लोस्कर समूह की कंपनियों से संबंधित याचिकाओं के मामले में दिया गया है।
नियामक ने कहा, ‘सूचीबद्ध कंपनी द्वारा किसी समझौते की जानकारी देने का मतलब यह नहीं होगा कि कंपनी उस समझौते को अपने लिए बाध्यकारी मानती है या इससे कंपनी के प्रबंधन या नियंत्रण पर कोई असर पड़ता है, या कोई प्रतिबंध लगता है।’
किर्लोस्कर समूह की पांच कंपनियों – केओईएल, किर्लोस्कर फेरस इंडस्ट्रीज, किर्लोस्कर न्यूमैटिक कंपनी, जीजी दांडेकर प्रॉपर्टीज और किर्लोस्कर इंडस्ट्रीज ने सेबी के खुलासा से संबंधित नियमों को चुनौती देते हुए अलग-अलग याचिकाएं दायर की थीं।
मामला दिसंबर 2024 में बाजार नियामक के उस निर्देश से जुड़ा है जिसमें किर्लोस्कर ऑयल इंजन्स को सितंबर 2009 में किए गए फैमिली सेटलमेंट एग्रीमेंट (डीएफएस) को लिस्टिंग ऑब्लिगेशन एंड डिस्क्लोजर रिक्वायरमेंट (एलओडीआर) नियमों के तहत स्टॉक एक्सचेंजों को बताने का निर्देश दिया गया था।
बॉम्बे हाई कोर्ट ने मंगलवार को कंपनियों को अपनी याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी। हाई कोर्ट ने कहा कि सिक्योरिटीज अपीलेट ट्रिब्यूनल (सैट) में मामला गुण-दोष के आधार पर तय किया जाएगा।