भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने सूचीबद्ध कंपनियों की ओर से संबंधित पक्षों को किए जाने वाले रॉयल्टी भुगतान से संबंधित ज्यादा खुलासे अनिवार्य करते हुए नए मानक पेश किए हैं। इन खुलासा मानकों का मकसद ऑडिट समितियों और शेयरधारकों को निर्णय लेने से पहले पर्याप्त जानकारी मुहैया कराना है। जहां विश्लेषकों ने पारदर्शिता बढ़ाने का स्वागत किया है, वहीं कई अन्य ने और ज्यादा स्पष्टता की जरूरत पर जोर दिया है।
इससे पहले, सेबी ने एक अध्ययन के निष्कर्ष बताए थे। इनसे पता चला था कि चार में से एक कंपनी ने अपने शुद्ध लाभ का 20 प्रतिशत से अधिक रॉयल्टी के रूप में संबंधित पार्टियों को भुगतान किया। नए मानकों में कहा गया है, ‘जिन कंपनियों के पास समग्र लाइसेंस समझौता है (जिसमें ब्रांड, पेटेंट, प्रौद्योगिकी और तकनीकी जानकारी जैसे बौद्धिक संपदा अधिकार शामिल हैं), उन्हें ऐसे समझौतों के प्रमुख हिस्सों के बारे में बताना चाहिए। साथ ही, यह कारण भी बताना चाहिए कि उन प्रमुख घटकों के लिए दी जाने वाली रॉयल्टी को अलग से क्यों नहीं दिखाया जा सकता है।’
केएसआर ऐंड कंपनी के मैनेजिंग पार्टनर के एस रविचंद्रन ने कहा, ‘ऐसी जानकारी देने से उन ब्रांडों या तकनीक के लिए पूरे टर्नओवर पर रॉयल्टी का भुगतान करना मुश्किल हो जाएगा, जो कुल कारोबार में केवल कुछ हिस्से का योगदान करते हैं। बेशक, यह संभव है कि सभी भुगतान समग्र समझौते के तहत शामिल हों और सूचीबद्ध कंपनी कहे कि वह अलग से जानकारी देने में सक्षम नहीं है।’
उन्होंने कहा, ‘रॉयल्टी भुगतान से संबंधित खुलासे का एक और दिलचस्प पहलू एक दूसरे से तुलना है, जो केवल महत्त्वपूर्ण संबंधित-पक्ष लेनदेन पर लागू होता है।’ मानकों में सनसेट क्लॉज पर भी खुलासे की जरूरत बताई गई है, जिससे ऑडिट कमेटियों और शेयरधारकों को रॉयल्टी भुगतान की अवधि को समझने में मदद मिले।
नए मानकों में अन्य देशों में कार्यरत समूह इकाइयों से मूल कंपनी को मिलने वाली रॉयल्टी का खुलासा करना भी अनिवार्य किया गया है, बशर्ते मूल कंपनी सभी समूह इकाइयों से एक जैसी रॉयल्टी दर नहीं लेती हो।
रॉयल्टी भुगतान के बारे में सेबी के अध्ययन को नवंबर 2024 में जारी किया गया था। अध्ययन में वित्त वर्ष 2014 से 10 वर्ष की अवधि में 233 सूचीबद्ध कंपनियों का विश्लेषण किया गया। अध्ययन में पाया गया कि रॉयल्टी भुगतान के 1,538 मामले स्वीकृति की सीमा से कम के थे। यह सीमा टर्नओवर के 5 प्रतिशत पर निर्धारित है। टर्नओवर के 5 प्रतिशत से अधिक रॉयल्टी भुगतान को अल्पमत शेयरधारकों के बहुमत का अनुमोदन जरूरी है।