इलेक्ट्रॉनिक रूप में प्रतिभूतियों को रखने और प्रबंधन करने वाली डिपॉजिटरी फर्में अनलिस्टेड मार्केट यानी गैर-सूचीबद्ध बाजार में शेयरों के हस्तांतरण पर सख्ती कर रही हैं। प्रमुख डिपॉजिटरी फर्म नैशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी (एनएसडीएल) निजी कंपनियों को अपने अनलिस्टेड शेयरों के हस्तांतरण और गिरवी रखने पर प्रतिबंध लगाने की अनुमति दे रही है।
कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि ये नए मानदंड ऐसी कंपनियों को शेयर हस्तांतरण पर प्रतिबंध लागू करने में मदद करेंगे जिससे मुकदमेबाजी का जोखिम घटेगा। 11 अगस्त के सर्कुलर में एनएसडीएल ने रीस्ट्रक्टिड ट्रांसफरेबिलिटी और गैर-सूचीबद्ध शेयरों को फ्रीज या अनफ्रीज करने से संबंधित अपने उप-नियमों और व्यावसायिक नियमों में संशोधन किया है।
नई व्यवस्था के तहत कंपनियां एनएसडीएल से अपने शेयरों के हस्तांतरण और गिरवी पर नियंत्रण के लिए प्रतिबंध लगाने का अनुरोध कर सकती हैं। अनुरोध की पुष्टि होने पर डिपॉजिटरी ऐसे प्रतिबंधों को मंजूरी दे सकती है।
ये संशोधन ऐसे समय में किए गए हैं जब गैर-सूचीबद्ध बाजार में गतिविधियां बढ़ गई हैं, जहां कई कंपनियों के शेयरों की अलग-अलग भावों पर अदला-बदली हो रही है। उद्योग के जानकार बताते हैं कि कई कंपनियों के आईपीओ से पहले ही पर्याप्त संख्या में सार्वजनिक शेयरधारक थे जिससे अनुमोदन प्रक्रिया में देर हुई।
बाजार नियामक ने बाद में स्पष्ट किया कि अगर कंपनियों ने शेयर जारी करके जनता से धन नहीं जुटाया होता तो बड़े सार्वजनिक शेयरधारक आधार से कोई समस्या नहीं होगी। यह समस्या मुख्यतः ईसॉप कन्वर्जन और आईपीओ लाने वाली कंपनियों के शेयरों में गैर-सूचीबद्ध बाजार में सेकंडरी सौदों से पैदा हुई थी।
सिरिल अमरचंद मंगलदास के वरिष्ठ पार्टनर यश अशर ने कहा, ‘अब कोई भी कंपनी हस्तांतरण को रोक सकेगी। इससे मौजूदा शेयरधारकों द्वारा प्राइवेट लिमिटेड कंपनियों के इक्विटी शेयरों की खुदरा निवेशकों या एचएनआई को बिक्री पर रोक लग जाएगी। साथ ही कंपनी के सूचीबद्ध होने से पहले ऐसे इक्विटी शेयरों के लिए बाजार नहीं हो सकेगा।’