ICICI Securities delisting: अल्पांश शेयरधारकों के ऐतराज को खारिज करते हुए नैशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) के मुंबई पीठ ने बुधवार को ICICI सिक्योरिटीज को शेयर बाजारों से हटने की मंजूरी दे दी। मंजूर योजना के मुताबिक ICICI सिक्योरिटीज के शेयरधारकों को हर 100 शेयरों पर ICICI बैंक के 67 शेयर मिलेंगे।
न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह जी बिष्ट और तकनीकी सदस्य प्रभात कुमार ने क्वांटम म्युचुअल फंड और निवेशक मनु ऋषि गुप्ता के उस आवेदन को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने ICICI सिक्योरिटीज को शेयर बाजार से हटाने के प्रस्ताव का विरोध किया था।
NCLT ने पक्षकारों की दलीलें सुनने के बाद 5 अगस्त को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। BSE से असूचीबद्धता के बाद ICICI सिक्योरिटीज का शेयर 5 फीसदी गिरकर दिन के निचले स्तर 808.55 पर आ गया।
ICICI सिक्योरिटी ने पंचाट को बताया था कि असूचीबद्धता का विरोध करने वालों के पास हस्तक्षेप का कोई अधिकार नहीं है क्योंकि कंपनी अधिनियम की धारा 230 (4) का प्रावधान कहता है कि धारा 230 के तहत स्कीम ऑफ अरेंजमेंट को लेकर कोई ऐतराज उस व्यक्ति की तरफ से आना चाहिए जिसके पास कम से कम 10 फीसदी इक्विटी हो या कुल बकाया कर्ज का 5 फीसदी हो। क्वांटम म्युचुअल फंड और मनु ऋषि गुप्ता के पास ICICI सिक्योरिटीज की क्रमश: 0.08 फीसदी व 0.002 फीसदी हिस्सेदारी है।
ICICI बैंक की सहायक फर्म ने तर्क दिया था कि दोनों आवेदन खारिज किए जाने चाहिए क्योंकि यह शेयरधारक के लोकतंत्र के सिद्धांत के खिलाफ है। इसने कहा था कि असूचीबद्ध कराने के प्रस्ताव को ICICI सिक्योरिटीज के 93.82 फीसदी इक्विटी शेयरधारकों ने मंजूरी दी है।
ऐसा ही एक मामला NCLT दिल्ली में भी है। अल्पांश शेयरधारकों ने दिल्ली पीठ को बताया था कि ICICI सिक्योरिटीज ने ICICI बैंक के साथ शेयरधारकों की विस्तृत जानकारी साझा कर शेयरधारकों की निजता और प्रशासनिक नियमों का उल्लंघन किया है।
बेंगलूरु के इन्वेस्टमेंट मैनेजर मनु ऋषि गुप्ता की अगुआई में अल्पांश शेयरधारकों की याचिका में कहा गया कि ICICI बैंक ने शेयरधारकों को अपने प्रस्ताव के समर्थन के लिए प्रभावित किया ताकि उसकी ब्रोकिंग सहायक शेयर बाजार से असूचीबद्ध हो जाए। उन्होंने कहा कि ICICI बैंक के कर्मचारियों ने आम शेयरधारकों से संपर्क साधा और उन्हें असूचीबद्धता के हक में मतदान के लिए प्रोत्साहित किया।
उन्होंने कहा कि बैंक कर्मचारियों ने शेयरधारकों को प्रभावित करने के लिए पावर पाइंट प्रेजेंटेशन तैयार किया और उनके तकनीकी विशेषज्ञ न होने का फायदा उठाया।
बंबई उच्च न्यायालय भी ऐसे ही मामले की सुनवाई कर रहा है।