मंगलवार को प्रमुख सूचकांक गिरावट का शिकार हुए। बाजार ने पिछले कारोबारी सत्र में दर्ज सारी बढ़त गंवा दी। निवेशकों ने दुनिया की अर्थव्यवस्था पर वैश्विक व्यापार माहौल के असर का आकलन करते हुए बिकवाली की। इससे वित्तीय और आईटी के दिग्गज शेयरों में हुई मुनाफावसूली का बाजार के प्रदर्शन पर असर पड़ा।
निफ्टी 50 सूचकांक 0.7 फीसदी या 175 अंक गिरकर 24,826 पर बंद हुआ। सेंसेक्स 0.76 फीसदी या 625 अंक कमजोर होकर 81,551.63 पर बंद हुआ। 50 शेयर वाला सूचकांक पिछले दो कारोबारी सत्रों में करीब 1.6 फीसदी चढ़ गया था। इसकी वजह विदेशी निवेश, अमेरिका और यूरोपीय संघ के बीच तकरार में कमी और आरबीआई से सरकार को लाभांश मिलना थी।
एसबीआईकैप्स सिक्योरिटीज में फंडामेंटल इक्विटी रिसर्च के प्रमुख सनी अग्रवाल ने कहा, ‘हमें कुछ मुनाफावसूली और प्राइमरी बाजार की ओर तरलता जाने की संभावना दिख रही है, साथ ही कुछ बड़े प्रमोटरों की हिस्सेदारी बिक्री भी संभव है।’ विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) 340 करोड़ रुपये के शुद्ध खरीदार रहे जबकि घरेलू निवेशकों ने 10,015 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे।
हालांकि मई एफपीआई निवेश के मामले में सबसे अच्छा महीना रहा है। लेकिन अन्य उभरते बाजारों में भी निवेश मजबूत रहा है। कुछ बाजार विशेषज्ञों ने आगे भी इस तरह का निवेश आने की स्थिरता को लेकर सवाल उठाए हैं क्योंकि भारतीय शेयरों के भाव फिर से ऊंचे स्तर पर पहुंच गए हैं।
इक्विटी स्ट्रैटजी के प्रमुख सुनील तिरुमलाई ने कहा, ‘एशियाई बाजारों में निवेश करने के बेहतर अवसर हैं क्योंकि वहां भाव कम हैं और बुनियादी आधार भी मजबूत है। यदि बुनियादी आधार सुधरते हैं तो कोई कारण नहीं कि एफपीआई का पैसा वापस न आए।’
यूबीएस ने हाल में भारतीय बाजारों पर अपना नजरिया बदलकर तटस्थ किया है और वर्ष के अंत तक निफ्टी के लिए 26,000 का लक्ष्य तय किया है। तिरुमलाई ने कहा, ‘हमने भारत को अपग्रेड किया क्योंकि इसका प्रोफाइल बहुत ही रक्षात्मक और घरेलू है जो इस बाजार में महत्वपूर्ण है। लेकिन भाव अभी भी काफी महंगे हैं जिससे हमारे लिए इसे अब ओवरवेट करना मुश्किल है।’
यह तीसरी बार है जब निफ्टी ने इस महीने 25,000 का आंकड़ा छूने के बाद गिरावट दर्ज की है। विश्लेषकों के अनुसार निफ्टी 25,000 का प्रतिरोध स्तर पार करे, इसके लिए निवेशक इस सप्ताह आने वाले मार्च तिमाही के जीडीपी आंकड़ों और अगले सप्ताह आरबीआई के ब्याज दर निर्णय पर नजर रखेंगे।
जियोजित इन्वेस्टमेंट्स में शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ‘प्रमुख सूचकांक एक बार फिर 25,000 का प्रतिरोध स्तर निर्णायक रूप से तोड़ने में विफल रहा। इससे सकारात्मक कारक न होने का पता चलता है। लार्जकैप शेयरों में कमजोरी आई जिसका कारण एफआईआई की सुस्ती और बड़ी कंपनियों के सुस्त आय आंकड़े रहे। इसके विपरीत, मिडकैप और स्मॉलकैप सेगमेंट अपेक्षाकृत मजबूत बने रहे और उन्हें अनुमान से बेहतर चौथी तिमाही की आय और प्रीमियम मूल्यांकन में नरमी से समर्थन मिला।’
बाजार धारणा मिलीजुली रही। गिरने वाले शेयरों की संख्या 2,053 और चढ़ने वालों की 1,897 रही। एचडीएफसी बैंक में 0.7 फीसदी और आईसीआईसीआई बैंक में 0.9 फीसदी की गिरावट आई।