अमेरिका की हाई फ्रीक्वेंसी ट्रेडिंग (एचएफटी) फर्म जेन स्ट्रीट भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) से मंजूरी मिलने के बाद भारतीय शेयर बाजार में फिर दस्तक देगी। सूत्रों के अनुसार, बाजार नियामक ने पिछले सप्ताह एक ईमेल के जरिये जेन स्ट्रीट को सूचित किया था कि उस पर लगाया गया प्रतिबंध हटा लिया गया है।
न्यूयॉर्क की इस ट्रेडिंग फर्म द्वारा 14 जुलाई से पहले 4,844 करोड़ रुपये के कथित ‘अवैध लाभ’ को एक एस्क्रो खाते में जमा करने के सेबी के निर्देश का पालन करने के बाद यह पहल की गई है। इस मामले से अवगत एक व्यक्ति ने कहा, ‘3 जुलाई के अंतरिम आदेश में स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि रकम जमा कराने के आदेश का अनुपालन करने पर प्रतिभूति बाजार में पहुंच पर लगाया गया प्रतिबंध खत्म हो जाएगा। मगर सेबी ने जेन स्ट्रीट को एक ईमेल के जरिये औपचारिक तौर पर इसकी सूचना भी दे दी है।’
सूत्रों ने कहा कि कस्टोडियन, डिपॉजिटरी और स्टॉक एक्सचेंजों को भी प्रतिबंध हटने की सूचना दे दी गई है। इसके बारे में जानकारी के लिए सेबी और जेन स्ट्रीट को भेजे गए ईमेल का खबर लिखे जाने तक कोई जवाब नहीं आया।
मगर हाई फ्रीक्वेंसी ट्रेडिंग क्षेत्र की इस प्रमुख कंपनी के लिए कारोबार पहले की तरह नहीं होगा। उसने जनवरी 2023 से मार्च 2025 के बीच केवल इंडेक्स ऑप्शंस से ही 43,289 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया है। नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) और बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) दोनों को भविष्य में जेन स्ट्रीट के सभी लेनदेन और पोजीशन पर लगातार नजर रखने की जिम्मेदारी दी गई है।
जेन स्ट्रीट और उसके सहयोगियों को ‘किसी भी तरह की हेराफेरी वाली गतिविधियों’ से दूर रहने का निर्देश दिया गया है। ऐसा खास तौर पर सेबी के 3 जुलाई के अंतरिम आदेश में पहचाने गए पैटर्न के संदर्भ में कहा गया है। ये निर्देश बाजार नियामक द्वारा मामले की जांच पूरी किए जाने तक लागू रहेंगे।
सूत्रों ने बताया कि जेन स्ट्रीट के प्रतिनिधियों ने पिछले सप्ताह सेबी के अधिकारियों से भी मुलाकात की थी। हालांकि, कंपनी ने संकेत दिया था कि तुरंत ऑप्शंस ट्रेडिंग शुरू करने का उसका इरादा नहीं है।
जेन स्ट्रीट की ट्रेडिंग रणनीति के बारे में सेबी के आदेश में किए गए खुलासे उसके भविष्य के ट्रेडिंग कौशल को सीमित करते दिख रहे हैं। विशेषज्ञों ने कहा कि बाजार नियामक द्वारा जेन स्ट्रीट की रणनीतियों के बारे में विस्तृत विवरण जारी किए जाने से पहले जैसी सफलता के साथ कारोबार करना उसके लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
सेबी के आदेश के अनुसार, जेन स्ट्रीट की रणनीति का दो हिस्सा था। पहले उसने सूचकांक को कृत्रिम रूप से बढ़ाने के लिए नकद और वायदा दोनों खंडों में बैंक निफ्टी के घटक शेयरों की आक्रामक तरीके से लिवाली की थी। बाद में उसने उन पोजीशनों को समाप्त कर दिया और इंडेक्स विकल्पों में बड़ी शॉर्ट पोजीशन बनाए रखी ताकि बाद में आई गिरावट का फायदा हो सके।
जेन स्ट्रीट का कहना है कि उसकी खरीद-फरोख्त एक मानक रणनीति ‘इंडेक्स आर्बिट्राज’ का हिस्सा थी। इसके तहत तरलता प्रदान करने और बाजार की दक्षता बनाए रखने के लिए संबंधित प्रतिभूतियों के बीच मूल्य में अंतर का फायदा उठाया जाता है। इस बीच, सेबी ने अपनी जांच का दायरा बढ़ाते हुए यह पता लगाने की कोशिश की है कि क्या बैंक निफ्टी सूचकांक के अलावा अन्य सूचकांकों में भी जेन स्ट्रीट और अन्य एचएफटी फर्मों द्वारा हेराफेरी की गई थी। मगर जांच और उसके बाद कार्रवाई करने में कई महीने लग सकते हैं।