मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के जबलपुर पीठ ने डाबर के प्रवर्तकों के ओपन ऑफर और रेलिगेयर एंटरप्राइजेज की सालाना आम बैठक (एजीएम) पर रोक लगा दी है। याचिका में डाबर प्रवर्तकों के अधिग्रहण पर निगरानी के लिए स्वतंत्र जांच आयोग की मांग भी की गई है।
गुरुवार को रेलिगेयर ने उच्च न्यायालय के 18 दिसंबर वाले आदेश के बारे में एक्सचेंजों को जानकारी दी। यह ताजा खुलासा ओपन ऑफर के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की सशर्त मंजूरी के बाद हुआ है। सूत्रों ने बताया कि ओपन ऑफर के लिए बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की मंजूरी भी अंतिम चरण में है।
विश्लेषकों का कहना है कि उच्च न्यायालय में दायर याचिका से ओपन ऑफर में देर हो सकती है और इससे कंपनी के सार्वजनिक शेयरधारकों को नुकसान पहुंच सकता है। मामले की अगली सुनवाई जनवरी के मध्य में हो सकती है। याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत से कहा कि अगर अधिग्रहण की अनुमति दी गई तो नियंत्रण केवल 399 व्यक्तियों के हाथों में चला जाएगा, जिससे 73,623 अन्य लोगों के हित प्रभावित होंगे।
याचिकाकर्ता ने छोटे शेयरधारकों सहित आम लोगों के हितों की रक्षा के लिए प्रस्तावित अधिग्रहण की निगरानी करने के संबंध में कमीशन ऑफ इनक्वायरी ऐक्ट, 1952 के तहत स्वतंत्र जांच आयोग की नियुक्ति की मांग की है। याचिका में इस मामले में विशेष जांच टीम बनाने का निर्देश देने की भी मांग की गई है।
बर्मन परिवार के स्वामित्व वाली चार इकाइयों ने सितंबर 2023 में खुले बाजार के जरिये अतिरिक्त 5.27 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदी थी। इससे ओपन ऑफर की शुरुआत हुई क्योंकि वित्तीय सेवा फर्म में उनके पास पहले से ही 21.54 प्रतिशत हिस्सेदारी थी। बर्मन परिवार ने अतिरिक्त 26 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल करने के लिए ओपन ऑफर की घोषणा की थी। इस समय बर्मन परिवार आरईएल में एकमात्र सबसे बड़ा शेयरधारक है लेकिन बोर्ड में उसका कोई प्रतिनिधित्व नहीं है।