नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) और बीएसई ने मंगलवार को निवेशकों के डीमैट खाते में प्रतिभूतियों को सीधे क्रेडिट करने की योजना वापस लेने की घोषणा की। इसे 11 नवंबर से प्रभावी हुई थी। एक्सचेंजों ने सूचित किया कि कुछ मामलों में उन्हें थोड़े विलंब का सामना करना पड़ा और इस वजह से सीधे क्रेडिट की सुविधा टालनी पड़ी।
बाजार नियामक सेबी (SEBI) ने इस पर अमल की तारीख पहले ही 14 अक्टूबर से बढ़ाकर 11 नवंबर कर दी थी। एक्सचेंजों, डिपॉजिटरीज और क्लियरिंग कॉरपोरेशन समेत मार्केट इन्फ्रास्ट्रक्चर इंस्टिट्यूशन ने इस मामले में अपना पक्ष रखा था। इस सुविधा की शुरुआत सोमवार को हुई थी लेकिन कुछ मसलों के कारण अब इसे टाल दिया गया है।
एनएसई (NSE) ने एक नोटिस में कहा कि यह कदम हालांकि मोटे तौर पर कामयाब रहा है। लेकिन कुछ मामलों में थोड़ा विलंब हुआ। मार्केट इन्फ्रास्ट्रक्चर इंस्टिट्यूशन मिलकर इसका समाधान निकालने और अगले कुछ दिनों में इस इकोसिस्टम को स्थिर करने में जुटे हुए हैं।
इसमें कहा गया है कि इन वजहों से क्लाइंट के डीमैट खातों में प्रतिभूतियों के सीधे भुगतान का क्रियान्वयन टाल दिया गया है। इसे दोबारा शुरू करने की तारीख की सूचना दी जाएगी।
अभी प्रतिभूतियां ब्रोकर को क्रेडिट की जाती है। ब्रोकर ही निवेशक के डीमैट खातों में इन्हें हस्तांतरित करते हैं। बदलाव के बाद प्रतिभूतियां निवेशकों के डीमैट खातों में सीधे क्रेडिट की जाएंगी और इसमें ब्रोकरों की भूमिका कम घट जाएगीजिनके पास अभी हस्तांतरण से पहले तक शेयर पड़े होते हैं।
इससे पहले क्रियान्वयन का समय बढ़ाया गया था क्योंकि क्लियरिंग कॉरपोरेशन की तरफ से परिचालन दिशानिर्देश अगस्त के आखिर में जारी हुए जबकि इसकी समयसीमा पहले 5 अगस्त थी। बाजार नियामक ने भी क्रियान्वयन के पहले चरण के तहत क्रेडिट करने का समय 1.30 बजे से 3.30 बजे कर दिया था, जिनमें इक्विटी कैश सेगमेंट कवर किए जाते हैं।
प्रतिभूतियों को सीधे क्रेडिट करने से क्लाइंटों की सुरक्षा बढ़ेगी क्योंकि इससे स्टॉक ब्रोकरों की भूमिका और क्लाइंट की प्रतिभूतियों तक पहुंच घट जाएगी। कार्वी जैसे घटनाक्रम के बाद बाजार नियामक ने इसे सीमित करने के लिए कई कदम उठाए हैं।