भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने हेरफेर और आपत्तिजनक ट्रेडिंग की निगरानी या पकड़ने में किसी भी तरह की चूक के लिए मार्केट इन्फ्रास्ट्रक्चर इंस्टीट्यूशंस (MII) पर वित्तीय दंडात्मक कार्रवाई करने का फैसला किया है। एमआईआई में स्टॉक एक्सचेंज भी शामिल हैं।
1 जुलाई से प्रभावी होने जा रहे नई व्यवस्था के तहत सेबी स्टॉक एक्सचेंजों, क्लियरिंग कॉरपोरशन और डिपोजिटरी पर निगरानी संबंधित खामियों के मामले में जुर्माना लगाएगा। एमआईआई के लिए संदिग्ध गतिविधियों की सूचना देना, पूर्व-एहतियाती उपाय करना तथा अलर्ट जारी करना आवश्यक है।
सेबी ने कहा, ‘उन्हें बाजार में हेरफेर का पता लगाने में सक्षम होने की जरूरत होगी। इस हेरफेर एवं दुरुपयोग में बेईमान तत्वों द्वारा अपनाए जा सकने वाले नए तौर-तरीके और हथकंडे शामिल हैं और ऐसी गतिविधियों के खिलाफ उपयुक्त, त्वरित, प्रभावी और निवारक कार्रवाई करनी होगी।’
जुर्माना पूर्ववर्ती वित्त वर्ष में सालाना कारोबार और एक वित्त वर्ष के दौरान निगरानी खामियों के मामलों की संख्या पर आधारित होगा। उदाहरण के लिए, यदि किसी एमआईआई का सालाना कारोबार 1,000 करोड़ रुपये से अधिक है, तो पहली चूक पर 25 लाख रुपये और तीसरी चूक के बाद उस वित्तीय वर्ष में एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा।
यह रकम निवेशक सुरक्षा एवं शिक्षा कोष में जमा की जाएगी। जुर्माना लगाने से पहले एमआईआई को ऐसे मामले पर अपनी बात रखने का अवसर दिया जाएगा।
हाल के समय में ऐसे कई उदाहरण सामने आए हैं जब कुछ रिटेल कारोबारियों ने शिकायत की कि बड़े ऑप्शन खिलाड़ियों और ऑपरेटरों के कारण उन्हें अपनी पोजीशन में नुकसान उठाना पड़ा है। हालांकि सेबी ने स्पष्ट किया है कि मामूली खामियों के मामले में इस तरह का जुर्माना नहीं लगाया जाएगा।